दिल्ली - NCR : दिल्ली-एनसीआर की फेफड़ों में अरावली का जंगल फिर से सांस भरेगा। केंद्र सरकार ने सोमवार को ऐसा फैसला लिया है जिसने अरावली संरक्षण की दिशा में सालों से चल रही उथल-पुथल को एक झटके में विराम दे दिया। अब अरावली में एक भी नई खदान नहीं खुलेगी। गुजरात से राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैली 800 किलोमीटर लंबी अरावली श्रृंखला में नई खनन लीज पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है। इस फैसले को विशेषज्ञ “ऐतिहासिक, निर्णायक और गेम-चेंजर” बता रहे हैं।
नई खदानों पर फुल स्टॉप; केंद्र की सख्त चेतावनी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों को स्पष्ट आदेश दिया है कि :
● अरावली में कोई नई खनन लीज नहीं
● पुराने नियमों के लूप-होल्स का दुरुपयोग अब नहीं
● फॉरेस्ट, रिज़र्व क्षेत्र, wildlife corridor, सब पर कड़ा पहरा
यह पहली बार है जब केंद्र सरकार ने पूरी अरावली बेल्ट पर अवैध खनन पर बैन लगाया है।
ICFRE को मिला 'मेगा मिशन': अरावली का संरक्षित क्षेत्र होगा बड़ा :
गौरतलब है कि सरकार ने अब बड़ा खेल शुरू किया है। ICFRE (Indian Council of Forestry Research and Education) को आदेश मिला है कि :
● अरावली के हर संवेदनशील इलाके की पहचान की जाए
● जहाँ प्रकृति नाज़ुक है उन सभी क्षेत्रों को परमानेंट नो-माइनिंग ज़ोन घोषित किया जाए
● पूरा वैज्ञानिक Sustainable Mining Management Plan तैयार किया जाए
इसमें भूगर्भ विज्ञान, पारिस्थितिकी, जैव-विविधता, ग्राउंडवाटर रिचार्ज सबका परीक्षण होगा। यानी अगला कदम यह होगा कि अरावली का संरक्षित क्षेत्र अब पहले से बहुत बड़ा होने जा रहा है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि “यह फैसला थार रेगिस्तान को दिल्ली तक आने से रोकने का सबसे बड़ा हथियार बन सकता है।”
चल रही खदानों पर भी शिकंजा; ‘ढील खत्म, मॉनिटरिंग डबल’ :
विदित है कि केंद्र ने राज्यों को साफ आदेश दिया है कि चल रही खदानों की कड़ी निगरानी चालू की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार अतिरिक्त प्रतिबंध लगाया जाएगा और पर्यावरण मानकों का 100% पालन किया जाएगा। लापरवाही पर लीज कैंसिल और भारी जुर्माना लगेगा। मतलब साफ है कि खनन अब खुली तरह से लूट नहीं, बल्कि “strictly regulated” मॉडल में चलेगा।
जानें अरावली क्यों है जरूरी?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि की खुद केंद्र सरकार की रिपोर्ट कहती है कि:
● अरावली दिल्ली-एनसीआर की प्राकृतिक एयर फ़िल्टर है
● यह थार के रेगिस्तान का फैलाव रोकती है
● भूजल रिचार्ज का सबसे बड़ा स्रोत है।
● यह 400+ प्रजातियों का जैव विविधता घर है।
● यह NCR को गर्मी और धूल से बचाने वाली “शेड वॉल” की तरह कार्य करती है।
यही कारण है कि पिछले कुछ समय से अरावली पर बहस और राजनीति दोनों तेज थी। अब केंद्र के फैसले के बाद यह विवाद शांत होने की उम्मीद है।
यह फैसला क्यों ‘गेम चेंजर’ बताया जा रहा है?
गौरतलब है कि पहली बार अरावली की सुरक्षा को राष्ट्रीय महत्व दिया गया। इससे अवैध खनन पर पूर्णतः रोक लगाई गई है। संरक्षित क्षेत्र के विस्तार से बड़े भू-भाग में खनन हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। दिल्ली-एनसीआर की हवा और भूजल को राहत मिलने की उम्मीद है। इससे जंगलों की रिकवरी तेज होगी और आने वाले 5 से 10 साल में अरावली की स्थिति पहले से कहीं बेहतर हो सकती है पर्यावरणविदों ने इसे “सबसे निर्णायक हस्तक्षेप” करार दिया है।
विवाद के बीच आया केंद्र का ‘क्लियर कट’ फैसला
आपको बता दें कि हाल के महीनों में अरावली की 100 मीटर ऊँचाई परिभाषा को लेकर जबरदस्त विवाद छिड़ा हुआ था। पर्यावरणविदों को डर था कि गलत परिभाषा खनन को खुला रास्ता दे देगी। लेकिन आज के फैसले ने साफ कर दिया कि “अरावली से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एवं नई खदान अब सपने में भी नहीं खोली जा सकती।”
अरावली का भविष्य अब पूरी तरह सुरक्षित है। केंद्र सरकार के इस बड़े फैसले ने अरावली को नई जिंदगी दी है। नई खदानों पर रोक, संरक्षित क्षेत्र के विस्तार और वैज्ञानिक मॉनिटरिंग से धूल कम होगा, प्रदूषण घटेगा, भूजल में सुधार होगा, रेगिस्तान का फैलाव रुकेगा और दिल्ली-NCR को वास्तविक पर्यावरण राहत मिलेगा। यह फैसला अरावली के लिए टर्निंग पॉइंट माना जा रहा है।