EVM जाँच में बड़ा बदलाव!: सवाल उठाने वालों को देना होगा सबूत और...जानें कौन कौन से नियमों में हुआ बदलाव
EVM जाँच में बड़ा बदलाव!

नई दिल्ली : भारत की चुनावी राजनीति में बार-बार उठने वाले EVM में गड़बड़ी का विवादित सवाल अब इतिहास बनने वाला है। चुनाव आयोग ने Electronic Voting Machine (EVM) की जांच के नियमों में ऐसा बड़ा बदलाव किया है कि अब कोई भी उम्मीदवार सिर्फ आरोप नहीं लगा सकेगा, उसे पुख्ता जांच करवानी पड़ेगी और जेब से पैसा भी देना होगा। यह नियम सिर्फ राजनीति नहीं, चुनावी ईमानदारी और लोकतंत्र की साख को बचाने की दिशा में सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है।

अब दूसरे और तीसरे नंबर के उम्मीदवार भी करवा सकेंगे EVM की जांच! :

आपको बता दें कि अब तक सिर्फ मामूली स्तर पर EVM की जांच होती थी, वो भी केवल कुछ लोगों तक सीमित थी। अब दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार भी EVM जांच के लिए आवेदन कर सकते हैं। वे चाहें तो मॉक पोल (डेमो वोटिंग) भी करवा सकते हैं। जानकारी के अनुसार हर विधानसभा सीट में 5% EVM की जांच की अनुमति दी गई है।

अब EVM जांच फ्री नहीं – देना होगा शुल्क :

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने हाल ही में जो नियम लागू किए हैं, उसके मुताबिक सिर्फ EVM जांच    का शुल्क ₹23,600 (18% GST सहित) औऱ EVM + मॉक पोल का मूल्य    ₹47,200 निर्धारित किया गया है। यह राशि EVM बनाने वाली कंपनियों BEL या ECIL को देनी होगी।

अगर गड़बड़ी साबित हुई – तो पैसे वापस! :

आपको बता दें कि अगर जांच में यह साबित हो जाए कि EVM में वाकई गड़बड़ी थी, तो पूरा पैसा लौटाया जाएगा। खर्च का भुगतान राज्य या केंद्र सरकार करेगी  यह इस पर निर्भर करेगा कि चुनाव किस स्तर का था।

जांच के लिए कब और कैसे आवेदन करें? :

जानकारी के अनुसार चुनाव नतीजे आने के 7 दिन के भीतर आवेदन देना होगा। उसके बाद राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी आवेदन स्वीकार करेंगे। उन्हें यह जानकारी EVM निर्माता कंपनियों को 15 दिन के भीतर भेजनी होगी (पहले 30 दिन थे)।

अब चुनावी वीडियो-फोटो सिर्फ 45 दिन तक ही रहेंगे सुरक्षित :

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चुनाव आयोग ने एक और बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि चुनावों के दौरान ली गई वीडियो रिकॉर्डिंग और तस्वीरें अब सिर्फ 45 दिन तक सुरक्षित रखी जाएंगी। पहले यह रिकॉर्ड 6 महीने से 1 साल तक रखे जाते थे। अगर कोई चुनाव याचिका दायर होती है, तो रिकॉर्ड याचिका निपटने तक सुरक्षित रहेगा। सूत्रों के अनुसार यह नियम बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से लागू हो सकता है।

क्यों बदला गया नियम? :

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने बताया कि हाल के चुनावों में कुछ लोगों ने वीडियो और तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ करके उन्हें सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया, जिससे झूठी सूचनाएं फैलीं। 30 मई को चुनाव आयोग ने सभी राज्यों को पत्र भेजकर कहा: "गैर-प्रतिभागी तत्व चुनावी सामग्री का दुरुपयोग कर रहे हैं, जिससे अफवाहें और दुर्भावनापूर्ण प्रचार हो रहा है। इसे रोकना जरूरी है।"

EVM की जांच का नया सिस्टम; पारदर्शिता की ओर मजबूत कदम :

आपको बता दें कि नए नियमों से आरोप लगाने वालों पर नियंत्रण होगा। जो भी उम्मीदवार EVM में छेड़छाड़ का आरोप लगाएगा, अब उसे सबूत और जांच की प्रक्रिया से गुजरना होगा। इससे चुनाव प्रक्रिया और ज्यादा पारदर्शी और जवाबदेह होगी।

अब EVM पर 'राजनीतिक ड्रामा' नहीं चलेगा। सिर्फ आरोप की जगह अब जांच करवाओ, पैसा लगाओ और फिर आरोप लगाओ चुनाव आयोग पर। इससे EVM को लेकर फैलाई जाने वाली अफवाहों पर अब लगाम लगेगी। चुनाव आयोग ने पारदर्शिता और जवाबदेही का नया मॉडल पेश किया है। आने वाले चुनावों में अब उम्मीदवार सोच-समझकर EVM पर सवाल उठाएंगे, क्योंकि अब बात सिर्फ बयानबाज़ी की नहीं, सीधे जेब पर पड़ने वाली है।

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