क्यों खास हैं भाई-दूज 2025 का त्योहार!: जानिए यम द्वितीया से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं, कथा, परंपरा, मुहूर्त और इस पर्व की खासियत से लेकर इतिहास तक
क्यों खास हैं भाई-दूज 2025 का त्योहार!

समाज: दीपावली के पांचवें और अंतिम दिन भाई-बहन के अटूट स्नेह का पर्व भाई दूज मनाया जाता है, जिसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस वर्ष यह शुभ पर्व 26 अक्टूबर 2025 (रविवार) को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनके दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

ऋग्वेद से जुड़ी कथा

भाई दूज का उल्लेख ऋग्वेद में “यम और यमी” की कथा के रूप में मिलता है। मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना (यमी) के घर द्वितीया तिथि को मिलने गए थे। यमी ने बड़े स्नेह से उनका स्वागत किया और माथे पर तिलक लगाया। प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी, उसके भाई की आयु लंबी होगी और यमलोक का भय नहीं रहेगा। तभी से इस दिन को यम द्वितीया कहा जाने लगा।

भाई दूज का महत्व

यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते की पवित्रता, प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है। राखी जहां रक्षा सूत्र का प्रतीक है, वहीं भाई दूज “आशीर्वाद का तिलक” कहलाता है जो बहन की दुआओं से भाई की जिंदगी को शुभ बनाता है।

भाई दूज 2025: शुभ मुहूर्त

  • तिथि प्रारंभ: 25 अक्टूबर, रात 11:45 बजे

  • तिथि समाप्त: 26 अक्टूबर, रात 1:10 बजे

  • तिलक का शुभ समय: सुबह 10:30 से दोपहर 12:45 बजे तक (अभिजीत मुहूर्त सबसे शुभ)

पूजा विधि

  1. बहन भाई को आसन पर बैठाकर तिलक करें।

  2. तिलक में चंदन, अक्षत और फूल का उपयोग करें।

  3. आरती उतारकर मिठाई खिलाएं और आरोग्य की कामना करें।

  4. भाई बदले में बहन को उपहार या आशीर्वाद देता है।

पूजा के दौरान यह श्लोक बोला जाता है:
“यम द्वितीया तिलकं ददामि, चिरंजीव भव भ्रातृ।”
(हे भाई! मैं तुम्हारे माथे पर यह तिलक लगाती हूँ, तुम सदा दीर्घायु रहो।)

अलग-अलग राज्यों में परंपराएं

भारत के विभिन्न हिस्सों में यह त्योहार अलग-अलग नामों से मनाया जाता है-

  • उत्तर भारत: भाई दूज

  • महाराष्ट्र: भाऊ बीज

  • बंगाल: भाई फोटा

  • नेपाल: भाई टीका

रिवाज़ चाहे बदल जाएं पर भाई-बहन के स्नेह की भावना हर जगह एक जैसी रहती है।

भावनात्मक झलक

भाई दूज के दिन बहनें न सिर्फ तिलक लगाती हैं बल्कि मन ही मन यह भी कामना करती हैं कि उनका रिश्ता हर जन्म में यूं ही बना रहे। कई घरों में आज भी मां के हाथों से भाई का तिलक करवाया जाता है, ताकि आशीर्वाद की शक्ति दोनों को प्राप्त हो।

आधुनिक समय में भाई दूज

डिजिटल युग में यह त्योहार अब वीडियो कॉल, ऑनलाइन गिफ्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट्स के जरिए भी उतनी ही आत्मीयता से मनाया जाता है। हर साल #BhaiDooj, #BhauBeej और #SiblingLove जैसे हैशटैग सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते हैं।

उपहार सुझाव (Gift Ideas)

• भाई दूज पर ये गिफ्ट्स दे सकते हैं-

  • Personalized फोटो फ्रेम या कप्स

  • Silver coins या धार्मिक प्रतीक

  • मिठाई और ड्राई फ्रूट्स हैम्पर

  • Handwritten कार्ड या भावनात्मक नोट

क्या आप जानते हैं?

भाई दूज का वैज्ञानिक पहलू भी है तिलक में लगाए जाने वाला चंदन और कुमकुम आज्ञा चक्र (forehead point) को सक्रिय करता है, जिससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति बढ़ती है।

निष्कर्ष: भाई दूज का पर्व हमें यह सिखाता है कि रिश्तों की ताकत प्रेम, आदर और साथ निभाने में है न कि औपचारिकता में। यह त्योहार सिर्फ एक दिन का नहीं, बल्कि भाई-बहन के रिश्ते का “आजीवन वचन” है।

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