दिल्ली का नाम होगा इंद्रप्रस्थ? नाम बदलने की मांग से गूंज उठी राजधानी!: जानिए इंद्रप्रस्थ का पौराणिक महत्त्व और नामकरण से पड़ने वाले प्रभाव?
दिल्ली का नाम होगा इंद्रप्रस्थ? नाम बदलने की मांग से गूंज उठी राजधानी!

राजनीति: देश की राजधानी अब एक बार फिर अपने प्राचीन स्वरूप की ओर लौटने की चर्चा में है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने दिल्ली सरकार के संस्कृति मंत्री को एक आधिकारिक पत्र लिखकर यह मांग की है कि दिल्ली का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ’ कर दिया जाए ताकि राजधानी को उसकी ऐतिहासिक और पौराणिक पहचान दोबारा मिल सके।
संगठन का कहना है कि “दिल्ली” नाम केवल 2000 साल पुराना है जबकि “इंद्रप्रस्थ” 5000 साल पुराने गौरवशाली इतिहास से जुड़ा है।

“जब हम ‘दिल्ली’ कहते हैं, तो 2,000 साल का इतिहास याद आता है लेकिन ‘इंद्रप्रस्थ’ शब्द सुनते ही 5,000 साल पुरानी सभ्यता का गर्व जगता है।”
-विश्व हिंदू परिषद का बयान

‘इंद्रप्रस्थ’: महाभारत की राजधानी

महाभारत काल में पांडवों की राजधानी “इंद्रप्रस्थ” मानी जाती है जो यमुना नदी के किनारे स्थित थी। पुरातत्व विशेषज्ञों के अनुसार आज का पुराना किला (Old Fort) वही स्थान है जहाँ इंद्रप्रस्थ नगरी बसाई गई थी। पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की खुदाई में मिले प्राचीन पात्रों, सिक्कों और बर्तनों से यह अनुमान और मजबूत होता है कि यह क्षेत्र वास्तव में महाभारतकालीन नगर रहा होगा।

राजनीतिक हलचल तेज:

VHP के इस प्रस्ताव ने राजधानी में राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है। BJP समर्थक संगठन इसे “सांस्कृतिक पुनर्जागरण” बता रहे हैं जबकि विपक्ष इसे “राजनीतिक एजेंडा” कह रहा है। AAP सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन सूत्रों के अनुसार इस प्रस्ताव पर आंतरिक समीक्षा चल रही है।

“नाम नहीं, पहचान बदलनी चाहिए और वह पहचान ‘इंद्रप्रस्थ’ ही है।”

  • सांस्कृतिक कार्यकर्ता संजीव नायक

दुनिया में भी लौटे प्राचीन नाम:

यह कोई पहली बार नहीं है जब किसी शहर ने अपने इतिहास की जड़ों की ओर वापसी की हो।

• कॉनस्टेंटिनोपल → इस्तांबुल (तुर्की)
• पर्सिया → ईरान
• बॉम्बे → मुंबई
• इलाहाबाद → प्रयागराज
• मुघलसराय → दीनदयाल उपाध्याय नगर
अब इसी सिलसिले में दिल्ली का नाम भी “इंद्रप्रस्थ” बनने की दिशा में चर्चा में है।

स्थानीय जनता की राय:

राजधानी में लोगों की राय बंटी हुई है
“नाम बदले या न बदले, अगर संस्कृति लौटे तो बेहतर।”
– राजेश मिश्रा, दिल्ली निवासी

“‘इंद्रप्रस्थ’ नाम सुनकर गर्व होता है, यह हमारे इतिहास की आत्मा है।”
– नेहा शर्मा, DU छात्रा

नाम बदलने की कीमत:

अगर सरकार ने यह निर्णय ले लिया तो इससे जुड़ी आर्थिक लागत भारी होगी, दिल्ली मेट्रो, रेलवे स्टेशन, सरकारी बोर्ड, वेबसाइट, दस्तावेज़ और टैक्स रिकॉर्ड्स में बदलाव।

टूरिज़्म डिपार्टमेंट के अनुमान के अनुसार, इससे करोड़ों रुपये का रीब्रांडिंग खर्च आ सकता है। लेकिन समर्थकों का कहना है “इतिहास की अस्मिता की कीमत पैसों से नहीं तोली जा सकती।”

नाम बदलने की कानूनी प्रक्रिया:

भारत में किसी शहर का नाम बदलने के लिए तीन स्तर की मंज़ूरी आवश्यक है-
राज्य सरकार का प्रस्ताव
गृह मंत्रालय की स्वीकृति
 राजपत्र (Gazette) में अधिसूचना
फिलहाल यह मांग पहले चरण में है। केंद्र सरकार को भेजे जाने के बाद ही आगे की प्रक्रिया तय होगी।

नाम बदलने की टाइमलाइन:

भारत में नाम परिवर्तन की प्रमुख घटनाएँ:
2018 - इलाहाबाद → प्रयागराज
2021 - मुघलसराय → पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर
2025 - अब दिल्ली के “इंद्रप्रस्थ” बनने की चर्चा

इतिहासकारों की राय:

इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि “दिल्ली और इंद्रप्रस्थ दो अलग भौगोलिक पहचानें थीं” जबकि कुछ इसे “एक ही नगर की विकसित परंपरा” मानते हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहासकार प्रो. विनीत अग्रवाल कहते हैं “इंद्रप्रस्थ नाम लौटाना प्रतीकात्मक होगा, इससे दिल्ली की पहचान पौराणिक गौरव से जुड़ेगी, जो विश्व मंच पर एक सांस्कृतिक शक्ति बनेगी।”

अगर ‘दिल्ली’ बन गई ‘इंद्रप्रस्थ’:

अगर यह फैसला लागू हो गया तो राजधानी के सभी प्रमुख प्रतीकों — दिल्ली मेट्रो, दिल्ली पुलिस, दिल्ली यूनिवर्सिटी आदि में “इंद्रप्रस्थ” शब्द जुड़ सकता है।
VHP ने मांग की है कि दिल्ली एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, और शाहजहानाबाद विकास बोर्ड का नाम भी क्रमशः इंद्रप्रस्थ इंटरनेशनल एयरपोर्ट, इंद्रप्रस्थ रेलवे स्टेशन और इंद्रप्रस्थ विकास बोर्ड किया जाए।

निष्कर्ष:

यह सिर्फ नाम बदलने की बात नहीं है, बल्कि भारत की सभ्यता को पुनः पहचान दिलाने की कोशिश है।
फिलहाल सरकार ने कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है लेकिन राजधानी की फिज़ा में अब एक सवाल गूंज रहा है —
क्या वाकई दिल्ली अब ‘दिलवालों की’ नहीं, बल्कि ‘धर्मवीरों की इंद्रप्रस्थ नगरी’ कहलाने जा रही है?

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