दिल्ली की हवा ले रही जिंदगी!: वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे वही?
दिल्ली की हवा ले रही जिंदगी!

दिल्ली: राजधानी दिल्ली एक बार फिर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष पर आ गई है। शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) की ओर से जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) 2025 रिपोर्ट ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है कि दिल्ली के लोग जहरीली हवा के कारण औसतन 11.9 वर्ष की आयु खो रहे हैं। अगर दिल्ली की हवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों तक साफ किया जाए, तो हर नागरिक की जिंदगी लगभग 12 साल तक बढ़ सकती है।

25 वर्षों में तीन गुना हुआ प्रदूषण

रिपोर्ट बताती है कि 1998 से 2023 के बीच दिल्ली में PM2.5 प्रदूषण का स्तर तीन गुना बढ़ गया है। WHO का मानक 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि दिल्ली में यह स्तर 110 माइक्रोग्राम/घन मीटर तक पहुंच चुका है। यह प्रदूषण श्वसन और हृदय रोगों का सबसे बड़ा कारण बन रहा है।

उत्तर भारत की भयावह तस्वीर:

दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरा उत्तर भारत वायु प्रदूषण की गिरफ्त में है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर भारत में रहने वाले लोग प्रदूषण की वजह से औसतन 8 वर्ष तक अपनी उम्र खो रहे हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में हालात बेहद गंभीर हैं। दुनिया के सबसे प्रदूषित 20 इलाकों में से 15 भारत में हैं।

वैश्विक तुलना में पिछड़ रहा भारत:

चीन और अमेरिका जैसे देशों ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए और सफलताएँ भी पाईं। उदाहरण के लिए, चीन ने पिछले एक दशक में प्रदूषण का स्तर 40% तक कम किया है। वहीं भारत की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।

विशेषज्ञों की चेतावनी:

रिपोर्ट तैयार करने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की 67% आबादी ऐसी जगह रह रही है, जहाँ वायु प्रदूषण WHO मानक से सात गुना अधिक है। उनका मानना है कि यदि भारत ने सख्त और दीर्घकालिक नीतियां नहीं अपनाईं, तो आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी और सेहत दोनों खतरे में होंगी।

सरकारी प्रयास और चुनौतियां:

भारत सरकार ने प्रदूषण रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP), इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा, पराली प्रबंधन, और औद्योगिक इकाइयों पर निगरानी शामिल हैं। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार इन योजनाओं का असर जमीन पर सीमित दिखाई दे रहा है।

समाधान की राह:

विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को प्रदूषण से निपटने के लिए इन उपायों पर ध्यान देना होगा—

  • स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा का अधिक उपयोग।

  • सार्वजनिक परिवहन को सशक्त बनाना।

  • पराली प्रबंधन के लिए किसानों को बेहतर तकनीकी और आर्थिक मदद।

  • औद्योगिक उत्सर्जन और निर्माण कार्यों पर सख्त नियंत्रण।

  • आम जनता को जागरूक करना और उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।

दिल्ली और उत्तर भारत में वायु प्रदूषण अब केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं रह गया है, बल्कि यह लोगों की जिंदगी का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका है। वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो करोड़ों लोगों की उम्र समय से पहले ही समाप्त हो जाएगी।

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