नोएडा: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ट्रैफिक और ट्रांसपोर्ट प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव की नींव पड़ चुकी है। नोएडा से लेकर गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर और हापुड़ तक की यात्रा आने वाले वर्षों में और अधिक सहज, स्मार्ट और प्रदूषण रहित होने जा रही है। इसकी तैयारी रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान (CMP) के तहत की जा रही है, जो आगामी 50 वर्षों के लिए इस क्षेत्र की ट्रैफिक, यात्रा और इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरतों का रोडमैप तय करेगा।
क्या है CMP? क्या-क्या होंगे इसमें शामिल:
आपको बता दें कि यह कम्प्रीहेंसिव मोबिलिटी प्लान जिसे शार्ट में CMP कहतें हैं कोई सामान्य ट्रैफिक प्लान नहीं है, बल्कि यह एक स्ट्रैटेजिक मास्टर प्लान है जिसमें मेट्रो नेटवर्क विस्तार, ई-वाहनों की प्राथमिकता, मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी, पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों के लिए ज़ोन, स्मार्ट पार्किंग व्यवस्था, और बस टर्मिनल से लेकर EV चार्जिंग हब तक सभी पहलुओं को समाहित किया जाएगा।
नोएडा बना मॉडल सिटी, CMP की पहल यहीं से:
जानकारी के अनुसार नोएडा को इस परियोजना के लिए मॉडल सिटी के रूप में चुना गया है। नोएडा अथॉरिटी ने पहले ही CMP तैयार करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। नोएडा के अनुभव को आधार बनाकर बाद में इसे पूरे वेस्ट यूपी में लागू किया जाएगा। इसकी निगरानी उत्तर प्रदेश सरकार और NCRPB (नेशनल कैपिटल रीजन प्लानिंग बोर्ड) द्वारा की जा रही है। इसका उद्देश्य दिल्ली से सटे इलाकों में भीड़भाड़ कम करना और यात्रा को सुगम बनाना है।
नौ चरणों में तैयार होगा CMP का खाका:
गौरतलब है कि इस योजना को 9 चरणों में लागू किया जाएगा। शुरुआत में मौजूदा सड़कों, ट्रैफिक मूवमेंट, मेट्रो स्टेशनों, बस रूट्स, पार्किंग की उपलब्धता, पैदल यात्रियों और साइकिल चालकों की संख्या, औद्योगिक हब, रेजिडेंशियल इलाकों और आगामी योजनाओं का डेटा इकट्ठा किया जाएगा। इसके बाद भविष्य की जरूरतों के आधार पर तकनीकी विश्लेषण करके एक फेजवाइज कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
इस योजना के तहत नोएडा, ग्रेटर नोएडा और दिल्ली को जोड़ने वाले हाइवे और एक्सप्रेसवे को भी डिजिटल सिग्नल, ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम, और इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (ITS) से लैस किया जाएगा।
CMP के लिए विशेषज्ञ कंपनी की तलाश :
जानकारी के अनुसार इस मेगाप्लान को तैयार करने के लिए नोएडा अथॉरिटी ने एक कंसल्टेंसी एजेंसी को नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहले राउंड में कोई भी उपयुक्त फर्म सामने नहीं आई थी, लेकिन अब संशोधित Request for Proposal (RFP) जारी कर दी गई है। सरकार की कोशिश है कि किसी अनुभवी और अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्था को यह ज़िम्मेदारी दी जाए, जो CMP को न केवल तकनीकी रूप से बल्कि ज़मीनी हकीकत से भी जोड़ सके।
CMP से जुड़ेंगे कई मेगाप्रोजेक्ट्स:
आपको बता दें कि इस मेगाप्लान को नोएडा और आसपास के बड़े-बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से जोड़ा जाएगा, जैसे–
●नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर)
●फिल्म सिटी
●मेडिकल डिवाइस पार्क
●न्यू नोएडा औद्योगिक क्षेत्र
●यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एरिया
इन सभी योजनाओं को इस प्लान के तहत एकीकृत ट्रांसपोर्ट नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, जिससे आर्थिक विकास को भी नई रफ्तार मिलेगी।
पर्यावरण को राहत, नागरिकों को सुगमता:
जानकारी के अनुसार इस प्लान का एक बड़ा फोकस हरित और टिकाऊ परिवहन प्रणाली पर भी है। इस योजना में ई-वाहनों को बढ़ावा देने, चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने, सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता देने और पैदल तथा साइकिल यात्रा को बढ़ाने जैसे उपाय शामिल हैं। इससे शहरों में वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और ट्रैफिक जाम की समस्या में भारी गिरावट की उम्मीद है।
एक दृष्टि, जो भविष्य की यात्रा को परिभाषित करेगी:
विदित है कि यह मेगाप्लान महज़ एक योजना नहीं, बल्कि आने वाले पचास वर्षों की यात्रा प्रणाली की री-डिज़ाइनिंग है। इसका मकसद न सिर्फ जाम से निजात दिलाना है, बल्कि यह एक समग्र शहरी योजना है जो आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास को एक ही फ्रेमवर्क में समाहित करती है।
यदि सब कुछ योजना के मुताबिक चला, तो अगले कुछ वर्षों में नोएडा और पूरा वेस्ट यूपी एक स्मार्ट, ग्रीन और ट्रैफिक-मुक्त क्षेत्र के रूप में उभर सकता है। यह CMP न केवल NCR क्षेत्र के दबाव को कम करेगा, बल्कि वेस्ट यूपी की पहचान को भी नई दिशा और वैश्विक स्तर की मान्यता दिला सकता है।