नई दिल्ली : भारत में अब इंटरनेट की दुनिया में बड़ा बदलाव आने जा रहा है। एलन मस्क की बहुप्रतीक्षित कंपनी Starlink को आखिरकार भारत में उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाएं शुरू करने की इजाजत मिल गई है। देश के अंतरिक्ष नियामक IN-SPACe ने Starlink को "जनरेशन-1" सैटेलाइट कांस्टेलेशन के लिए आधिकारिक लाइसेंस जारी कर दिया है। इस फैसले के साथ अब एलन मस्क की कंपनी भारत के सुदूर ग्रामीण, पर्वतीय और सीमावर्ती इलाकों में बिना किसी मोबाइल टावर के हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा देने में सक्षम होगी। यह भारत में डिजिटल क्रांति की एक नई शुरुआत मानी जा रही है।
क्या है Starlink का "Gen1 कांस्टेलेशन"?
आपको बता दें कि Starlink का यह Gen1 नेटवर्क 4,408 सैटेलाइट्स का एक विशाल नेटवर्क है, जो 540 से 570 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं। यह नेटवर्क भारत में 600 गीगाबिट प्रति सेकेंड की गति से इंटरनेट डिलीवर करने की क्षमता रखता है।
कितनी वैधता और कब से?
गौरतलब है कि IN-SPACe द्वारा जारी लाइसेंस 8 जुलाई 2025 से 5 वर्षों के लिए वैध होगा। यह अवधि "Gen1" कांस्टेलेशन के संचालन तक या 5 वर्ष, जो भी पहले हो – तक सीमित रहेगी।
Starlink को अब क्या करना होगा?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हालांकि लाइसेंस मिलने के बावजूद Starlink को भारत में सेवाएं शुरू करने से पहले कुछ बड़ी शर्तें पूरी करनी होंगी:
1. स्पेक्ट्रम आवंटन – भारत सरकार से फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम हासिल करना होगा।
2. ग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर – देश में गेटवे स्टेशन और रिसीवर टर्मिनल्स लगाने होंगे।
3. सुरक्षा टेस्टिंग – सभी सिस्टम का सुरक्षा मानकों के अनुरूप परीक्षण जरूरी होगा।
2022 से था इंतजार :
गौरतलब है कि Starlink साल 2022 से भारत में वाणिज्यिक संचालन के लिए कोशिस में थी। इसे जून 2025 में दूरसंचार मंत्रालय से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई थी, लेकिन अंतिम मुहर अब जाकर IN-SPACe से मिली है। इसके साथ ही Jio Satellite Communications और OneWeb के बाद Starlink तीसरी कंपनी बन गई है जिसे भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देने की अनुमति मिली है।
क्या बदलेगा इस फैसले से?
इस फैसले से ग्रामीण भारत में ब्रॉडबैंड की पहुंच बढ़ेगी। सीमावर्ती इलाकों, जंगलों, पहाड़ों में भी अब इंटरनेट की सुविधा मिलेगी। ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन, डिजिटलीकरण को मिलेगा बढ़ावा। 5G नेटवर्क के विस्तार से पहले स्पेस आधारित इंटरनेट एक क्रांति की तरह होगी।
क्या है एक्सपर्ट्स की राय :
डिजिटल नीति विशेषज्ञ डॉ. अंशुल वर्मा के अनुसार : "Starlink की एंट्री भारत में इंटरनेट इन्क्लूजन का गेमचेंजर साबित हो सकती है। जहां जियो और एयरटेल नहीं पहुंच सके, वहां अब आसमान से इंटरनेट उतरेगा।”
डिजीटल इंडिया का सपना धरातल पर :
आपको बता दें कि भारत में अब इंटरनेट क्रांति की रफ्तार आसमान से तय होगी। एलन मस्क की Starlink को मिली यह मंजूरी न केवल तकनीकी दृष्टि से बड़ी जीत है, बल्कि यह ‘डिजिटल इंडिया’ के सपने को धरातल पर उतारने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। अब देखना यह है कि कंपनी कितनी तेजी से अपनी सेवाएं शुरू कर पाती है।
अब Starlink को भारत सरकार से स्पेक्ट्रम और सुरक्षा मंजूरी लेनी होगी। इसके बाद बिना किसी मोबाइल टावर के भारत के गांवों, स्कूलों, अस्पतालों और सैनिक चौकियों तक भी इंटरनेट पहुंच सकेगा।