जानें क्यों मनाई जाती है धनतेरस: क्या हैं समुद्र मंथन से जुड़ी, 14 रत्नों की रहस्यमयी कहानी...जानिए कैसे पाएँ Health और Wealth का संतुलन
जानें क्यों मनाई जाती है धनतेरस

धर्म और संस्कृति:
धनतेरस केवल सोना-चांदी खरीदने का दिन नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करने का पावन पर्व है। दीपावली की शुरुआत इसी दिन से होती है, जब घर-घर दीप जलाए जाते हैं और लोग देवी लक्ष्मी व भगवान धन्वंतरि की पूजा कर समृद्धि की कामना करते हैं।

धनतेरस और समुद्र मंथन का पौराणिक संबंध:
धार्मिक मान्यता के अनुसार आज से हजारों वर्ष पहले देवताओं और असुरों ने क्षीर सागर का मंथन किया था जिससे 14 रत्न निकले। उन्हीं में से एक थे भगवान धन्वंतरि जो अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे।

इसी कारण इस दिन को धन्वंतरि जयंती और आयुर्वेद दिवस भी कहा जाता है। यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि धन (Wealth) और स्वास्थ्य (Health) दोनों का संतुलन जीवन का सबसे बड़ा धन है।

समुद्र मंथन से निकले 14 रत्न और जीवन के मैनेजमेंट मंत्र:
समुद्र मंथन से निकले हर रत्न ने जीवन का एक संदेश दिया-

  1. लक्ष्मी सिखाती हैं- धन का सदुपयोग करें।

  2. कौस्तुभ मणि- अपनी पहचान को न भूलें।

  3. ऐरावत- दृढ़ता रखें।

  4. कामधेनु- इच्छाओं को नियंत्रण में रखें।

  5. कल्पवृक्ष- कम में संतोष पाएं।

  6. अप्सराएँ- कला और आकर्षण बनाए रखें।

  7. चंद्रमा- भावनात्मक संतुलन रखें।

  8. शंख- दिन की शुरुआत सकारात्मक सोच से करें।

  9. अमृत- दीर्घायु और संयम का प्रतीक है।

  10. धन्वंतरि- स्वास्थ्य को सर्वोपरि मानें।

  11. हालाहल विष- जीवन की कठिनाइयों से डरें नहीं, उनसे सीखें।

  12. लक्ष्मी-नारायण- भक्ति और समर्पण का सर्वोच्च उदाहरण हैं।

  13. गजमुख (ऐरावत)- सम्मान और नेतृत्व: दूसरों को प्रेरित करें।

  14. उच्चैःश्रवा अश्व- महत्वाकांक्षा का प्रतीक: सपनों को अनुशासन से जोड़ें।

यही कारण है कि धनतेरस केवल पूजा नहीं बल्कि जीवन प्रबंधन का उत्सव है।

क्यों कहा गया “Health is the Real Wealth”
धन्वंतरि देव आयुर्वेद के जनक हैं। उन्होंने मानव को यह ज्ञान दिया कि असली धन स्वास्थ्य है। आयुर्वेद कहता है “धनं च स्वास्थ्यं च एव सुखस्य मूलं” अर्थात् स्वास्थ्य ही सुख और समृद्धि का आधार है।

आज भी चिकित्सक इस दिन आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी-बूटियों (जैसे तुलसी, नीम, हल्दी) की पूजा करते हैं। यह समय मौसम बदलने का होता है इसलिए शरीर को रोगों से बचाने के लिए डिटॉक्स और संतुलित आहार अपनाना सर्वोत्तम माना गया है।

धनतेरस 2025 पर क्या खरीदना है शुभ?
शुभ मुहूर्त: इस वर्ष धनतेरस 18 अक्टूबर 2025 (शनिवार) को मनाई जा रही है। शाम 6:32 बजे से रात 9:10 बजे तक प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन सोना, चांदी, तांबे के बर्तन, झाड़ू, और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ खरीदना शुभ होता है। लेकिन आधुनिक दृष्टि से, हेल्थ इंश्योरेंस, फिटनेस गैजेट्स, मेडिकल चेकअप पैकेज या योग सदस्यता खरीदना भी उतना ही शुभ है क्योंकि यही Health + Wealth का सच्चा संतुलन है।

धनतेरस पर कैसे करें पूजन?
संध्या के समय दीपक जलाकर सबसे पहले यम दीपदान करें जिससे अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। इसके बाद भगवान धन्वंतरि, कुबेर देव और मां लक्ष्मी की पूजा करें।
मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः”
मुख्य द्वार पर 13 दीये जलाना इस दिन का विशेष महत्व रखता है।

धनतेरस हमें क्या सिखाती है?
समुद्र मंथन में निकले 14 रत्न केवल चमत्कार नहीं थे, बल्कि लाइफ मैनेजमेंट के 14 सिद्धांत थे हर कठिनाई (विष) के बाद कुछ अच्छा (अमृत) अवश्य निकलता है।

• हर संघर्ष एक सीख देता है।
• हर सफलता में संयम जरूरी है।
• हर धन में धर्म होना चाहिए।

यह पर्व सिखाता है कि अगर हम धन, स्वास्थ्य और सदाचार को संतुलित रखें तो जीवन स्वयं में “अमृत” बन जाता है।

निष्कर्ष:
• इस धनतेरस अपने घर में रोशनी के साथ मन में भी उजाला करें।
• सच्ची समृद्धि वही है जिसमें तन स्वस्थ हो, मन प्रसन्न हो और धन का सदुपयोग हो।
• जैसा समुद्र मंथन में विष के बाद अमृत निकला था, वैसा ही हर संघर्ष के बाद जीवन में सफलता अवश्य मिलती है।

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