लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को बहुत जल्द एक जबरदस्त झटका लग सकता है। प्रदेश सरकार के अधीन उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने सोमवार को राज्य विद्युत नियामक आयोग (UPERC) में एक संशोधित वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) प्रस्ताव दाखिल किया है, जिसमें 2025-26 में बिजली दरों में करीब 30% की बढ़ोतरी का अनुमान जताया गया है। और यह वृद्धि केवल अनुमान नहीं, बल्कि बिजली इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी दर वृद्धि हो सकती है।
कॉरपोरेशन ने साफ तौर पर कहा है कि अब घाटे की भरपाई सरकार या विभाग से नहीं बल्कि जनता की जेब से होगी।
19600 करोड़ के घाटे का जनता से वसूलने की तैयारी:
रिपोर्ट के अनुसार UPPCL द्वारा दाखिल संशोधित ARR में यह दावा किया गया है कि वर्ष 2025-26 में राजस्व अंतर (revenue gap) बढ़कर 19,600 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। यह घाटा तब आया जब पिछले साल के लिए अनुमानित गैप 9,200 करोड़ रुपये बताया गया था। यानी घाटे का ग्राफ दोगुना हो चुका है, और बिजली विभाग अब इसकी भरपाई दरों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी से करना चाहता है।
कॉरपोरेशन ने जोर देकर कहा कि अब तक जो ARR दाखिल होते थे, उनमें तमाम खर्च छुपाए जाते थे। लेकिन इस बार "असल खर्चों और असल वसूली" के आधार पर पूरा लेखा-जोखा आयोग को सौंपा गया है।
बिजली चोरी और वसूली में विफलता का खामियाजा अब सीधे आम आदमी पर:
आपको बता दें कि 54 लाख ग्राहकों ने एक बार भी बिजली का बिल नहीं भरा है, जबकि 78 लाख उपभोक्ताओं ने पिछले 6 माह से भुगतान नहीं किया है। इन दोनों वर्गों पर 72,470 करोड़ ₹ रुपये से ज्यादा का बकाया है। पावर कॉरपोरेशन का कहना है कि पूरा 100% बिल वसूली संभव नहीं है, इसलिए अब हर उपभोक्ता को सामूहिक रूप से इसकी भरपाई करनी पड़ेगी।
इसके अलावा 10% से ज्यादा ट्रांसफॉर्मर अभी भी खराब रहते हैं, और तकनीकी हानियां ग्रामीण इलाकों में 50% से अधिक हैं। लेकिन इनके सुधार की जगह बिजली कंपनियां अब दरें बढ़ाकर सिस्टम की असफलता का बोझ आम लोगों पर डालना चाहती हैं।
बिजली खर्च और राजस्व में टकराव का सीधा बोझ जनता पर:
बिजली विभाग के दिये गए आंकड़ों के हिसाब से :
●वित्त वर्ष 2023-24 में बिजली कंपनियों का कुल खर्चा: ₹1.07 लाख करोड़
●प्राप्त राजस्व: ₹67,955 करोड़
●राजस्व अंतर (कैश गैप): ₹39,254 करोड़
●सरकार की सब्सिडी: ₹19,494 करोड़
●अनुदान: ₹13,850 करोड़
●फिर भी बचा घाटा: ₹5,910 करोड़, जिसे लोन लेकर पूरा किया गया
रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2024 तक कुल घाटा 1.10 लाख करोड़ रुपये पार कर चुका है, और ये आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि अब कॉरपोरेशन जनता से वसूली करने की नीति अपनाने जा रहा है।
विरोध की लहर तेज, सरकार पर 'प्राइवेट घरानों' को लाभ पहुंचाने का आरोप:
गौरतलब है कि ऊर्जा और उपभोक्ता संगठनों ने बिजली दरों में प्रस्तावित 30% की बढ़ोतरी का कड़ा विरोध किया है। उनका आरोप है कि सरकार और बिजली कंपनियां इस बढ़ोतरी के जरिए निजी बिजली उत्पादकों और ठेकेदारों को फायदा पहुंचा रही हैं, जबकि आम जनता को हर साल रेट बढाकर लूटा जा रहा है।
आखिर जनता कब तक भुगतेगी बिजली तंत्र की नाकामी:
विदित है कि बिजली विभाग का 8.3% की दर से खर्च बढ़ा है लेकिन राजस्व 6.7% की दर से ही बढ़ा है।
वहीं विभाग का हर साल 12.4% की दर से घाटा बढ़ता गया लेकिन उसकी कोई जवाबदेही नहीं है। हर साल सैकड़ों करोड़ के लोन दिए जा रहें है लेकिन सुधार नदारद है।
इन आंकड़ों से यह साफ हो गया है कि बिजली विभाग की विफलताओं की कीमत अब सीधे घर-घर बिजली के महंगे बिलों के रूप में वसूली जाएगी। सवाल यह है कि जब वसूली नहीं हो पा रही, बिजली चोरी नहीं रुक रही, तब क्या सिर्फ ईमानदारी से बिल चुकाने वाले उपभोक्ताओं को ही इसकी सजा दी जाएगी?
अब आगे क्या? :
विदित है कि विद्युत नियामक आयोग के सामने प्रस्ताव गया है। अगर इसे मंजूरी मिलती है तो 2025/2026 में बिजली की दरों में सीधे 30 परसेंट तक वृद्धि हो सकती हैं। यानी जहां आज 5 ₹ यूनिट के हिसाब से बिल आता है, वो बढ़कर 7 ₹ तक या उससे ज्यादा हो सकता है।
यूपी के करोड़ों उपभोक्ताओं के लिए यह सिर्फ एक बिजली बिल नहीं, बल्कि एक ‘आर्थिक झटका’ भी साबित हो सकता है।