World Heart Day 2025: देश में जिस तरह से हृदय रोग हर उम्र में बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए World Heart Day 2025 के मौके पर यह जानना बहुत जरूरी हो गया है कि Heart Attack (हृदयाघात) और Heart Failure (हृदय असमर्थता) में अंतर क्या है क्योंकि अक्सर लोग दोनों को एक ही समझ लेते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार क्या है स्थिति:
आधुनिक जीवनशैली, खान-पान में गड़बड़ी, धूम्रपान, मोटापा, डायबिटीज व हाई बीपी ने भारत में हृदय संबंधी जोखिमों को तेजी से बढ़ा दिया है।
World Health Organization (WHO) के अनुसार, विविध हृदय एवं रक्तवाहिका संबंधी रोग (CVDs) 2016 में दुनिया भर में लगभग 1.79 करोड़ लोगों की मौत का कारण बने थे, जिसमें हृदयाघात और स्ट्रोक प्रमुख हैं।
भारत में ऐसे रोगों की दर लगातार बढ़ रही है, इसलिए समय से पहचान व बचाव बेहद महत्वपूर्ण है।
हार्ट अटैक: अचानक हमला
लक्षण
• सीने में अचानक तेज दर्द या दबाव-भाव, खासकर बाएँ हिस्से में या पूरे सीने में।
• दर्द का हाथ, पीठ या जबड़े तक फैलना।
• सांस लेने में कठिनाई, अचानक पसीना, मिचली आना।
• कभी-कभी बुखार जैसा अनुभव, चक्कर आना या बेहोशी।
कारण
दिल तक खून पहुँचाने वाली धमनियाँ (कोरोनरी आर्टरी) प्लाक (कोलेस्ट्रॉल-फैट जमाव) के कारण संकरी हो जाती हैं। प्लाक टूटने पर ब्लड क्लॉट बन सकता है, जिससे खून प्रवाह रुक जाता है और मांसपेशियों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। यह एक आपातस्थिति (emergency) है — देर हुई तो जान का जोखिम बढ़ जाता है।
हार्ट फेलियर: धीरे-धीरे कमजोर पड़ता दिल
लक्षण
• सांस लेने में तकलीफ, खासकर लेटने-सोते समय या हल्की मेहनत के बाद।
• पैरों, टखनों या पेट में सूजन (एडेमा) दिखना।
• लगातार थकान, दिल तेज धड़कना, रात में बार-बार जागना।
कारण
यह तब उत्पन्न होती है जब दिल अपनी पंपिंग क्षमता खोने लगता है यानी जितना खून और ऑक्सीजन शरीर को चाहिए, दिल उतना नहीं भेज पाता। इसके पीछे कारण हो सकते हैं: पिछले हार्ट अटैक, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, मोटापा, धूम्रपान इत्यादि। यह क्रॉनिक (दीर्घकालीन) समस्या है — तुरंत ठीक करना कठिन है मगर नियंत्रण में रखा जा सकता है।
दोनों में मुख्य अंतर:
हार्ट अटैक अचानक होता है और तत्काल प्रतिक्रिया की मांग करता है, जबकि हार्ट फेलियर धीरे-धीरे विकसित होता है। हार्ट अटैक धमनियों में ब्लॉक के कारण होता है; हार्ट फेलियर में दिल कमजोर हो जाता है और उसकी पंपिंग क्षमता कम हो जाती है।
पहले का उपचार आपातकालीन है — समय पर पहुंचना जीवन-रक्षक। बाद वाला उपचार जीवनशैली-परिवर्तन, दवाइयां और नियमित देखभाल से चलता है।
बचाव के उपाय:
• स्वस्थ आहार अपनाएं: तले-भुने पदार्थ, ज़्यादा नमक, शीघ्रपचनीय चीनी व फैट वाले खाद्य से बचें।
• नियमित व्यायाम करें: सप्ताह में कम-से-कम 150 मिनट मध्यम तीव्रता वाला व्यायाम लाभदायक है।
• धूम्रपान और अत्यधिक शराब से बचें।
• हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे जोखिम-कारकों का नियमित निरीक्षण कराएं।
• मानसिक तनाव, बहुत अधिक बैठने का समय भी खतरा बढ़ाते हैं — बीच-बीच में उठकर चलें-फिरें।
(एक अध्ययन में पाया गया कि 10.6 घंटे से अधिक लगातार बैठे रहने से हार्ट फेलियर का जोखिम 40% तक बढ़ जाता है)
• यदि कोई लक्षण महसूस हो (उदाहरण- स्वरूप सीने में दर्द या सांस लेने में दिक्कत) तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
निष्कर्ष:
आज-कल उम्र कम हो रही है, हृदय रोगों के मामले हो रहे हैं बढ़ते। इसलिए सिर्फ जागरूक होना ही नहीं, समय पर कार्रवाई करना बहुत ज़रूरी हो गया है। हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर दोनों अलग-अलग बातें हैं पर रोकने के उपाय साझा हैं। दिल की धड़कन को नजरअंदाज़ न करें, “एक भी धड़कन न छूटी” — इस थीम पर हर साल 29 सितंबर को मनाया जाता है।