रेहड़ी-पटरी औऱ छोटे कारोबारियों के लिए राहत भरी खबर!: PM स्वनिधि योजना होगी और भी मजबूत; डेडलाइन बढ़कर हुई 2030, तो वही लोन राशि भी बढ़कर...
रेहड़ी-पटरी औऱ छोटे कारोबारियों के लिए राहत भरी खबर!

नई दिल्ली : सड़क किनारे रेहड़ी, ठेला और छोटे कारोबार करने वालों के लिए सरकार ने राहत की सौगात दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (PM SVANidhi) योजना को 31 मार्च 2030 तक बढ़ाने और इसे और मज़बूत बनाने का फैसला लिया गया है। अब इस योजना का फायदा 1.15 करोड़ रेहड़ी-पटरी वालों को मिलेगा। कुल बजट ₹7,332 करोड़ तय किया गया है।

कब और क्यों शुरू हुई थी योजना?

आपको बता दें कि इस योजना की शुरुआत 1 जून 2020 को हुई थी। इसका मकसद कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित स्ट्रीट वेंडर्स को सस्ता लोन देकर उनका कारोबार दोबारा खड़ा करना था। तब से अब तक लाखों परिवारों की रोज़ी-रोटी को सहारा मिला है।

अब कितना लोन मिलेगा?

गौरतलब है कि सरकार ने इस बार लोन की रकम बढ़ाने का बड़ा ऐलान किया है –

पहला लोन: ₹10,000 से बढ़ाकर ₹15,000
दूसरा लोन: ₹20,000 से बढ़ाकर ₹25,000
तीसरा लोन: ₹50,000 (जैसा पहले था)

यानी वेंडर्स को कारोबार बढ़ाने के लिए अब पहले ही चरण में ज़्यादा पैसा मिल सकेगा।

डिजिटल कार्ड और कैशबैक की सुविधा :

विदित है कि अब वेंडर्स को UPI से जुड़ा RuPay क्रेडिट कार्ड मिलेगा। वहीं लोन चुकाने वाले को अगला लोन तुरंत क्रेडिट कार्ड से मिल जाएगा। साथ ही डिजिटल पेमेंट पर ₹1,600 तक कैशबैक मिलेगा। सरकार का मकसद है कि छोटे दुकानदार भी डिजिटल इंडिया की मुख्यधारा से जुड़ें।

अब गांव-कस्बों तक पहुंचेगी योजना :

विदित है कि पहले योजना सिर्फ शहरों तक सीमित थी। अब इसे धीरे-धीरे सेंसस टाउन, पेरी-अर्बन इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों तक बढ़ाया जाएगा। यानी अब सिर्फ शहर नहीं, बल्कि कस्बों और गांवों के ठेले-पटरी वाले भी इसका फायदा उठा पाएंगे।

ट्रेनिंग और नई सुविधाएँ :

विदित है कि वेंडर्स को बिज़नेस, फाइनेंस, डिजिटल स्किल्स और मार्केटिंग की ट्रेनिंग मिलेगी। साथ ही स्ट्रीट फूड वेंडर्स को FSSAI के साथ मिलकर हाइजीन और फूड सेफ्टी की ट्रेनिंग दी जाएगी। और हर महीने लोक कल्याण मेले लगेंगे, ताकि वेंडर्स को दूसरी सरकारी योजनाओं से भी जोड़ा जा सके।

अब तक क्या मिला है फायदा?

आपको बता दें कि 30 जुलाई 2025 तक के आंकड़े के अनुसार 68 लाख वेंडर्स को 96 लाख लोन दिए गए। जिसकी टोटल वैल्यू ₹13,797 करोड़ थी। वहीं 47 लाख वेंडर्स ने 6.09 लाख करोड़ रुपए के डिजिटल ट्रांजैक्शन किए। साथ ही इन ट्रांजैक्शंस पर ₹241 करोड़ कैशबैक दिया गया। वहीं 46 लाख परिवारों को दूसरी सरकारी योजनाओं से भी जोड़ा गया।

योजना को मिली पहचान

विदित है कि इस योजना को 2022 में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए सिल्वर अवॉर्ड मिला। वहीं 2023 में प्रधानमंत्री पुरस्कार सम्मानित किया गया। सरकार का दावा है कि यह योजना अब छोटे कारोबारियों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला चुकी है।

आगे का असर

आपको बता दें कि यह योजना 2030 तक चलते रहने से छोटे वेंडर्स को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी। वहीं कारोबार बढ़ाने का आसान साधन होगा। साथ ही समाज में उन्हें पहचान और सम्मान मिलेगा। शहर और गांव मिलकर आत्मनिर्भर इकोसिस्टम की ओर बढ़ेंगे।

साफ है कि PM स्वनिधि योजना सिर्फ एक लोन स्कीम नहीं, बल्कि रेहड़ी-पटरी वालों के लिए नई उम्मीद बन चुकी है। बढ़ी हुई लोन राशि, डिजिटल सुविधाओं और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के साथ यह योजना लाखों परिवारों की ज़िंदगी बदलने जा रही है।

अन्य खबरे