608 करोड़ की एलिवेटेड रोड और 304 करोड़ का प्रशासनिक भवन, लाएंगे नोएडा में क्रांति!: लाखों लोगों को मिलेगी जाम से मुक्ति तो वही? जानें और क्या होंगे मुख्य बदलाव
608 करोड़ की एलिवेटेड रोड और 304 करोड़ का प्रशासनिक भवन, लाएंगे नोएडा में क्रांति!

 नोएडा: नोएडा के लोगों के लिये खुशियां आने वाली है। नोएडा में दो बहुप्रतीक्षित और करोड़ों की लागत से बनी परियोजनाएं अब दो महीने के भीतर जनता के हवाले होने जा रही हैं। पहली भंगेल एलिवेटेड रोड, जो ट्रैफिक जाम के स्थायी इलाज के रूप में सामने आ रही है, और दूसरी सेक्टर 96 स्थित नया प्रशासनिक भवन, जो नोएडा प्राधिकरण की कार्यशैली को पूरी तरह बदलने वाला है।

608 करोड़ की एलिवेटेड रोड: रफ्तार की पहचान बनेगा DSC कॉरिडोर:

गौरतलब है कि दादरी-सूरजपुर-छलेरा (DSC) मार्ग पर बना 5.5 किलोमीटर लंबा छह लेन का एलिवेटेड कॉरिडोर अब आखिरी चरण में है। अगाहपुर से सेक्टर-110 तक जुड़ने वाला यह हाईवे अब नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच 'स्मूद कनेक्टिविटी' का नया चैप्टर लिखने जा रहा है। पहले 468 करोड़ की लागत से शुरू हुई यह परियोजना अब 608 करोड़ में पहुंच चुकी है।

यह कॉरिडोर नोएडा स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (NSEZ) से सेक्टर 82, 110, भंगेल, बरौला और छलेरा जैसे भीड़ भरे इलाकों को बाईपास करेगा। यानी बाजारों से होकर गुजरने का झंझट खत्म हो जाएगा और जाम से पूरी तरह से मुक्ति भी मिले जाएगा।

निर्माण में बाधाएं बनीं बजट:

आपको बता दें कि इस एलिवेटेड रोड को पहले दिसंबर 2022 में पूरा होना था, लेकिन काम में देरी, इमारतों की बाधा और बजट संकट ने इसकी डेडलाइन को दिसंबर 2024 तक खींच दिया। बरौला क्रॉसिंग के पास 60 मीटर लंबे स्टील गर्डर और डेक स्लैब का काम अब अंतिम चरण में है। नोएडा प्राधिकरण ने इसे जुलाई 2025 से पहले चालू करने का संकल्प लिया है।

सेक्टर 96 में प्रशासनिक भवन: एक ही छत के नीचे सारे ऑफिसर:

विदित है कि दूसरी बड़ी परियोजना है नोएडा प्राधिकरण का नया मुख्यालय, जो सेक्टर 96 में छह एकड़ में फैला, अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस बहुमंजिला प्रशासनिक भवन है। 2009 में सोच और 2015 में शुरू हुआ यह सपना अब दो महीने में साकार होने वाला है।

ग्राउंड फ्लोर पर CEO का ऑफिस, ऊपर सभी विभाग, और आधुनिक मीटिंग हॉल के साथ यह बिल्डिंग अब एक ही छत के नीचे पूरी अफसरशाही को समेटेगी। इससे न केवल फाइलों की रफ्तार बढ़ेगी, बल्कि जन शिकायतों का निपटारा भी तेज़ होगा।

भ्रष्टाचार और देरी ने भी रोका रास्ता:

विदित है कि पहले ठेकेदार की लापरवाही, घटिया निर्माण और 451 दिनों की देरी ने इस परियोजना को अधर में डाल दिया था। 2023 में आईआईटी दिल्ली की ऑडिट रिपोर्ट ने डिजाइन में गंभीर खामियां उजागर कीं, जिसके बाद बजट भी 478 करोड़ से घटाकर 304 करोड़ कर दिया गया। अब नए ठेकेदार और नई उम्मीद के साथ यह इमारत अपने अंतिम रूप में है।

नोएडा के लिए 'डबल फायदा': ट्रैफिक मुक्त शहर और तेज़ प्रशासन:

आपको बता दें कि नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम. ने कहा कि "ये दोनों परियोजनाएं शहर को एक नई दिशा देंगी। एक ओर जाम से राहत मिलेगी, तो दूसरी ओर प्रशासनिक कार्यों में अभूतपूर्व तेजी आएगी।"

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