नई दिल्ली/तेहरान: हाल ही में हुई एक सामरिक घटना नें अमेरिका और ईरान की नींद उड़ा दी है।। ईरान के परमाणु संयंत्र फोर्डो से 400 किलो संवर्धित यूरेनियम रहस्यमयी ढंग से गायब हो गया है और यही खबर आज इजरायल, अमेरिका और IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के गलियारों में खलबली मचा रही है।
10 परमाणु बम बनाने को काफी इतना यूरेनियम! :
जानकारों की मानें तो यह 60% संवर्धित यूरेनियम अगर 90% तक ले जाया जाए, तो इससे 10 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं! और यही डर अमेरिका और इजरायल को बेचैन कर रहा है। खास बात ये कि यह सब तब हुआ जब इजरायल-ईरान के बीच सीजफायर की बातचीत का माहौल बन रहा था।
क्या ईरान ने हमले से पहले चाल चली? :
गौरतलब है कि रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका द्वारा ईरान पर संभावित “बंकर बस्टर अटैक” की आशंका को भांपते हुए, ईरान ने इस संवर्धित यूरेनियम को फोर्डो प्लांट से हटा लिया और किसी गुप्त जगह पर शिफ्ट कर दिया। इस कदम को अब रणनीतिक रूप से बेहद गंभीर माना जा रहा है क्योंकि यह यूरेनियम अब ईरान की डिप्लोमैटिक ताकत बन सकता है, जिससे वो सौदेबाज़ी में मज़बूत स्थिति में होगा।
जानें कैसे निकलता यूरेनियम? :
आपको बता दें कि यूरेनियम को प्राप्त करनें में काफी दिक्कत का सामना किया जाता है। यह नेचुरल रेडियो-एक्टिव तत्व धरती की परतों में पाया जाता है और इसे निकालने के लिए वैज्ञानिक, औद्योगिक और सुरक्षा मानकों से भरी जटिल प्रक्रिया अपनानी होती है।
यूरेनियम का खनन दो तरीके से होता है
1. ओपन-पिट माइनिंग (खुली खदान)
2. अंडरग्राउंड माइनिंग (भूमिगत खनन)
इसके बाद चट्टानों को क्रश करके पाउडर बनाया जाता है, जिसे एसिड घोल में मिलाकर 'लीचिंग' की जाती है। फिर उसे साफ करके ठोस रूप में बदला जाता है जिसे "येलोकेक" (U3O8)" कहा जाता है। यही बेसिक फॉर्म होता है जिससे आगे एनरिचमेंट करके परमाणु ईंधन या बम बनाए जाते हैं।
गायब हुआ यूरेनियम कितना खतरनाक? :
विदित है कि अगर ये 400 किलो यूरेनियम किसी अज्ञात जगह पर है, तो इसका मतलब यह है कि ईरान के पास तुरंत बम बनाने की क्षमता है। और अमेरिका-इजरायल यही नहीं चाहते। बता दें, ईरान ने पहले ही 60% संवर्धन की सीमा पार कर ली है, जबकि अंतरराष्ट्रीय समझौते (JCPOA) में यह सीमा महज 3.67% थी। यानी ईरान ने अब सारी रेड लाइन्स पार कर ली हैं।
यूरेनियम में भारत की क्या है स्थिति? :
आपको बता दें कि भारत में भी यूरेनियम के बड़े भंडार खोजे जा चुके हैं। जिसमें आंध्र प्रदेश, झारखंड और मेघालय प्रमुख हैं। पिछले 5 सालों में भारत ने 93,000 टन इन-सीटू यूरेनियम संसाधन खोजे हैं, जिससे देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा।
अब दुनिया की नजरें तेहरान पर टिकी हैं। अगर अमेरिका या इजरायल को यह लगता है कि गायब यूरेनियम का इस्तेमाल परमाणु बम बनाने में किया जा रहा है, तो "सर्जिकल स्ट्राइक", साइबर अटैक या एयरस्ट्राइक" जैसे विकल्प सक्रिय हो सकते हैं। और अगर ऐसा हुआ तो ये सिर्फ मिडिल ईस्ट नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को संकट में डाल देगा।