नई दिल्ली : देश की राजनीति में सोमवार देर रात एक बड़ा धमाका हुआ। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह फैसला न केवल राजनीतिक गलियारों को चौंका गया, बल्कि संविधान की प्रक्रिया को भी एक बार फिर सबकी नजरों में ला दिया। धनखड़ भारत के इतिहास में तीसरे ऐसे उपराष्ट्रपति बन गए हैं जिन्होंने कार्यकाल खत्म होने से पहले ही पद छोड़ा है। इससे पहले वी.वी. गिरी और आर. वेंकटरमन भी अपने कार्यकाल के बीच में इस्तीफा दे चुके हैं। अब जब देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद खाली हो चुका है, तो बड़ा सवाल है अब क्या होगा? और कैसे चुना जाएगा अगला उपराष्ट्रपति?
सबसे बड़ा सवाल: अब उपराष्ट्रपति कौन?
गौरतलब है कि भारत के संवैधानिक व्यवस्था में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति के पद का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन क्योंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति के रूप में भी कार्य करते हैं, तो ऐस में राज्यसभा के उपसभापति को कार्य संचालन की जिम्मेदारी मिलती है। अभी ये जिम्मेदारी हरिवंश नारायण सिंह संभालेंगे।
कब होगा नया चुनाव? कितना समय मिलेगा?
गौरतलब है कि यहां आपको जानकर हैरानी होगी कि जैसे राष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद 6 महीने के भीतर चुनाव कराना होता है, वैसा कोई स्पष्ट नियम उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर नहीं है। यदि कार्यकाल पूरा होने पर पद खाली होता है, तब चुनाव 60 दिनों के भीतर कराना होता है। लेकिन इस्तीफा देने की स्थिति में समयसीमा तय नहीं है, फिर भी परंपरा के अनुसार जल्द चुनाव कराया जाता है। चुनाव की तारीखों का ऐलान भारत निर्वाचन आयोग करेगा।
कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव?
विदित है कि यह चुनाव राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 के तहत होता है। इस चुनाव में केवल संसद के सदस्य वोट डालते हैं, यानी लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य भले सदस्य नामित ही किया गया हो।इनके चुनाव में राज्य विधानसभा का कोई रोल नहीं होता। वोटिंग नई दिल्ली में संसद भवन में कराई जाती है। चुनाव सीक्रेट बैलेट और एकल संक्रमणीय मत प्रणाली (Single Transferable Vote) से होता है। हर सांसद उम्मीदवारों को वरीयता क्रम में वोट देता है। जीतने के लिए जरूरी होता है कि कोई उम्मीदवार "कोटा" यानी तय संख्या से अधिक वोट हासिल करे।
कैसे होता है जीत का फैसला?
उदाहरण के लिए, अगर 782 सांसद वोट डालते हैं तो कोटा होता है:
(कुल वैध वोट ÷ 2) + 1
यानी (782 ÷ 2) + 1 = 392 वोट जीत के लिए जरूरी होंगे
अगर किसी को पहले दौर में यह वोट नहीं मिलता तो सबसे कम वोट वाले को बाहर कर उसके वोट दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार को दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार कोटा पार न कर ले।
कौन बन सकता है उपराष्ट्रपति?
आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति चुने जाने के लिए उम्मीदवार को होना चाहिए:
●भारत का नागरिक
●कम से कम 35 साल का
●राज्यसभा के लिए योग्य (लोकसभा के लिए नहीं)
●उम्मीदवार सरकारी-लाभ के किसी भी पद पर नहीं होना चाहिए
●किसी भी संसदीय क्षेत्र से मतदाता होना चाहिए।
कितने लोग वोट करेंगे? क्या है सत्ता समीकरण?
आपको बता दें कि लोकसभा में 542 सांसद, राज्यसभा में 240 सांसद
यानी कुल वोटर 782 सांसद हैं।बहुमत के लिए जरूरी वोट 392 वोट है। एनडीए के पास अकेले 425 सांसद है। वहीं विपक्ष के पास 355 सांसद है। मतलब साफ है कि अगर एनडीए एकजुट रहा, तो अगला उपराष्ट्रपति चुनना औपचारिकता भर होगा।
कैसे होता है चुनाव? क्या है रोल बैलेट बॉक्स का?
गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति चुनाव में ईवीएम नहीं, बल्कि सीक्रेट बैलेट बॉक्स का इस्तेमाल होता है।लोकसभा महासचिव रिटर्निंग ऑफिसर होते हैं। वोटों की गिनती उसी दिन होती है और परिणाम तुरंत घोषित कर दिए जाते हैं।
अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग की ओर हैं, जो जल्द ही चुनाव की तारीखों का ऐलान करेगा। राजनीतिक गलियारों में उम्मीदवारों के नामों को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। एनडीए और विपक्ष अपने पत्ते सही समय पर खोलेंगे। जगदीप धनखड़ का इस्तीफा एक संवैधानिक मोड़ है जिसने देश का ध्यान उपराष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया की तरफ खींचा है। अब देखना ये है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा राजनीति का नया चेहरा या कोई अनुभवी नेता बनेगा।