नोएडा में कूड़े से मिलेगा ईंधन, पानी और खाद!: PPP मॉडल पर लगेगा इंटीग्रेटेड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट, वहीं रोज 300 टन...इस जगह लगेगा प्लांट
नोएडा में कूड़े से मिलेगा ईंधन, पानी और खाद!

नोएडा : अब नोएडा का कूड़ा सिर्फ बदबू नहीं, बल्कि बिजली, पानी और खेती में भी योगदान देगा। नोएडा अथॉरिटी एक ऐसा इंटीग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने जा रही है जो न केवल कूड़े से बिजली बनाएगा, बल्कि कार वॉशिंग, सिंचाई और निर्माण कार्यों के लिए साफ पानी भी देगा, और साथ ही इससे खाद यानी कंपोस्ट भी निकलेगा, जिससे खेती हो सकेगी। इस तकनीक को गोवा में पहले ही सफलतापूर्वक अपनाया जा चुका है, और अब नोएडा इसे पीपीपी मॉडल यानी पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के माध्यम से में लागू करने जा रहा है।

क्या है इस प्लांट की खासियत?

आपको बता दें कि यह प्लांट 300 टन प्रतिदिन (TDP) क्षमता का होगा। इस दौरान बायोगैस से बिजली बनेगी। वहीं गीले कचरे से कंपोस्ट (खाद) तैयार होगी। सूखे कचरे से रीसाइक्लिंग मटीरियल निकलेगा और उसके साथ ही लिचेड वॉटर को शोधित कर पानी का दोबारा उपयोग किया जाएगा। 100 टन कचरे से रोजाना 2 टन साफ पानी निकलेगा। यह पानी कार धोने, गार्डनिंग और बिल्डिंग निर्माण में इस्तेमाल होगा। इस दौरान हर दिन 7-8 टन कंपोस्ट यानी जैविक खाद भी तैयार होगी।

गोवा मॉडल से मिली प्रेरणा :

विदित है कि नोएडा के अधिकारी हाल ही में गोवा गए थे, जहां ऐसा ही प्लांट पहले से चल रहा है। वहां रोजाना 250 टन कचरा इस प्लांट में रिसाइकल किया जाता है और साथ ही 7-8 टन खाद बनाई जाती है। बिजली का उत्पादन होता है। साथ ही लीचेट को शोधित करके पानी दोबारा इस्तेमाल किया जाता है।

टेक्नोलॉजी कैसी है?

गौरतलब है कि गोवा के प्लांट की तर्ज पर, यहां जैविक और अकार्बनिक कचरे को अलग करके प्रक्रिया की जाएगी। जैविक कचरे से मीथेन युक्त बायोगैस निकाली जाएगी। फिर बायोगैस को विद्युत ऊर्जा में बदला जाएगा। लिचेड (कूड़े से निकला गंदा पानी) को एसटीपी (STP) में शुद्ध किया जाएगा।

पानी का इस्तेमाल और शोध :

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 100 टन कचरे से रोजाना करीब 2 टन शुद्ध पानी तैयार किया जा सकता है। इस पानी को कार वॉश, गार्डनिंग और बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन जैसे कार्यों में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए प्लांट के साथ एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) भी बनाया जाएगा।

कहां लगेगा प्लांट?

आपको बता दें कि यह मेगा प्लान्ट नोएडा के अस्तौली गांव में लगेगा। यह प्लांट पीपीपी मॉडल पर बनेगा यानी प्राइवेट कंपनी इसका संचालन करेगी। इसके बाद अथॉरिटी को तय अवधि बाद यह प्लांट हैंडओवर किया जाएगा। 

क्यों है ये ज़रूरी?

गौरतलब है कि नोएडा से रोजाना 1200 टन कचरा निकलता है। सेक्टर-145 में फिलहाल कचरे का निपटान किया जा रहा है। लेकिन 5 लाख टन पुराने कचरे के लिए नई कंपनी की भी तलाश जारी है। यह प्लांट आने वाले समय में नोएडा की स्वच्छता क्रांति का आधार बनेगा

नोएडा में अब कूड़े से हरियाली और संसाधन बनेगी। गोवा मॉडल की तर्ज पर बनने वाला यह प्लांट देश भर के लिए उदाहरण बन सकता है। नोएडा जल्द ही देश के उन गिने-चुने शहरों में शामिल होगा, जहां कचरे को पूरी तरह रिसाइकल करके बिजली, खाद और साफ पानी बनाया जाएगा। यह पहल न केवल शहर को साफ-सुथरा बनाएगी, बल्कि पर्यावरण की दिशा में भी एक बड़ी कामयाबी होगी।

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