काशी में CM सामूहिक विवाह में जमकर कटा हंगामा!: भूखे लौटे 100 से ज़्यादा दूल्हा-दुल्हन, किसी को पत्तल तो किसी को केवल पूड़ी...अखिलेश यादव ने सरकार पर कसा तंज
काशी में CM सामूहिक विवाह में जमकर कटा हंगामा!

 वाराणसी: प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी में सामूहिक विवाह का सरकारी तमाशा उस वक्त शर्मनाक हंगामे में बदल गया, जब 100 से ज़्यादा नवविवाहित जोड़े और उनके परिवार भूखे पेट लौटने पर मजबूर हो गए। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत आयोजित इस भव्य समारोह में ना पूड़ी मिली, ना चावल, सिर्फ पत्तल और गुस्सा!

किसी को सिर्फ मटर की सब्ज़ी मिली, तो किसी को थाली तक नहीं मिली। मंत्री-विधायक मंच पर मौजूद रहे और पंडाल में भूख और अव्यवस्था का तांडव होता रहा। देखते ही देखते अफरा-तफरी मच गई और खाना परोस रहे वेटर अपनी जान बचाकर भाग निकले।

193 जोड़ों की शादी, पर खाने का सिस्टम ढह गया:

जानकारी के अनुसार हरहुआ (पिंडरा) क्षेत्र के काशी कृषक इंटर कॉलेज में आयोजित इस समारोह में 193 जोड़ों ने सात फेरे लिए, जिनमें 4 मुस्लिम जोड़े भी शामिल थे। राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल और विधायक त्रिभुवन राम ने नवविवाहितों को आशीर्वाद दिया, लेकिन शायद आयोजन की असली तस्वीर देखने की फुर्सत किसी को नहीं थी।

खाना शुरू होते ही भीड़ टूट पड़ी और चंद मिनटों में सारे बर्तन खाली हो गए। जोड़े पत्तल लेकर इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन खाना नहीं मिला। वायरल वीडियो में एक युवक कहता दिख रहा है – “भाई, पूड़ी दो! कुछ नहीं मिला है... क्या करें?”

हंगामे के बीच अफसर लापता, BDO ने दी जांच की बात:

गौरतलब है कि खाने की लूट, हंगामा और अव्यवस्था के बीच अफसर नदारद रहे। BDO हरहुआ बद्री प्रसाद वर्मा ने बयान दिया कि “भीड़ अचानक बढ़ गई, वेटर डरकर भाग गए।” लेकिन सवाल यह है कि 3,860 लोगों के लिए बना खाना आखिर गया कहां?

अखिलेश यादव का BJP पर हमला: ‘कोरोना दान खा गए, अब कन्यादान भी’:

आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस शर्मनाक घटनाक्रम पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा कि

 “भाजपाई ‘कोरोना दान’ का तो खा गए। अब क्या ‘कन्या दान’ का भी... शर्मनाक! ये तो पीएम के संसदीय क्षेत्र का हाल है।”

उन्होंने सवाल उठाया कि जब सारा हिसाब-किताब मिलकर किया जा रहा है, तो जांच भी मिलकर क्यों नहीं की जा रही?

डीएम और विधायक के बयान में टकराव:

प्राप्त जानकारी के अनुसार एक ओर DM सत्येंद्र कुमार का कहना है कि “बाहरी लोग घुस आए थे, इसलिए खाना कम पड़ा।”
दूसरी ओर भाजपा विधायक त्रिभुवन राम ने आरोप लगाया कि “ठेकेदार ने कम खाना बनाया, यह सीधी लापरवाही है।” उन्होंने शासन को शिकायत भेजने और जांच की मांग की है।

ऐसे में सवाल है कि क्या मुख्यमंत्री की योजनाएं भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं? क्या गरीबों के ‘कन्यादान’ को भी सरकारी तंत्र ने मज़ाक बना दिया है।
काशी में हुए इस आयोजन ने एक बार फिर सरकारी अव्यवस्था की सच्चाई को जनता के सामने लाकर खड़ा कर दिया है।

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