नई दिल्ली : राजधानी की हवा को जहरीला होने से बचाने के लिए दिल्ली सरकार ने बड़ा और सख्त कदम उठाया है। अब वायु प्रदूषण पर सिर्फ सीजनल नहीं, बल्कि सालभर डिजिटल निगरानी होगी। इसके लिए सरकार डस्ट पोर्टल 2.0 और अपग्रेडेड ग्रीन दिल्ली एप लेकर आ रही है, जिससे प्रदूषण फैलाने वालों की अब खैर नहीं होगी। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर इन दोनों प्लेटफॉर्म की प्रगति की समीक्षा की और साफ शब्दों में कहा— “शिकायतों के निपटारे में ढिलाई अब बर्दाश्त नहीं होगी।”
डस्ट पोर्टल 2.0: अब हर निर्माण साइट डिजिटल रडार पर
आपको बता दें कि सरकार का नया डस्ट पोर्टल 2.0 पहले से कहीं ज्यादा हाईटेक होगा। इसके तहत -
● सभी रजिस्टर्ड कंस्ट्रक्शन साइट्स का GIS आधारित मैपिंग
● AI से संचालित अलर्ट सिस्टम, जो नियम तोड़ते ही चेतावनी देगा
● रीयल-टाइम डेटा इंटीग्रेशन, जिससे तुरंत कार्रवाई संभव
● QR कोड से सत्यापन, ताकि फर्जीवाड़े की गुंजाइश न रहे
इस पोर्टल से नगर निगम, PWD और DDA को भी जोड़ा जाएगा, जिससे अलग-अलग एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़ेगा और प्रदूषण फैलाने वालों पर तुरंत शिकंजा कसेगा।
ग्रीन दिल्ली एप: अब 17 तरह की शिकायत एक क्लिक पर
दिल्लीवासियों के लिए राहत की बड़ी खबर यह है कि ग्रीन दिल्ली एप को और ज्यादा ताकतवर बनाया जा रहा है। अब इस एप के जरिए नागरिक-
● निर्माण से उड़ती धूल
● सड़क पर जमा मलबा
● खुले में कचरा जलाना
● औद्योगिक इकाइयों से जहरीला धुआं
● अवैध डंपिंग
● प्रदूषण नियमों का उल्लंघन
जैसी 17 अलग-अलग कैटेगरी में शिकायत दर्ज कर सकेंगे।
अब फाइलों में नहीं दबेंगी शिकायतें
सरकार ने साफ निर्देश दिए हैं कि हर शिकायत का तेजी से और प्रमाणिक निपटारा हो। इसके लिए नया नियम लागू किया जा रहा है। शिकायत के समाधान के समय अधिकारी को शिकायत स्थल के 200 मीटर के दायरे में अपनी डिजिटल उपस्थिति दर्ज करनी होगी, ताकि फर्जी क्लोजर या कागजी कार्रवाई पर रोक लगे।
प्रदूषण के खिलाफ सरकार का सख्त संदेश
आपको बता दें कि सरकार का मानना है कि प्रदूषण सिर्फ सर्दियों की समस्या नहीं, बल्कि पूरे साल की चुनौती है। डस्ट पोर्टल 2.0 और ग्रीन दिल्ली एप का नया अवतार इसी सोच का नतीजा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ये सिस्टम प्रभावी ढंग से लागू हुआ, तो दिल्ली में निर्माण धूल, कचरा जलाने और औद्योगिक प्रदूषण पर बड़ा अंकुश लगेगा।
दिल्ली सरकार ने साफ कर दिया है कि अब हवा खराब करने वालों की पहचान भी होगी, शिकायत भी दर्ज होगी और कार्रवाई भी ज़मीन पर दिखेगी। ग्रीन दिल्ली की लड़ाई अब सिर्फ नारे नहीं, डिजिटल हथियारों से लड़ी जाएगी।