बच्चों में फैटी लिवर का बढ़ता खतरा!: जंक फूड बन रहा हैं ज़हर, WHO ने जारी की चेतावनी; अब नहीं बदली आदतें तो हर घर में...जानिए कैसे बचाएं अपने बच्चे को
बच्चों में फैटी लिवर का बढ़ता खतरा!

अब बच्चे भी लिवर डिज़ीज़ की चपेट में
स्वास्थ्य: पहले फैटी लिवर को उम्रदराज़ लोगों की बीमारी माना जाता था लेकिन अब डॉक्टरों ने चेताया है कि यह 5 से 15 साल के बच्चों में तेजी से फैल रही “नई महामारी” बन चुकी है। AIIMS, PGI लखनऊ और WHO की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर तीन में से एक बच्चा फैटी लिवर डिज़ीज़ (MASLD/NAFLD) से प्रभावित है।

चौंकाने वाले आंकड़े:
AIIMS की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि भारत के 35% बच्चे फैटी लिवर के शिकार हैं।
झारखंड अध्ययन में 5-15 वर्ष के बच्चों में यह दर 44% तक पहुंच गई है।
मुंबई में किए गए मेडिकल सर्वे के अनुसार, मोटे बच्चों में 50% और सामान्य वजन वाले बच्चों में भी 20% को लिवर में चर्बी जमने की समस्या पाई गई।
WHO ने चेतावनी दी है कि अगर यही ट्रेंड जारी रहा तो 2035 तक हर पांच में से एक बच्चा गंभीर मेटाबॉलिक बीमारी से ग्रस्त होगा।

प्यार के नाम पर ज़हर खिला रहे हैं माता-पिता:
विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों में बढ़ते फैटी लिवर का सबसे बड़ा कारण गलत फूड हैबिट्स हैं। माता-पिता अपनी व्यस्तता में बच्चों को खुश करने के लिए पिज़्ज़ा, बर्गर, नूडल्स, चिप्स, चॉकलेट और कोल्ड ड्रिंक जैसी चीज़ें रोज़ खिलाने लगे हैं जो सीधे लिवर पर असर डालती हैं।
डॉ. आर.एन. शर्मा, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट (AIIMS) का कहना है “हर दिन आने वाले 10 में से 3 बच्चे ऐसे हैं जिनके लिवर में वसा जम चुकी है। यह ‘साइलेंट डिज़ीज़’ है लक्षण नहीं दिखते, पर अंदर से लिवर कमजोर होता जाता है।”

क्यों बढ़ रहा है फैटी लिवर बच्चों में?

  1. जंक फूड और मीठे पेय पदार्थ- इनमें ट्रांस फैट और फ्रुक्टोज़ होता है जो लिवर में चर्बी जमा करता है।

  2. फिजिकल एक्टिविटी की कमी- मोबाइल, टीवी, गेमिंग से बच्चों का मूवमेंट घटा है।

  3. मोटापा और आनुवंशिकता- जिन परिवारों में मधुमेह या मोटापे का इतिहास है, उन बच्चों में यह रोग तेज़ी से बढ़ता है।

  4. स्क्रीन टाइम बढ़ना- WHO के अनुसार 5 से 15 वर्ष के बच्चों में औसतन 6 घंटे स्क्रीन पर बिताने की आदत फैटी लिवर के जोखिम को दोगुना करती है।

वास्तविक उदाहरण:
लखनऊ के 11 वर्षीय आदित्य (बदला हुआ नाम) को लगातार थकान, पेट में भारीपन और भूख न लगने की शिकायत थी। AIIMS जांच में पता चला कि उसके लिवर में 30% फैट जमा हो चुका है। डॉक्टरों ने कहा कि यह केवल फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक की आदत का नतीजा है। डाइट कंट्रोल और रोज़ाना साइकिलिंग से अब उसका लिवर धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है।

फैटी लिवर के शुरुआती लक्षण (जो अक्सर नज़रअंदाज़ होते हैं):
• लगातार थकान या सुस्ती
• पेट के दाहिने हिस्से में हल्का दर्द या भारीपन
• भूख कम लगना
• ध्यान केंद्रित न कर पाना
• आंखों या त्वचा पर पीलापन (कभी-कभी)

क्या न दें, क्या दें- बच्चों का सही आहार चार्ट:
क्या न दें:
पिज़्ज़ा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइज़, कोल्ड ड्रिंक, चिप्स, चॉकलेट, नूडल्स, रेडीमेड जूस

क्या दें:
हरी सब्ज़ियाँ, मौसमी फल, घर का बना खाना, दही-छाछ, नारियल पानी, ओट्स, दालें, अंडा या दूध

डॉक्टरों की सिफारिशें:
• रोज़ 60 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी ज़रूर कराएं।
• बच्चों का BMI और लिवर फंक्शन टेस्ट हर 6 महीने में कराएं।
• स्कूलों में “हेल्दी लंच डे” जैसी पहलें शुरू हों।
• बच्चों का स्क्रीन टाइम 2 घंटे से अधिक न होने दें।
• शक्करयुक्त पेय पदार्थ और पैक्ड स्नैक्स से दूरी रखें।

अगर नहीं संभले तो भविष्य गंभीर:
डॉक्टरों का कहना है कि अगर यह समस्या अब नहीं रोकी गई तो अगले 10 वर्षों में बच्चों में लिवर सिरोसिस, फाइब्रोसिस और कैंसर जैसी बीमारियाँ तेजी से बढ़ेंगी। लिवर फाइब्रोसिस से कैंसर का खतरा 3–4 गुना तक बढ़ जाता है।

प्राकृतिक उपाय भी मददगार:
AIIMS गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट की सलाह के अनुसार गिलोय, नींबू पानी, और ग्रीन टी जैसी चीजें लिवर को डिटॉक्स करने में सहायक हैं। सुबह खाली पेट गुनगुना पानी और हल्की वॉक करने से भी चर्बी कम होती है।

WHO और UNICEF की चेतावनी:
संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि-
“Childhood obesity and fatty liver disease are becoming the next global health emergency.”
अगर भारत ने बच्चों के खान-पान और शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया तो 2035 तक देश की युवा पीढ़ी में लिवर डिज़ीज़ का ग्राफ तीन गुना बढ़ जाएगा।

निष्कर्ष:
फैटी लिवर अब ‘बड़ों की बीमारी’ नहीं रही, यह हर घर का छिपा हुआ खतरा है। समय रहते आदतें बदलीं तो बचपन बचाया जा सकता है वरना आने वाला कल ‘लिवर पेशेंट’ बन सकता है।

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