ISS पर जानें वाले पहले भारतीय बनें शुभांशु शुक्ला!: 41 साल बाद अंतरिक्ष मे लहराया तिरंगा, जानें क्या है ISS और क्या हैं Axiom मिशन
ISS पर जानें वाले पहले भारतीय बनें शुभांशु शुक्ला!

लखनऊ/फ्लोरिडा : अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान के लिए भारतीयों को गर्व करने का एक और मौका मिला है। कल 25 जून को 12 बजे रवाना हुआ स्पेसक्राफ्ट आज शाम 4:01 PM ISS में पहुँच गया। इस दौरान शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पहुँचने वाले पहले भारतीय बन गए। आपको बता दें कि 41 साल बाद भारत का कोई व्यक्ति फिर से अंतरिक्ष में पहुंचा है। इससे पहले राकेश शर्मा ने 1984 में रूस की मदद से अंतरिक्ष की सैर की थी। आज जैसे ही स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट ने उन्हें अंतरिक्ष में छोड़ा, भारत का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। 

“नमस्कार फ्रॉम स्पेस! तिरंगा मेरे साथ है” - शुभांशु की अंतरिक्ष से पहली आवाज :

आपको बता दें कि अंतरिक्ष में पहुंचते ही शुभांशु शुक्ला ने कहा कि - “नमस्कार फ्रॉम स्पेस! मेरे कंधे पर जो तिरंगा है, वो मुझे आप सबसे जोड़ता है। मैं अकेला नहीं, भारत मेरे साथ है।” यह शब्द न सिर्फ रॉकेट के भीतर गूंजे, बल्कि करोड़ों भारतीयों के दिलों में भी।

कौन हैं शुभांशु शुक्ला? :

गौरतलब है कि शुभांशु शुक्ला का जन्म लखनऊ में 1986 में हुआ था। उन्होनें NDA से पढ़ाई की और फिर भारतीय वायुसेना में फाइटर पायलट बने। वे एक्सियम स्पेस और नासा का संयुक्त मिशन Ax-4 से जुड़े। इसका लक्ष्य ISS (International Space Station) पर रिसर्च और टेक्नोलॉजी टेस्टिंग करने का है। इस मिशन पर जाने के साथ ही शुभांशु 41 साल बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय एस्ट्रोनॉट बन चुके हैं। शुभांशु ISRO के गगनयान मिशन के लिए भी चुने गए हैं।

क्या है मिशन एक्सियम-4 :

विदित है कि यह मिशन 25 जून 2025, भारतीय समयानुसार दोपहर 12 बजे नासा का कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से लांच हुआ। जिसके लिए स्पेसएक्स का फाल्कन-9 रॉकेट प्रयोग हुआ जिसमें ड्रैगन कैप्सूल जुड़ा था। यह यान 28.5 घंटे में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचेगा जिसमें कुल 4 एस्ट्रोनॉट्स जा रहें हैं जिनमें एक भारतीय – शुभांशु शुक्ला शामिल है।

6 बार टल चुका था मिशन! :

आपको बता दें कि यह मिशन लांच होने से पहले 6 बार विभिन कारणों जैसे कभी ड्रैगन तैयार नहीं था, कभी रॉकेट में तकनीकी दिक्कत,तो कभी मौसम खराब, ऑक्सीजन लीक, क्रू की सेहत, ISS मॉड्यूल का मूल्यांकन इत्यादि विभिन्न कारणों से टलता रहा लेकिन ऐस्ट्रोनॉट्स के जुनून के आगे आखिरकार सब रुकावटें खतम हो गईं।

अंतरिक्ष में क्या करेंगे शुभांशु? :

गौरतलब है कि शुभांशु 14 दिन तक ISS पर रहेंगें, यहाँ वे 7 भारतीय प्रयोग करेंगें जिसमे बायोलॉजिकल स्टडी, मानव स्वास्थ्य पर असर शामिल हैं। वहीं 5 NASA के प्रयोग करेंगें जिससे लॉन्ग टर्म स्पेस मिशन की तैयारी हो सके। बच्चों के प्रेरणा के लिए पृथ्वी पर बच्चों और युवाओं को वीडियो, मैसेज भेजेंगें। जस दौरान उनका PM मोदी से वीडियो कॉल की भी उम्मीद है।

भारत ने कितना खर्च किया? :

आपको बता दें कि भारत ने 548 करोड़ रुपये ट्रेनिंग, स्पेस सीट और उपकरण पर खर्च किये हैं। उनको ट्रेनिंग रूस और अमेरिका में मिली। यह अनुभव भारत के गगनयान मिशन 2027 के लिए बेशकीमती साबित होगा

भारत के लिए क्यों अहम है ये मिशन? :

●गगनयान मिशन के लिए अनुभव और डेटा मिलेगा

●अंतरिक्ष में भारतीय वैज्ञानिक सोच और कौशल का प्रदर्शन

●निजी स्पेस मिशनों में भारत की बढ़ती भागीदारी

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) क्या है? :

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ISS अंतरिक्ष में बना मानव निवास योग्य प्रयोगशाला है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की एक परिक्रमा करता है। यह 28,000 km/h की रफ्तार से चलता है। इसे 5 देशों की एजेंसियों ने मिलकर बनाया है। यहां वैज्ञानिक माइक्रोग्रैविटी में अनगिनत प्रयोग करते हैं

देश में उत्सव जैसा माहौल

लखनऊ में उनके मोहल्ले में जैसे त्योहार सा माहौल बन गया। पड़ोसी ढोल लेकर निकल पड़े, टीवी स्क्रीन पर बार-बार शुभांशु का चेहरा आ रहा था। उनकी मां ने नम आंखों से कहा, "ये सपना था, जो अब सच्चाई बन गया है।"

शुभांशु शुक्ला सिर्फ अंतरिक्ष में नहीं गए, वो करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों को वहां तक ले गए हैं। उनके कंधे पर लहराता तिरंगा इस बात का प्रतीक है कि भारत अब सिर्फ धरती पर ही नहीं, अंतरिक्ष में भी गर्व से खड़ा है।

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