नई दिल्ली : 2025 के पांच विधानसभा उपचुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) ने धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए दो सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) को एक-एक सीट से संतोष करना पड़ा है। इन चुनावों के नतीजों ने 2027 के महासंग्राम से पहले सियासी हलचलें तेज़ कर दी हैं।
AAP का डबल अटैक: गुजरात और पंजाब में जीत -
आपको बता दें कि गुजरात की विसावदर सीट से AAP के गोपाल इटालिया ने भाजपा के किरीट पटेल को 17,554 वोटों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की। यह सीट AAP विधायक के इस्तीफे से खाली हुई थी। पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीट भी AAP के पास बनी रही। संजीव अरोड़ा ने कांग्रेस के भारत भूषण आशु को 10,637 वोटों से पटखनी दी। केजरीवाल ने इसे 2027 का सेमीफाइनल बताते हुए कहा, “अब जनता BJP और कांग्रेस दोनों से तंग आ चुकी है।”
BJP ने बचाई कडी सीट, कांग्रेस अध्यक्ष का इस्तीफा :
गौरतलब है कि कडी सीट (गुजरात) पर BJP के राजेंद्र चावड़ा ने कांग्रेस के रमेश चावड़ा को 39,452 वोटों से हरा दिया। इस हार के बाद कांग्रेस के गुजरात अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया।
केरल में कांग्रेस ने मारी बाज़ी, एलडीएफ को फिर झटका :
आपको बता दें कि नीलांबुर सीट (केरल) से कांग्रेस गठबंधन UDF के आर्यदान शौकत ने CPM के एम स्वराज को 11,077 वोटों से हराया। यह केरल की वाम सरकार को लगातार चौथा उपचुनावी झटका है, जिससे विजयन सरकार की लोकप्रियता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
टीएमसी ने बंगाल में फिर दिखाया दम :
जानकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल की कालीगंज सीट पर अलीफा अहमद ने भाजपा के आशीष घोष को 50,049 वोटों के बड़े अंतर से हराया। अलीफा को 1,02,759 वोट, जबकि भाजपा के घोष को 52,710 वोट ही मिले।
उपचुनाव का सियासी गणित :
इस उपचुनाव में AAP के खाते में 2 सीट आयी, वहीं BJP, कांग्रेस, TMC ने 1-1 सीट पर जीत दर्ज की
क्या कहता है नतीजों का संकेत? :
विदित है कि AAP का प्रदर्शन बताता है कि गुजरात और पंजाब में उसकी पकड़ मज़बूत हो रही है। कांग्रेस ने केरल में मोर्चा मारा लेकिन गुजरात में बुरी तरह हारी। BJP अपनी पारंपरिक सीट कडी तो बचा पाई, लेकिन विसावदर गंवा बैठी। TMC ने बंगाल में अपने गढ़ को मजबूती से बचाया।
इन उपचुनावों के नतीजे छोटे जरूर हैं, लेकिन संकेत बड़े हैं। AAP जहां खुद को भाजपा-कांग्रेस के विकल्प के तौर पर पेश कर रही है, वहीं कांग्रेस को क्षेत्रीय मजबूती और राष्ट्रीय कमजोरी से जूझना पड़ रहा है।
भाजपा के लिए भी यह संकेत है कि 2027 की लड़ाई आसान नहीं होने वाली।