स्वास्थ्य : अक्तूबर की शुरुआत होते ही हवा के तेवर बदलने लगे हैं। सुबह की ठंडक, दिन की हल्की धूप और शाम की ठिठुरन भले ही मन को सुकून दे रही हो, लेकिन डॉक्टरों की मानें तो यही ‘सुहावना मौसम’ शरीर के लिए बड़ी चुनौती लेकर आता है। तापमान के इस उतार-चढ़ाव से लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) कमजोर पड़ने लगती है और सर्दी-जुकाम, वायरल फीवर, खांसी और गले के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ जाते हैं। डॉक्टरों का साफ कहना है कि “अक्तूबर का महीना जितना रोमांचक लगता है, उतना ही जोखिम भरा भी होता है। हल्की लापरवाही आपको बिस्तर पर पहुंचा सकती है।”
मौसम बदलते ही क्यों बढ़ जाता है खतरा?
आपको बता दें कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि अक्तूबर में दिन और रात के तापमान में 10 से 12 डिग्री तक का फर्क हो सकता है। यह उतार-चढ़ाव शरीर की ‘थर्मल बैलेंसिंग सिस्टम’ को प्रभावित करता है। नतीजतन इम्यूनिटी घटने लगती है और वायरस के लिए शरीर “सॉफ्ट टारगेट” बन जाता है। AIIMS के एक वरिष्ठ फिजिशियन के अनुसार -"यह मौसम वायरस के एक्टिव होने का समय है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण और धूल बैक्टीरिया के वाहक बन जाते हैं। जो लोग कमजोर इम्यूनिटी वाले हैं। बच्चे, बुजुर्ग, और एलर्जी से पीड़ित; उन्हें सबसे ज्यादा खतरा रहता है।”
इम्यूनिटी को बनाएं शरीर की ढाल :
गौरतलब है कि अगर आप बीमार पड़ने से बचना चाहते हैं, तो सबसे जरूरी है कि अपनी इम्यूनिटी को मजबूत बनाएं। इसके लिए कोई महंगे सप्लिमेंट नहीं, बल्कि कुछ घरेलू नुस्खे काफी हैं। अपनी डाइट में विटामिन C से भरपूर चीजें जैसे आंवला, संतरा, नींबू शामिल करें। तुलसी-अदरक की चाय और रात को हल्दी वाला दूध पीना शरीर को अंदर से गर्म रखता है और संक्रमण से लड़ने की ताकत देता है। भोजन में प्रोटीन, दालें और हरी सब्जियों का सेवन बढ़ाएं।
कपड़ों और पानी का रखें ख्याल
आपको बता दें कि इस दौरान दिन की धूप धोखा दे सकती है। कई लोग दोपहर की गर्मी देखकर हल्के कपड़े पहन लेते हैं, लेकिन जैसे ही शाम होती है, तापमान गिर जाता है और यहीं से सर्दी-जुकाम की शुरुआत होती है। इसलिए:
●सुबह-शाम पूरी बाजू के कपड़े और हल्का स्वेटर पहनें।
●ठंडे पानी की जगह गुनगुना पानी, सूप और हर्बल टी लें।
●दिनभर शरीर को हाइड्रेटेड रखें ताकि टॉक्सिन्स बाहर निकलते रहें।
स्वच्छता है सबसे बड़ी सुरक्षा :
आपको बता दें कि वायरल संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे में बेहद तेजी से फैलता है। इससे बचने को बार-बार हाथ धोएं या सैनिटाइजर का प्रयोग करें। आंख, नाक और मुंह को अनजाने में छूने से बचें। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से परहेज करें। साथ ही खांसते या छींकते समय मुंह और नाक को रूमाल या टिश्यू से ढकें। यह छोटी-छोटी आदतें “बड़ी बीमारियों की दीवार” बन सकती हैं।
पूरी नींद है ‘नेचुरल मेडिसिन’ :
विदित है कि रोजाना 7 से 8 घंटे की गहरी नींद शरीर के लिए उतनी ही जरूरी है जितनी कोई दवा। नींद के दौरान शरीर खुद की मरम्मत करता है और संक्रमण से लड़ने वाली कोशिकाएं बनाता है। नींद की कमी इम्यून सिस्टम को कमजोर करती है, जिससे वायरस आसानी से हमला कर सकते हैं।
डॉक्टरों की चेतावनी :
डॉक्टरों का कहना है कि मौसम के इस संक्रमणकाल में लोग अक्सर “सर्दी-जुकाम को मामूली समझ” लेते हैं। लेकिन अगर बुखार तीन दिन से ज्यादा रहे, खांसी बढ़े या सांस लेने में तकलीफ हो, तो तुरंत जांच कराएं। विशेषज्ञों के अनुसार हर खांसी सर्दी नहीं होती, कई बार यह वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन का संकेत भी होती है।”
कुल मिलाकर बदलते मौसम को हल्के में न लें। अक्तूबर का मौसम भले ही रोमांचक हो, लेकिन थोड़ी सी लापरवाही आपको बीमार बना सकती है। इसलिए गर्म कपड़े पहनें, पौष्टिक आहार लें, नींद पूरी करें, स्वच्छता बनाए रखें। तभी आप इस ठंडे-सुहावने मौसम का असली आनंद उठा पाएंगे।