STF नोएडा; पत्रकारिता की आड़ में फर्जी खबर...रंगदारी मांगने वाले गैंग का पर्दाफाश!: ED-CBI का डर दिखाकर, करते थे करोड़ो की वसूली; जानें कैसे तीनों आरोपी चढ़े पुलिस के हत्थे
STF नोएडा; पत्रकारिता की आड़ में फर्जी खबर...रंगदारी मांगने वाले गैंग का पर्दाफाश!

नोएडा/ नई दिल्ली : एनसीआर में बिल्डरों और कारोबारियों से करोड़ों की रंगदारी वसूलने वाले फर्जी पत्रकारों के सिंडिकेट का पर्दाफाश हो गया है। नोएडा एसटीएफ ने इस गैंग के तीन कुख्यात सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जो झूठी खबरें छापकर और सरकारी एजेंसियों में फर्जी शिकायतें करके ब्लैकमेलिंग का धंधा चला रहे थे। गिरफ्तार आरोपियों के नाम हैं; अंकुर गुप्ता, नरेंद्र धवन और उसका बेटा हरनाम धवन। इनकी गिरफ्तारी दिल्ली के सराय रोहिला इलाके से हुई।

कैसे चलता था "फर्जी पत्रकारिता का खेल"?

आपको बता दें कि एसटीएफ की जांच में खुलासा हुआ कि ये गैंग पहले किसी बड़े बिल्डर या कारोबारी के खिलाफ ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स, रेरा और ईओडब्ल्यू जैसी एजेंसियों में झूठी शिकायतें दाखिल करता। इसके बाद उन्हीं शिकायतों को आधार बनाकर लोकल अखबारों और यूट्यूब चैनलों पर सनसनीखेज खबरें चलवाई जातीं। जब पीड़ित की साख पर आंच आती, तो यह गैंग उनसे कहता कि "अगर खबर हटवानी है या शिकायत वापस चाहिए, तो मोटी रकम दो!" इसी तरीके से इन्होंने एनसीआर के एक बड़े बिल्डर से 15 करोड़ रुपये की मांग की थी। जब बिल्डर ने मना किया तो रकम घटाकर 5 करोड़ कर दी। दबाव में आकर बिल्डर ने कुछ रकम दी भी, लेकिन बाकी पर जबरदस्ती बनाई जा रही थी।

STF का ऑपरेशन :

गौरतलब है कि 29 सितंबर की शाम एसटीएफ को पुख्ता सूचना मिली कि गैंग के तीनों आरोपी दिल्ली में हैं। सराय रोहिला थाने के इलाके से तीनों को हिरासत में लिया गया। पूछताछ में रंगदारी वसूली की पूरी साजिश सामने आई। 30 सितंबर की आधी रात को तीनों को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारियों के दौरान STF ने 62 हजार रुपये नकद, एक अमेरिकी डॉलर और फर्जी आधार कार्ड बरामद किए।

कपड़े की दुकान से "क्राइम रिपोर्टिंग" तक :

आपको बता दें कि मुख्य आरोपी अंकुर गुप्ता की कहानी बेहद चौंकाने वाली है। उसकी उम्र लगभग 52 साल है, उसकी पढ़ाई केवल 12वीं तक हुई है वहीं उसका पेशा दरियागंज में कपड़ों की दुकान है। व्यापार में नुकसान और लोन न चुका पाने की वजह से बैंक की कार्रवाई झेलनी पड़ी। तभी उसने फर्जी शिकायतें करने का धंधा शुरू किया। जल्द ही उसे समझ आ गया कि झूठी शिकायतें और खबरें मिलके करोड़ों की ब्लैकमेलिंग का फायदा होगा।

फर्जी पत्रकारों का सिंडिकेट :

विदित है कि इस काम को अंजाम देने के लिए अंकुर ने छोटे अखबारों और यूट्यूब चैनलों से जुड़े फ्रीलांस पत्रकारों को अपने साथ जोड़ा। नरेंद्र धवन और उसका बेटा हरनाम, “दिल्ली अपटूडेट” नाम का अखबार और यूट्यूब चैनल चलाते थे। इनके जरिए बदनाम करने वाली खबरें छपवाई जातीं।

बड़े टारगेट, बड़े प्रोजेक्ट :

विदित है कि गैंग ने जिन कंपनियों और प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाया, उनमें शामिल हैं; करोलबाग स्थित Unity Group का The Amaryllis प्रोजेक्ट, गाजियाबाद इंदिरापुरम के Shipra और Saya बिल्डर्स, Harmony Builder, ग्रेटर नोएडा का केशव कुंज प्रोजेक्ट; इन प्रोजेक्ट्स के खिलाफ झूठी शिकायतें की गईं और फिर खबरें चलाकर करोड़ों की रंगदारी मांगी गई।

असर सिर्फ बिल्डरों पर नहीं, होम बायर्स भी फंसे! :

आपको बता दें कि इस गैंग की करतूतों से न सिर्फ बिल्डरों को आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि उनके प्रोजेक्ट्स में देरी से सैकड़ों होम बायर्स भी परेशान हुए। फर्जी खबरों और जांचों के चलते काम रुकते रहे, जिससे खरीदारों को अपने घर का सपना पूरा करने में लंबा इंतज़ार झेलना पड़ा।

STF का सख्त रुख :

गौरतलब है कि एसटीएफ अधिकारियों का कहना है कि यह गिरोह काफी समय से सक्रिय था और इसकी गतिविधियों ने NCR के बिजनेस माहौल को प्रभावित किया। आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी गई है।

ऐसे में में बड़ा सवाल तब भी बना है कि क्या फर्जी पत्रकारिता और झूठी शिकायतों के जरिए चल रहा यह ब्लैकमेलिंग का खेल यहीं थमेगा, या पर्दे के पीछे और भी बड़े चेहरे सामने आएंगे? अब नज़रें एसटीएफ की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

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