पाकिस्तान पर भारत की कूटनीतिक जीत!: गलती से बॉर्डर पार चले गए BSF जवान को 20 दिन बाद पाकिस्तान ने छोड़ा, जानें कैसे चला गया था बॉर्डर पार?
पाकिस्तान पर भारत की कूटनीतिक जीत!

 नई दिल्ली/अमृतसर: 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक एक दिन बाद 23 अप्रैल को भारत-पाक बॉर्डर पर एक ऐसी घटना हुई, जिसने दोनों देशों के रिश्तों को और खराब बना दिया। पश्चिम बंगाल के हुगली निवासी BSF कॉन्स्टेबल पूर्णम कुमार शॉ फिरोजपुर सेक्टर में ऑपरेशनल ड्यूटी के दौरान गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए और पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया। 20 दिनों की खामोशी, राजनयिक दबाव, फ्लैग मीटिंग और DGMO लेवल की बातचीत के बाद आखिरकार आज पाकिस्तान ने पूर्णम को भारत के हवाले कर दिया। विशेषज्ञों ने इसे बड़ी कूटनीतिक जीत बताई है।

कैसे हुआ जवान लापता? जीरो लाइन से शुरू हुई कूटनीतिक लड़ाई:

जानकारी के अनुसार 23 अप्रैल की सुबह पूर्णम कुमार शॉ फिरोजपुर सेक्टर में किसानों के साथ गश्त पर थे। खेत फेंसिंग के पास, जीरो लाइन के नजदीक था, जहां जवानों को किसानों की सुरक्षा में लगाया जाता है। बताया गया कि उनकी तबीयत बिगड़ गई और वह एक पेड़ के नीचे बैठने गए। पेड़ बॉर्डर पार था। इसी दौरान पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया, हथियार छीन लिए और उन्हें अज्ञात स्थान पर ले जाया गया।

पहलगाम हमले के बाद तनाव, इसलिए 24 घंटे की जगह 20 दिन:

गौरतलब है कि सामान्यत ऐसे मामलों में फ्लैग मीटिंग के बाद 24 घंटे में जवानों को लौटा दिया जाता है, लेकिन इस बार पाकिस्तान ने इसे काफी लंबा खींच दिया। 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 5 जवानों के शहीद होने के बाद भारत-पाक संबंधों में जबर्दस्त तनाव था। इसी तनाव के बीच पाकिस्तान ने न केवल जवान को 20 दिन तक रोके रखा, बल्कि उसकी तस्वीरें जारी कर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बनाया।

3 फ्लैग मीटिंग, राजनयिक दवाब और DGMO बातचीत का असर:

विदित है कि इस घटना के बाद BSF ने तुरंत कार्रवाई करते हुए पाक रेंजर्स से संपर्क साधा, लेकिन पहले तीन फ्लैग मीटिंग्स में पाकिस्तान ने कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिए। इसके बाद BSF के DG दलजीत सिंह चौधरी ने केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन से सीधा संपर्क किया। DGMO लेवल पर बातचीत के बाद भारत के सामने पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा।

गर्भवती पत्नी की गुहार भी बनी दबाव:

जानकारी के अनुसार जवान की गर्भवती पत्नी रजनी शॉ ने पश्चिम बंगाल से फिरोजपुर आकर BSF के सीनियर अधिकारियों से मुलाकात की और रोते हुए अपने पति की रिहाई की मांग की। उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें वापस भेजा गया, लेकिन इस मानवीय अपील ने सरकार पर भी दबाव बनाया और डिप्लोमैटिक चैनल तेज कर दिए गए।

अटारी-वाघा बॉर्डर से सकुशल वापसी, परिवार ने लिया स्वागत:

आपको बता दें कि आज 14 मई की सुबह 10:30 बजे जवान पूर्णम शॉ को पाकिस्तान ने अटारी-वाघा बॉर्डर पर भारत को सौंप दिया। BSF पंजाब फ्रंटियर ने बयान जारी कर कहा, "यह हैंडओवर शांति पूर्ण तरीके से और निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत किया गया।" इस दौरान जवान का परिवार भी वहां मौजूद था। उन्हें तुरंत मेडिकल जांच के लिए भेजा गया और पूछताछ के बाद घर जाने की अनुमति दी जाएगी।विशेषज्ञ मानते हैं कि यह रिहाई सामान्य नहीं है। पहले भी जवान गलती से सीमा पार गए हैं, लेकिन इतनी लंबी हिरासत, फोटो लीक करना और रिहाई में देरी पाकिस्तान की नई रणनीति हो सकती है,खासतौर पर जब बॉर्डर पर हालात तनावपूर्ण हों। फिलहाल जवान की वापसी भारत की एक राजनायिक जीत माना जा सकता है

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