हरिद्वार : 17 दिन की लंबी प्रतीक्षा के बाद आखिरकार मां गंगा फिर से हरिद्वार की हरकी पैड़ी पर लौट आई हैं। मंगलवार सुबह जैसे ही गंगनहर के गेट खुले, गंगा की निर्मल नीली धारा एक बार फिर घाटों की ओर बढ़ी और श्रद्धालुओं की आंखें खुशी से नम हो उठीं।
17 दिन बाद गूंजी "हर हर गंगे" की गूंज :
आपको बता दें कि सुबह होते ही हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्यों से लोग गंगा स्नान के लिए पहुंचे। हवा में “हर हर गंगे” के जयकारे गूंज उठे, और घाटों पर फिर से रौनक लौट आई। गंगनहर में पानी छोड़े जाने के बाद गंगा का प्रवाह सामान्य हो गया और हरकी पैड़ी पर चमचमाते नीले पानी ने मानो दिव्य आभा बिखेर दी।
2 अक्टूबर को थमी थी गंगा की धारा :
जानकारी के मुताबिक, 2 अक्टूबर (दशहरा की मध्यरात्रि) को उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने ऊपरी गंगनहर को वार्षिक मरम्मत और सफाई के लिए बंद किया था। इस दौरान हरकी पैड़ी पर गंगा का प्रवाह लगभग रुक गया था, जिससे श्रद्धालुओं को स्नान में दिक्कत का सामना करना पड़ा। मरम्मत कार्य के चलते किनारों की दीवारों, गेटों और तटबंधों की दुरुस्ती की गई। इस बार नवरात्र दस दिन के होने से गंगनहर बंदी की अवधि एक दिन कम रही और कुल 17 दिन बाद गंगा का जल प्रवाह बहाल हुआ।
छोटी दीपावली की रात खुला गंगनहर का गेट :
गौरतलब है कि हरिद्वार स्थित भीमगौड़ा बैराज से छोटी दीपावली की रात (19-20 अक्टूबर) को गंगनहर में पानी छोड़ा गया। मंगलवार सुबह तक हरकी पैड़ी और आसपास के घाटों पर पानी पहुंच गया। भीमगौड़ा बैराज के जेई हरीश कुमार ने बताया, “गंगनहर बंदी के दौरान सभी जरूरी मरम्मत कार्य पूरे कर लिए गए हैं। अब गंगा का प्रवाह सामान्य रहेगा और श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी।” वहीं उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के एसडीओ भारत भूषण ने बताया कि, “हर साल दशहरे की रात से छोटी दीपावली तक गंगनहर की वार्षिक सफाई और मरम्मत की जाती है ताकि जल आपूर्ति सुचारू बनी रहे।”
हरिद्वार से कानपुर तक फिर बह चली जीवनधारा, सिंचाई में सबसे महत्वपूर्ण :
विदित है कि गंगनहर खुलने के बाद हरिद्वार से लेकर कानपुर तक के सभी गंगा घाटों पर पानी पहुंच गया है। यह सिंचाई के लिए प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। जहां पिछले दो हफ्तों से घाट सूने पड़े थे, वहीं अब स्नानार्थियों और आरती के जयघोष से घाटों की रौनक लौट आई है।
गंगनहर के बारे में जानिए; भारत की सबसे ऐतिहासिक सिंचाई लाइन :
ब्रिटिश काल की धरोहर (1842-1854): गंगनहर का निर्माण ब्रिटिश हुकूमत के दौरान हुआ था। यह हरिद्वार से शुरू होकर उत्तर प्रदेश के कई जिलों से गुजरती है।
470 किमी लंबी मुख्य नहर: हरिद्वार के भीमगौड़ा बैराज से निकलकर यह रुड़की, मुरादनगर, डासना, बुलंदशहर होते हुए अलीगढ़ तक जाती है।
9,000 वर्ग किमी में सिंचाई: गंगनहर से करीब 10 जिलों की खेती को जीवन मिलता है, और इसकी शाखाएं 6,000 किलोमीटर तक फैली हैं।
मां गंगा के लौटते ही हरकी पैड़ी की रौनक फिर लौट आई है। नीला चमचमाता पानी, गूंजते मंत्र और श्रद्धालुओं की आस्था ने हरिद्वार को एक बार फिर आध्यात्मिक रंगों में रंग दिया है। हरिद्वार में गंगा जी के साथ श्रद्धा, आस्था और जीवन की धारा लौट आयी है।