UP में अगले 6 महीने तक कर्मचारियों के हड़ताल करने पर रोक!: सरकार ने लगाया ESMA; जानें क्या है ESMA औऱ लगने वाली पाबंदियां_एक नज़र
UP में अगले 6 महीने तक कर्मचारियों के हड़ताल करने पर रोक!

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की हड़तालों पर योगी सरकार ने बड़ा और कड़ा फैसला लिया है। प्रदेश में अगले 6 महीनों तक किसी भी तरह की हड़ताल, बंदी, धरना, प्रदर्शन और सामूहिक अवकाश पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। सरकार ने यह पाबंदी आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम (ESMA) 1966 के तहत लागू की है। आदेश जारी होते ही यह नियम प्रदेश के सभी सरकारी दफ्तरों, निगमों, प्राधिकरणों और स्थानीय निकायों पर तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।

क्यों उठाना पड़ा इतना सख्त कदम?

आपको बता दें कि सरकार का साफ कहना है कि हाल के दिनों में अलग-अलग विभागों में हड़ताल और आंदोलन की चेतावनियों से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होने लगा था। स्वास्थ्य, बिजली, पानी, परिवहन, सफाई और प्रशासन जैसी जरूरी सेवाओं में रुकावट से आम लोगों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही थी। आने वाले त्योहारी सीजन, विधानसभा सत्र और विकास परियोजनाओं को देखते हुए सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी।

आदेश में क्या कहा गया है?

गौरतलब है कि नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के प्रमुख सचिव एम. देवराज द्वारा जारी अधिसूचना में साफ निर्देश दिए गए हैं कि :

●कोई भी सरकारी कर्मचारी हड़ताल की घोषणा नहीं करेगा

●किसी आंदोलन, धरना या सामूहिक अवकाश में शामिल नहीं होगा

●नियम तोड़ने पर ESMA के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी

ESMA के तहत निलंबन, विभागीय कार्रवाई और अन्य दंड का प्रावधान है।

जानें क्या है ESMA?

आपको बता दें कि ESMA यानी आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम, 1966 एक ऐसा कानून है, जिसके तहत सरकार जरूरी सेवाओं में काम करने वाले कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगा सकती है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि आम जनता से जुड़ी मूलभूत सेवाएं किसी भी हालत में बाधित न हों।

किन पर लागू होगा ESMA?

विदित है कि यह पाबंदी प्रदेश सरकार के नियंत्रण वाले लगभग सभी संस्थानों पर लागू होगी, जिनमें शामिल हैं -

●सभी सरकारी विभाग

●सरकारी निगम और विकास प्राधिकरण

●नगर निगम और स्थानीय निकाय

●आवश्यक सेवाओं से जुड़े सभी कर्मचारी

●अब धरना, प्रदर्शन या सामूहिक छुट्टी भी हड़ताल मानी जाएगी।

कर्मचारियों को सरकार का संदेश

सरकार ने कर्मचारियों से अपील की है कि वे अपनी मांगें बातचीत और संवाद के जरिए रखें, न कि हड़ताल के माध्यम से। सरकार का कहना है कि यह फैसला किसी की आवाज दबाने के लिए नहीं, बल्कि जनहित और सेवाओं की निरंतरता बनाए रखने के लिए जरूरी था।

असली वजह क्या है?

सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में बिजली विभाग और शिक्षक संगठनों की ओर से बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई थी। इसी के साथ प्रशासनिक कामकाज और विकास कार्यों को बिना बाधा आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने पहले ही सख्ती दिखा दी।

योगी सरकार का यह फैसला साफ संदेश देता है कि यूपी में अब सेवाएं नहीं रुकेंगे, हड़ताल नहीं, संवाद होगा। और जनता की जरूरतें सबसे पहले होगी। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और कर्मचारी संगठनों के बीच यह टकराव टकराव बनेगा या समाधान की राह खोलेगा।

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