दुनिया की सबसे बड़ी सच्चाई: दिल की बीमारी अब उम्र नहीं देखती:
कभी यह माना जाता था कि हार्ट अटैक या स्ट्रोक सिर्फ बूढ़ों की बीमारी है लेकिन अब 25–40 साल के युवा भी अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। Times of India Health Report के अनुसार, लगभग 99% हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेल्योर जीवनशैली में सुधार से रोके जा सकते हैं।
World Health Organization (WHO) के आंकड़े बताते हैं कि हर साल 17.9 मिलियन लोग हृदय रोगों से मरते हैं, जिनमें से 85% मौतें हार्ट अटैक और स्ट्रोक के कारण होती हैं। भारत में तो हालात और गंभीर हैं, पिछले दस वर्षों में दिल की बीमारियों से मौतों में 30% तक वृद्धि दर्ज की गई है।
आखिर क्यों बढ़ रहे हैं इतने मामले?
डॉक्टरों का कहना है कि हमारी “गंदी आदतें” ही सबसे बड़ा कारण हैं।
गलत खान-पान- जंक फूड, ट्रांस फैट और नमक का अत्यधिक सेवन दिल पर सीधा असर डालता है।
भारत में औसतन हर व्यक्ति रोज़ाना 12 ग्राम से ज़्यादा नमक खाता है जबकि WHO की सीमा 5 ग्राम है।
शारीरिक निष्क्रियता- दिनभर बैठकर काम करना, व्यायाम की कमी और मोबाइल पर लगातार स्क्रॉलिंग ने शरीर को सुस्त बना दिया है।
तनाव और नींद की कमी- मानसिक दबाव, देर रात तक जागना, और नींद पूरी न लेना भी ब्लड प्रेशर व कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है।
धूम्रपान और शराब- सिर्फ एक सिगरेट रोज़ पीना भी हार्ट अटैक के खतरे को 20% तक बढ़ा देता है।
प्रदूषण और शहरी जीवनशैली- खराब हवा में सांस लेना भी दिल की धमनियों को नुकसान पहुँचाता है।
पहचानिए दिल की बीमारी के शुरुआती संकेत:
डॉक्टरों के अनुसार, हार्ट अटैक या स्ट्रोक अचानक नहीं होता, शरीर पहले से संकेत देने लगता है:
• सीने में दबाव या भारीपन महसूस होना
• ठंडा पसीना या सांस फूलना
• जबड़े, पीठ या बाएं हाथ में दर्द
• बोलने में कठिनाई या चेहरे का टेढ़ा होना (स्ट्रोक के संकेत)
• शरीर के एक हिस्से में कमजोरी या सुन्नपन
इनमें से कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। देर करना जानलेवा हो सकता है।
क्या वाकई 99% मामले रोके जा सकते हैं?
Times of India और Harvard Medical Review की रिपोर्ट्स बताती हैं कि 80–90% हृदय रोग पूरी तरह रोके जा सकते हैं अगर व्यक्ति समय रहते अपनी जीवनशैली बदल ले। हालांकि “99%” का आंकड़ा प्रतीकात्मक है लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि “दिल की बीमारियों की जड़ हमारी आदतें हैं। इन्हें बदलें तो ज़्यादातर खतरे खुद खत्म हो जाते हैं।”
– डॉ. आर.एन. खन्ना, वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट, AIIMS दिल्ली
खुद को कैसे बचाएं, डॉक्टरों के सुझाए 5 नियम:
रोज़ाना कम से कम 30 मिनट वॉक या एक्सरसाइज़ करें।
आहार में फल, हरी सब्जियाँ, फाइबर और पर्याप्त पानी शामिल करें।
नमक, चीनी और ट्रांस फैट से दूरी बनाएं।
तंबाकू और शराब से पूरी तरह परहेज़ करें।
पर्याप्त नींद लें और तनाव को योग, ध्यान या हंसी-मजाक से कम करें।
AIIMS के डॉक्टरों का कहना है कि अगर ये 5 बातें जीवन का हिस्सा बना ली जाएँ तो दिल की उम्र कम से कम 10 साल तक बढ़ाई जा सकती है।
महिलाओं और युवाओं में नया खतरा:
इंडियन हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट बताती है कि अब महिलाएं और युवा सबसे अधिक जोखिम में हैं। पहले यह रोग 50 वर्ष के बाद देखा जाता था, अब 25–35 वर्ष की आयु में भी मामलों में तेज़ी आई है। महिलाओं में यह “साइलेंट अटैक” के रूप में आता है यानी बिना दर्द या चेतावनी के दिल पर असर।
शरीर नहीं, मन भी रखें स्वस्थ:
WHO और Lancet की रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि तनाव, चिंता और नींद की कमी दिल को कमजोर करती हैं।
जो लोग रोज़ 7 घंटे से कम सोते हैं उनमें हार्ट अटैक का खतरा दोगुना पाया गया है। तनाव घटाने के लिए सुबह 10 मिनट ध्यान, गहरी साँसें और सैर को दिनचर्या का हिस्सा बनाना जरूरी है।
किन आदतों से तुरंत बचें:
• देर रात भारी भोजन या ओवरईटिंग
• एनर्जी ड्रिंक या ज्यादा कैफीन
• बार-बार स्नैकिंग
• घंटों एक ही जगह बैठे रहना
• मोबाइल और सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा समय
डॉक्टरों की चेतावनी:
“दिल का दौरा एक पल में नहीं आता, यह सालों की लापरवाही का परिणाम होता है।”
– डॉ. अंशुमान वर्मा, कार्डियोलॉजिस्ट, मणिपाल हॉस्पिटल्स, बेंगलुरु
“हर 30 सेकंड में भारत में किसी न किसी को स्ट्रोक हो रहा है। जागरूकता ही सबसे बड़ा इलाज है।”
– डॉ. सुनील माथुर, न्यूरोलॉजिस्ट
निष्कर्ष:
दिल की सेहत हमारे हाथ में है। ना कोई चमत्कारी दवा, ना कोई महंगी थेरेपी, बस अपने दिनचर्या में थोड़े बदलाव और सजगता की ज़रूरत है।
समय रहते पहचानिए संकेत, सुधारिए आदतें और याद रखिए “दिल से जुड़ी लापरवाही, ज़िंदगी से जुड़ा खतरा है।” शुरुआत आज से करें, क्योंकि कल शायद देर हो जाए।