नई दिल्ली : भारत ने मेडिकल साइंस के क्षेत्र में एक और इतिहास रच दिया है। वर्षों से जानलेवा मलेरिया से जूझ रहे देश को अब जल्द ही राहत मिलने वाली है। ICMR (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) ने देश की पहली स्वदेशी मलेरिया वैक्सीन सफलतापूर्वक विकसित कर ली है। जिसका नाम “Edvaxfalci” (एडफाल्सीवैक्स) है। यह वैक्सीन न केवल मलेरिया संक्रमण को रोकती है, बल्कि इसके सामुदायिक फैलाव पर भी लगाम लगाएगी।
मलेरिया पर निर्णायक वार!
आपकी जानकारी के लिये बता दें कि मलेरिया से हर साल दुनिया में 26 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित होते हैं और 6 लाख से ज्यादा जानें जाती हैं। भारत भी इस संकट से अछूता नहीं रहा लेकिन अब तस्वीर बदलने जा रही है। ICMR के भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र ने एडफाल्सीवैक्स नामक इस वैक्सीन को विकसित किया है, जो खासतौर पर प्लास्मोडियम फेल्सीपेरम (मलेरिया फैलाने वाला प्रमुख परजीवी) के खिलाफ काम करती है।
वैक्सीन की 5 बड़ी खासियतें :
आइये आपको इस वैक्सीन की 5 बड़ी खासियत बताते हैं।
1. यह टीका खून में परजीवी पहुंचने से पहले ही रोकथाम करेगी।
2. मच्छरों से मलेरिया के फैलाव पर असरदार नियंत्रण करेगी।
3. लैक्टोकोकस लैक्टिस बैक्टीरिया (दही-पनीर बनाने में इस्तेमाल होने वाला) से इसे विकसित किया गया है।
4. यह कमरे के तापमान पर 9 महीने तक सुरक्षित रह सकेगा।
5. इसमें बहुस्तरीय सुरक्षा और दीर्घकालिक रोग प्रतिरोधक क्षमता स्थापित की गई है।
कैसे हुई यह वैज्ञानिक सफलता?
गौरतलब है कि यह वैक्सीन ICMR-NIMR (राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान), राष्ट्रीय इम्यूनोलॉजी संस्थान, और अन्य ICMR संस्थानों के सहयोग से विकसित की गई है। प्री-क्लीनिकल ट्रायल में वैक्सीन ने शानदार प्रदर्शन किया है और यह मौजूदा एकल चरण के टीकों से अधिक प्रभावी पाई गई है।
कब मिलेगी आम लोगों को?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ICMR ने वैक्सीन के व्यावसायिक उत्पादन के लिए कंपनियों से आवेदन (EOI) मंगवाए हैं। यानी अब यह वैक्सीन आम लोगों के लिए कुछ ही महीनों में उपलब्ध हो सकती है। भारत सरकार इसे राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान में शामिल करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है।
भारत के लक्ष्य: 2027 तक मलेरिया खत्म, 2030 तक पूरी तरह उन्मूलन!
विदित है कि भारत मे 201 से 2023 के बीच मलेरिया मामलों में 80.5% गिरावट देखी गयी है साथ ही मृत्यु दर में 78.38% की कमी पायी गयी है।2024 में भारत WHO के High Burden to High Impact (HBHI) समूह से बाहर कर दिया गया है जो कि भारत के लिए अच्छी खबर है। भारत ने 2027 तक मलेरिया केस ‘शून्य’ करने का लक्ष्य के साथ 2030 तक पूर्ण उन्मूलन की तैयारी कर ली है।
यह सिर्फ एक वैक्सीन नहीं, उम्मीद है!
आपको बता दें कि इस टीके के आने से भारत सिर्फ मलेरिया से लड़ने में नहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य नेतृत्व में भी एक मजबूत कदम रख चुका है। यह एक ऐसा मौका है, जब देश “आयातित विज्ञान” से निकलकर “स्वदेशी समाधान” की ओर बढ़ा है।
क्या है विशेषज्ञों की राय :
आपको बता दें कि डॉ. राजीव भाटिया, ICMR वैज्ञानिक ने बताया कि : "यह वैक्सीन न केवल शरीर की सुरक्षा को मजबूत करती है, बल्कि पूरे समुदाय को संक्रमण से बचाने में कारगर है। इसकी प्रभावशीलता विश्वस्तरीय है।”
भारत में बना यह टीका अब वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय की निगाहों में है। जल्द ही इसका उत्पादन शुरू होते ही यह आम लोगों को भी मिल सकेगा। मलेरिया जैसी पुरानी और घातक बीमारी के खिलाफ भारत की यह वैक्सीन क्रांति की तरह है। आपका सहयोग देश को मलेरिया मुक्त बना सकता है।