वॉशिंगटन/नई दिल्ली : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दुनिया को हिला देने वाला फैसला सुना दिया है। उन्होंने ऐलान किया है कि 1 अक्टूबर 2025 से अमेरिका में आने वाली ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाइयों पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा। यानी इन दवाओं की कीमत सीधे दोगुनी हो जाएगी।
भारत पर बड़ा असर :
आपको बता दें कि सबसे बड़ा असर भारत पर पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका भारत से सबसे ज्यादा दवाइयां खरीदता है। आंकड़े बताते हैं कि 2024 में भारत ने अकेले अमेरिका को ही 8.73 अरब डॉलर (करीब 77 हजार करोड़ रुपए) की दवाइयां भेजीं। इनमें से कई दवाएं वही हैं, जो डॉक्टर रोज़ाना अमेरिकी मरीजों को लिखते हैं।
भारत के लिए क्यों बढ़ा खतरा?
गौरतलब है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा जेनेरिक दवाओं का सप्लायर है। अमेरिका में हर 10 में से 4 प्रिस्क्रिप्शन दवाइयां भारत की कंपनियों की होती हैं। अगर ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैक्स लग गया, तो भारतीय कंपनियों जैसे सन फार्मा, डॉ. रेड्डीज और ल्यूपिन पर सीधा असर होगा। दवाओं की कीमत बढ़ेगी, जिससे अमेरिकी नागरिकों की जेब पर भी बोझ बढ़ेगा और भारत का एक्सपोर्ट भी प्रभावित होगा।
ब्रांडेड दवा और जेनेरिक दवा में क्या है अंतर :
● ब्रांडेड दवा – आपको बता दें कि ब्रांडेड दवा नई रिसर्च से बनी ओरिजिनल दवा होती है। यह अपेक्षाकृत महंगी होती है क्योंकि कंपनी को रिसर्च खर्च निकालना होता है।
● जेनेरिक दवा – गौरतलब हैं कि जेनेरिक दवा वह होती जो पेटेंट खत्म होने के बाद बनाई जाती है। यह 80-90% तक सस्ती होती है।
अमेरिका ने अभी जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ नहीं लगाया, क्योंकि वहां का पूरा हेल्थ सिस्टम सस्ती जेनेरिक दवाओं पर टिका है।
किसे मिलेगी राहत?
आपको बता दें कि ट्रम्प ने कहा है कि जिन कंपनियों ने अमेरिका में ही फार्मा प्लांट लगाना शुरू कर दिया है, उनकी दवाओं पर टैक्स नहीं लगेगा।
इससे साफ है कि ट्रम्प चाहते हैं कि दवाएं बाहर से न आएं, बल्कि अमेरिका में ही बनें।
सिर्फ दवाओं पर ही नहीं, इन पर भी टैरिफ!
किचन कैबिनेट और बाथरूम वैनिटी – 50% टैरिफ।
गद्देदार फर्नीचर – 30% टैरिफ।
भारी ट्रक – 25% टैरिफ।
ट्रम्प का कहना है कि बाहर से आयातित सामानों ने अमेरिकी मार्केट को भर दिया है। इसे रोकने के लिए टैरिफ लगाना ज़रूरी है।
असर क्या होगा?
गौरतलब हैं कि भारत जैसे देशों से आने वाली दवाइयां अमेरिका में महंगी हो जाएंगी। अमेरिकी नागरिकों के स्वास्थ्य खर्च और मेडिकेयर/मेडिकेड योजनाओं पर दबाव बढ़ेगा। भारत की फार्मा कंपनियों का सबसे बड़ा निर्यात बाजार डगमगा सकता है। अमेरिकी चुनावी साल में यह ट्रम्प की ‘मेक इन अमेरिका’ पॉलिसी को मजबूत करेगा।
एक्सपर्ट की चेतावनी
गौरतलब है कि फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने पहले ही चेताया था कि ऊंची कीमतें महंगाई को और बढ़ा देंगी। अब ट्रम्प के इस फैसले से न सिर्फ दवाएं, बल्कि ट्रक और फर्नीचर भी महंगे होंगे। इसका सीधा असर अमेरिकी इकोनॉमी और आम लोगों की जेब पर पड़ना तय है।
सवाल यह है कि ट्रम्प का यह कदम अमेरिका के लोगों को सुरक्षित करेगा या फिर उनकी ही दवाइयों और ज़रूरी सामानों को इतना महंगा कर देगा कि लोग परेशान हो उठेंगे।