राजनीति: दुनिया की नजरें इस वक्त दिल्ली पर टिकी हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार शाम ऐतिहासिक दौरे पर भारत पहुंच गए। यह पुतिन का 2021 के बाद पहला भारत दौरा है, और यह उस समय हो रहा है जब अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते तनाव के सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। भारत पर 50% भारी शुल्क लगाने के अमेरिकी फैसले के बाद, मोदी-पुतिन की यह मुलाकात वैश्विक राजनीति के लिए एक बड़ा सन्देश है। पीएम मोदी ने पुतिन का प्राइवेट डिनर के साथ स्वागत किया, लेकिन असली कार्रवाई शुक्रवार को होगी। आइये समझते हैं 10 बड़े बिंदुओं में कि क्या है एजेंडा, और क्यों यह दौरा इतना अहम है।
1. युद्ध के बीच दोस्ती का दौरा: 'यूक्रेन संकट' पर मोदी से मदद की उम्मीद :
आपको बता दें कि यूरोपीय देशों ने भारत से अपील की है कि वह पुतिन पर यूक्रेन युद्ध खत्म करने का दबाव बनाए। माना जा रहा है कि पुतिन, मोदी को अमेरिका की शांति पहलों से भी अवगत कराएंगे। भारत लगातार कहता रहा है कि शांति का रास्ता केवल बातचीत से निकलेगा।
2. तेल और सैन्य सौदों की 'मजबूरी'
गौरतलब है कि भारत रूस से सालाना 65 अरब डॉलर का तेल और सामान खरीदता है, जबकि रूस भारत से महज 5 अरब डॉलर का सामान लेता है। यानी व्यापार घाटा 60 अरब डॉलर! भारत इस घाटे को कम करने के लिए रूस को फार्मा, कृषि, खाद्य उत्पाद जैसी चीजें ज्यादा बेचना चाहता है। साथ ही, S-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी और भविष्य के रक्षा सौदों पर भी चर्चा होगी।
3. 'Su-57 फाइटर जेट' का हो सकता सौदा
क्रेमलिन ने संकेत दिया है कि बातचीत में पांचवीं पीढ़ी के Su-57 स्टील्थ फाइटर जेट की भारत को आपूर्ति का मुद्दा उठ सकता है। भारत इस वक्त राफेल, F-21 जैसे विकल्पों का मूल्यांकन कर रहा है। क्या भारत-रूस रक्षा साझेदारी में यह नया अध्याय जुड़ेगा?
4. अमेरिकी शुल्क का साया और रूसी 'सुरक्षा कवच'
विदित है कि अमेरिका ने भारतीय सामानों पर 50% शुल्क लगाया है, जिसमें रूसी तेल खरीदने की वजह से 25% अतिरिक्त टैक्स भी शामिल है। ऐसे में भारत चाहता है कि द्विपक्षीय व्यापार को बाहरी दबावों से सुरक्षित रखा जाए। क्या दोनों देश एक नई व्यापारिक मुद्रा या तंत्र पर सहमत होंगे?
5. 'छोटे परमाणु रिएक्टर' और ऊर्जा सहयोग
चर्चा का एक दिलचस्प मुद्दा 'स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स' (SMRs) में सहयोग हो सकता है। ये छोटे, अधिक सुरक्षित परमाणु रिएक्टर भारत की ऊर्जा जरूरतों के लिए एक नया रास्ता खोल सकते हैं।
6. उर्वरक और खाद्य सुरक्षा का गठजोड़
आपकी जानकारी के लिए बता देब कि रूस हर साल भारत को 30-40 लाख टन उर्वरक की आपूर्ति करता है। खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्पादन को स्थिर रखने के लिए यह सहयोग और मजबूत होगा। इस पर नई समझौते हो सकते हैं।
7. भारतीय श्रमिकों का रूसी रास्ता
दोनों देश भारतीय श्रमिकों के रूस में आवागमन और रोजगार को आसान बनाने के लिए एक प्रवासन समझौते पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। यह द्विपक्षीय संबंधों में 'लोगों से लोगों' का जुड़ाव बढ़ाएगा।
8. व्यापार का नया 'फ्री ट्रेड रोड'
भारत, यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को जल्द अंतिम रूप देना चाहता है। यह भारतीय निर्यात के लिए एक विशाल बाजार खोलेगा और व्यापार घाटे को कम करने में मदद करेगा।
9. 28 घंटे का दौरा, भरा-पूरा एजेंडा :
आपको बता दें कि पुतिन की यात्रा महज 28 घंटे की है, लेकिन कार्यक्रम भरपूर हैं: शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत, हैदराबाद हाउस में दोपहर का भोज, 23वीं शिखर वार्ता, और राजघाट पर श्रद्धांजलि। शाम को राष्ट्रपति मुर्मू राजकीय भोज देंगी, और उसके बाद पुतिन रवाना हो जाएंगे।
10. मार्शल आर्ट्स का 'ब्लैक बेल्ट' राष्ट्रपति
विदित है कि पुतिन सिर्फ एक कूटनीतिज्ञ नहीं, बल्कि एक प्रैक्टिसिंग मार्शल आर्टिस्ट हैं। 11 साल की उम्र से जूडो सीख रहे पुतिन के पास 8वीं डैन का ब्लैक बेल्ट है। उनकी यह अनुशासित और रणनीतिक छवि उनकी राजनीतिक शैली में भी साफ झलकती है।
कुल मिलाकर यह दौरा एक संदेश है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए स्वतंत्र विदेश नीति पर डटा रहेगा। चाहे अमेरिका नाराज ही क्यों न हो। मोदी-पुतिन की केमिस्ट्री एक बार फिर वैश्विक गलियारों में चर्चा का विषय बनेगी। यह बैठक न सिर्फ रक्षा और व्यापार, बल्कि एक नए बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के निर्माण का संकेत है।