नई दिल्ली : अगर आप UPI का इस्तेमाल दिन में कई बार करते हैं, हर छोटी-बड़ी खरीदारी पर फोनपे, गूगलपे या पेटीएम से पेमेंट करते हैं, तो आपके लिए बड़ी खबर है। 1 अगस्त 2025 से आपकी डिजिटल आदतें महंगी पड़ सकती हैं, क्योंकि NPCI (भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम) ने UPI सिस्टम में बड़ा फेरबदल कर दिया है। अब तक जो सुविधा बिलकुल फ्री थी, उस पर चार्ज, लिमिट और निगरानी लगने जा रही है। UPI को सुरक्षित, ट्रैफिक फ्री और धोखाधड़ी रहित बनाने के लिए 5 बड़े बदलाव किए गए हैं, जिनका सीधा असर आपकी जेब और आदतों पर पड़ेगा। आइए विस्तार से जानते हैं 1 अगस्त से क्या-क्या बदलने जा रहा है?
1: अब बैलेंस चेक करना होगा सीमित—50 बार की लिमिट, फिर लगेगा ब्रेक!
आपको बता दें कि अभी तक आप चाहे जितनी बार, जब चाहें तब अपने बैंक बैलेंस की जांच कर सकते थे, लेकिन अब 1 अगस्त से केवल 50 बार प्रति दिन ही ये सुविधा उपलब्ध होगी—वो भी प्रत्येक UPI ऐप पर अलग-अलग। मतलब, अगर आप फोनपे पर 50 बार बैलेंस देख चुके हैं, तो 51वीं बार आपको "लिमिट एक्ससीडेड" का मैसेज मिलेगा।
क्यों किया गया ये बदलाव?
गौरतलब है कि NPCI के मुताबिक, बार-बार बैलेंस चेक करने से सर्वर पर लोड बढ़ता है, जिससे असली ट्रांजैक्शन अटकते हैं। इसलिए अब ज़रूरत से ज़्यादा जांच करने की छूट नहीं होगी।
2: ऑटो पे की सुविधा भी होगी टाइम लॉक्ड,अब हर वक्त नहीं कटेंगे पैसे!
विदित है कि अब तक आपका ऑटोमैटिक भुगतान (जैसे-EMI, OTT, SIP) दिन के किसी भी वक्त कट जाता था। अब ये केवल तीन स्लॉट में होगा:
●सुबह 10 बजे से पहले
●दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे
●रात 9:30 बजे के बाद
Busy Time (सुबह 10 से 1 बजे, शाम 5 से रात 9:30 तक) में कोई ऑटोपे ट्रांजैक्शन नहीं होगा। इससे सर्वर पर भीड़ कम करने की कोशिश की जा रही है।
3: पेमेंट स्टेटस और ट्रांजैक्शन हिस्ट्री देखने पर भी रोक—अब हर क्लिक गिने जाएंगे
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अब आप ट्रांजैक्शन स्टेटस सिर्फ 3 बार ही देख पाएंगे, और हर बार कम से कम 90 सेकेंड का गैप रखना अनिवार्य होगा। इसी तरह, बैंक अकाउंट और लिंक्ड खातों को देखने की सीमा 25 बार प्रति दिन कर दी गई है। बार-बार देखने की आदत रखने वालों को ये नया नियम खासा खल सकता है।
4: चार्जबैक/पेमेंट वापसी में भी लगेगी लगाम, अब एक महीने में केवल 10 बार मांग सकते हैं पैसा वापस!
गौरतलब है कि अभी तक गलत पेमेंट होने पर जितनी बार चाहें रिवर्सल की मांग कर सकते थे। अब एक महीने में केवल 10 बार रिवर्सल का आग्रह होगा, किसी एक व्यक्ति या व्यापारी से केवल 5 बार ही पैसा वापसी का अनुरोध किया जा सकेगा। NPCI का मानना है कि इससे फर्जी रिवर्सल की कोशिशें रुकेंगी।
5: पेमेंट से पहले दिखेगा अकाउंट होल्डर का रजिस्टर्ड नाम—गलत ट्रांजैक्शन से राहत!
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अब जब भी आप किसी को UPI से पैसे भेजेंगे, ट्रांजैक्शन कन्फर्म करने से पहले उस व्यक्ति या कंपनी का बैंक में रजिस्टर्ड नाम स्क्रीन पर दिखेगा।
इससे गलत अकाउंट में पैसे भेजने की घटनाएं काफी हद तक कम हो सकेंगी।
अगर बैंक या ऐप्स ने नए नियम नहीं माने तो...?
विदित है कि NPCI ने साफ कहा है कि 31 जुलाई तक सभी बैंकों और पेमेंट एप्स को ये बदलाव लागू करने होंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है साथ ही नए ग्राहक जोड़ने पर रोक लग सकती है, और यहां तक कि यूपीआई API एक्सेस को ब्लॉक भी किया जा सकता है
अब UPI रहेगा नियमबद्ध :
गौरतलब है कि 1 अगस्त 2025 से हर पेमेंट, हर क्लिक हर जांच पर आपको सोचना होगा "क्या ये लिमिट से ज़्यादा तो नहीं?" UPI सिस्टम को आसान बनाने के नाम पर सरकार और एनपीसीआई ने अब डिजिटल पेमेंट्स को 'मिनट-बाई-मिनट मॉनिटरिंग' के घेरे में ला दिया है।
जो यूपीआई अब तक पूरी तरह फ्री था, वो अब नहीं रह जाएगा। आपने ट्रांजैक्शन किया, बैलेंस देखा, नाम चेक किया, इतिहास खोला अब सबकी गिनती होगी। 1 अगस्त से UPI की हर टच पर है NPCI की नजर रहेगी।