स्वास्थ्य : भारत में डायबिटीज अब “धीमी मौत” का दूसरा नाम बन चुकी है। लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल की हालिया रिपोर्ट ने चौंका दिया है। देश में हर पांच में से दो लोग यह नहीं जानते कि उन्हें डायबिटीज है! यानी लगभग 5 करोड़ से ज्यादा भारतीय बिना जाने इस बीमारी के साथ जी रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक डायबिटीज कोई अचानक होने वाली बीमारी नहीं है। यह धीरे-धीरे शरीर के अंदर पनपती है और शुरू में ही शरीर छोटे-छोटे संकेत देने लगता है, जिन्हें लोग अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। अगर इन लक्षणों को समय पर पहचाना जाए, तो बीमारी को काबू में किया जा सकता है।
डायबिटीज क्या है?
आपको बता दें कि डायबिटीज तब होती है जब शरीर इंसुलिन नाम के हॉर्मोन को या तो बनाना बंद कर देता है या फिर उसका सही उपयोग नहीं कर पाता। इंसुलिन वही हॉर्मोन है जो हमारे खाने से बने ग्लूकोज को एनर्जी में बदलता है। अगर यह प्रक्रिया रुक जाए, तो ब्लड में शुगर जमा होने लगती है, और धीरे-धीरे हृदय, आंख, किडनी और नर्व सिस्टम को नुकसान पहुंचाने लगती है।
डायबिटीज के दो प्रकार :
टाइप-1 डायबिटीज:
इसमें शरीर इंसुलिन बनाना बंद कर देता है। यह आमतौर पर बच्चों और युवाओं में पाई जाती है। लक्षण तेजी से दिखने लगते हैं जैसे - बार-बार पेशाब, वजन घटना, कमजोरी।
टाइप-2 डायबिटीज:
इसमें शरीर इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता। यह सबसे आम प्रकार है, जो ज्यादातर मोटे, तनावग्रस्त या 40 वर्ष से ऊपर के लोगों में दिखता है। लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं, लोग इसे बढ़ती उम्र की थकान समझकर टाल देते हैं।
शरीर देता है ये 8 शुरुआती संकेत – एक भी दिखे तो न करें इग्नोर :
ज्यादा प्यास लगना – ब्लड में ग्लूकोज बढ़ने पर शरीर उसे बाहर निकालने के लिए पेशाब बढ़ा देता है, जिससे प्यास लगती रहती है।
बार-बार पेशाब आना – सामान्य से ज्यादा बार पेशाब आना डायबिटीज का सबसे आम संकेत है।
अचानक वजन कम होना – जब ग्लूकोज एनर्जी में नहीं बदल पाता, तो शरीर फैट और मसल्स जलाने लगता है।
थकान या कमजोरी महसूस होना – कोशिकाओं को एनर्जी न मिलने से लगातार थकान बनी रहती है।
धुंधला दिखना – आंखों की नसें प्रभावित होती हैं, जिससे दृष्टि धुंधली पड़ जाती है।
घाव देर से भरना – हाई शुगर से ब्लड फ्लो और इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।
स्किन ड्राई होना या खुजली – ज्यादा शुगर से त्वचा डिहाइड्रेट हो जाती है।
हाथ-पैर सुन्न होना या झुनझुनी – यह नर्व डैमेज का शुरुआती संकेत हो सकता है।
महिलाओं, पुरुषों, बच्चों सबके लक्षण में होता है फर्क :
गौरतलब है कि महिलाओं में वैजाइनल इंफेक्शन, बार-बार यूटीआई और थकान के लक्षण ज्यादा दिखते हैं।
वहीं पुरुषों में मसल्स वीकनेस, यौन समस्या और बाल झड़ने जैसी दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
बच्चों में यानी 5-13 साल के बीच टाइप-1 तेजी से दिखता है। ज्यादा भूख-प्यास, थकान, चिड़चिड़ापन, डायपर रैश इसके आम लक्षण हैं।
वहीं प्रेग्नेंसी में जेस्टेशनल डायबिटीज अक्सर बिना लक्षण के होती है। सिर्फ ज्यादा प्यास या थकान दिख सकती है, इसलिए 24 से 28 हफ्तों के बीच शुगर टेस्ट जरूरी है।
डायबिटीज की पहचान कैसे करें?
आपको बता दें कि इसके पहचान का सबसे भरोसेमंद तरीका है A1C टेस्ट, जो पिछले 3 महीनों की औसत ब्लड शुगर बताता है।
5.7% से कम – नॉर्मल
5.7% से 6.4% – प्री-डायबिटीज
6.5% या उससे ज्यादा – डायबिटीज
डॉक्टरों का कहना है कि डायबिटीज मरीजों के लिए A1C को 7% से नीचे रखना सबसे सुरक्षित लक्ष्य है।
अगर डायबिटीज को नजरअंदाज किया तो क्या होगा?
डायबिटीज के लक्षण को लगातार नजरअंदाज करने पर ये समस्याएं आ सकती हैं।
हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा
किडनी फेलियर
आंखों की रोशनी कमजोर या अंधापन
पैरों में घाव और संक्रमण
नसों में दर्द और झुनझुनी
यौन कमजोरी
स्किन पर डार्क पैच
डायबिटीज को कैसे करें कंट्रोल?
आपको बता दें कि डाइबिटीज के कंट्रोल के लिए खानपान में बदलाव करें, आधी प्लेट सब्जियां, ¼ प्रोटीन, ¼ हेल्दी कार्ब्स (प्लेट मेथड अपनाएं) खाये। मीठे पेय, व्हाइट ब्रेड, केक और फास्ट फूड से दूरी बनाये। फाइबरयुक्त आहार जैसे फल, सलाद, होल ग्रेन आहार में शामिल करें। साथ ही नियमित व्यायाम करें जिसमें हफ्ते में कम से कम 150 मिनट की हल्की-फुल्की एक्टिविटी; तेज चलना, साइक्लिंग या योगा शामिल रहे। पानी ज्यादा पिएं और ब्लड शुगर नियमित रूप से मॉनिटर करें। डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न बदलें। इंसुलिन सही तापमान पर रखें। बीमार पड़ने पर भी दवाएं जारी रखें। ध्यान, मेडिटेशन या म्यूजिक से तनाव घटाएं। नींद पूरी लें, क्योंकि नींद की कमी से शुगर बढ़ती है।
कब करें डॉक्टर से संपर्क?
गौरतलब है कि अगर आपको लगातार प्यास, कमजोरी या वजन घटना, सांस से नेल पॉलिश जैसी गंध आना, घाव भरने में देर लगना, हाथ-पैर सुन्न होना या चक्कर आना जैसे लक्षण दिखें तो तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें। डॉक्टरों का कहना है कि “डायबिटीज जितनी जल्दी पकड़ी जाए, उतना आसान है उसका इलाज। देर की तो अंगों को नुकसान तय है।”
डायबिटीज से डरने की नहीं, समझदारी से लड़ने की जरूरत है।
समय पर टेस्ट कराएं, भोजन में सुधार करें और एक्टिव रहें। छोटे-छोटे बदलाव, बड़ा अंतर ला सकते हैं। याद रखें ज्यादा प्यास, पेशाब और थकान इग्नोर न करें ये डायबिटीज के अलार्म हो सकते हैं!