आखिरकार खत्म हुआ अमरीकी इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन!: 43 दिन की ठप सरकार फिर से शुरू, वहीं ट्रम्प...जानें क्या था शटडाउन और कौन वर्ग रहा सबसे ज्यादा प्रभावित?
आखिरकार खत्म हुआ अमरीकी इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन!

वाशिंगटन : अमेरिका में 43 दिनों से जारी सरकारी शटडाउन आखिरकार खत्म हो गया है। यूएस हाउस ने 222-209 वोटों से खर्च विधेयक पास कर दिया और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने उस पर हस्ताक्षर कर दिए। जैसे ही ट्रम्प के सिग्नेचर पड़े, अमेरिकी इतिहास का सबसे लंबा सरकारी ठप आधिकारिक रूप से खत्म हो गया। लेकिन सच यह है कि हेल्थकेयर सब्सिडी को लेकर असली जंग अभी बाकी है और कांग्रेस के गलियारों में तनाव पहले जैसा बना हुआ है।

हाउस में हंगामा और ट्रम्प की मजबूरी :

आपको बता दें कि यह बिल रिपब्लिकन पार्टी अकेले पास नहीं करा सकती थी। 6 डेमोक्रेट सांसदों ने क्रॉस-वोटिंग की, वरना बिल गिर जाता। ट्रम्प ने साइन करते हुए कहा कि “मैं किसी के साथ भी काम करने को तैयार हूं, ओबामा केयर की इस पागलपन को खत्म करेंगे।” लेकिन दिलचस्प बात यह है कि बिल में ओबामा केयर की सब्सिडी बढ़ाने का कोई जिक्र ही नहीं है, जिससे डेमोक्रेट्स भड़क गए। बिल पारित होने के बावजूद देश में सरकारी मशीनरी को सामान्य होने में अभी कुछ समय लगेगा। लेकिन कम-से-कम अब फेडरल एजेंसियां और दफ्तर फिर से खुल जाएंगे।

डील में क्या मिला… और क्या छूट गया?

गौरतलब है कि इस डील में निम्नलिखित चीज़ें तय हुई :

●शटडाउन में जिन सरकारी कर्मचारियों की छंटनी हुई, उन्हें फिर नौकरी पर रखा जाएगा।
●सभी फेडरल कर्मचारियों को बैक पे (बकाया वेतन) मिलेगा।
●सरकार को 31 जनवरी तक फंडिंग मिल गई, यानी ठप होने का खतरा फिलहाल टल गया।

जो नहीं मिला:

●ACA (ओबामा केयर) सब्सिडी बढ़ाने पर कोई वादा नहीं।
●31 दिसंबर 2025 को इन सब्सिडी का एक्सटेंशन खत्म होगा, उसके बाद क्या होगा? कुछ साफ नहीं।

डेमोक्रेट्स फिर भी लड़ाई को बीच में नहीं छोड़ना चाहते। डेमोक्रेट्स नेता हकीम जेफ्रीज़ ने कहा कि “यह लड़ाई खत्म नहीं हुई, हम जीतकर ही मानेंगे।”

जानें क्या है शटडाउन और क्यों हुआ?

आपको बता दें कि अमेरिका में सरकारी शटडाउन तब होता है जब देश की विधायिका (कांग्रेस) सरकारी एजेंसियों के खर्चों को जारी रखने के लिए आवश्यक बजट या धन मंजूरी को समय पर पारित करने में विफल रहती है। यही स्थिति इस बार बनी है, क्योंकि 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए नियमित बजट को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। देश के नियमों के मुताबिक, जब धन की आपूर्ति बंद हो जाती है, तो सरकारी गतिविधियों का दायरा सिकुड़ जाता है और उनकी गति मंद पड़ जाती है। वर्तमान में जो शटडाउन चल रहा है, उसके पीछे भी यही वजह है। 43 दिन से दर्जनों विभाग बंद है, लाखों कर्मचारी बिना सैलरी के हैं, फूड स्टैंप पर रोक, सुरक्षा एजेंसियों में संकट, हवाई यात्रा बाधित और एटमी एजेंसी के 1,400 कर्मचारी छुट्टी पर हैं। अमेरिका जैसी महाशक्ति भी बजट पास न होने पर ठप हो जाती है। यह दुनिया को फिर दिख गया।

कौन-कौन हुआ सबसे ज्यादा प्रभावित?

गौरतलब है कि इस शटडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित में फेडरल कर्मचारी में 6.7 लाख कर्मचारी छुट्टी पर है। 7.3 लाख बिना वेतन ड्यूटी पर रहे इस तरह कुल 14 लाख लोग कर्ज लेकर गुजारा कर रहे थे। वहीं फूड सहायता के तौर पर 4.2 करोड़ अमेरिकियों की SNAP सहायता भी रुकी रही। USDA के पास सिर्फ 5 अरब डॉलर थे, जरूरत 9.2 अरब की थी। वहीं हवाई यात्रा में भी एयरपोर्ट्स पर लंबी देरी चल रही थी और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स बिना वेतन काम कर रहे थे।। सैन्य और सुरक्षा विभाग के जरूरी कर्मचारी सैलरी के बिना ड्यूटी पर कार्यरत थे। इन सबके लिये अब राहत की खबर आई है।

ओबामा केयर पर तूफ़ान :यही था बड़ा मुद्दा -

आपकी जानकारी को बता दें कि ओबामा केयर सब्सिडी ने 93% अमेरिकियों को फायदा दिया है। अगर ये सब्सिडी नहीं बढ़ी, तो 2026 में हेल्थ प्रीमियम $888 से बढ़कर $1,904 हो जाएगा (दोगुना से ज्यादा) साथ ही लाखों लोग इंश्योरेंस नहीं खरीद पाएंगे। और कई परिवार हेल्थकेयर सिस्टम से बाहर हो जाएंगे। रिपब्लिकन और ट्रम्प इसे “हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों की लूट” कहते हैं। डेमोक्रेट इसे “गरीब और मिडिल क्लास की लाइफलाइन” कहते हैं। अब दिसंबर में सीनेट में इस पर वोटिंग होगी और वही रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स की असली परीक्षा होगी।

ट्रम्प का प्लान क्या है?

US राष्ट्रपति के अनुसार “सब्सिडी को खत्म करके डायरेक्ट पब्लिक को पैसे दो ताकि वे इंश्योरेंस अपनी पसंद का लें।” यानी बीमा कंपनियों और सरकार के मध्य की कड़ी हटा दो। लेकिन विपक्ष कहता है कि “इससे हेल्थकेयर बाजार टूट जाएगा और लोगों की जेबें खाली हो जाएंगी।”

31 जनवरी तक राहत, आगे फिर टकराव :

गौरतलब है कि यह बिल सरकार को 31 जनवरी तक फंडिंग देता है। यानि एक महीने बाद फिर वही राजनीति, वही झगड़े, वही शटडाउन का डर सता रहा है। विशेषज्ञ कह रहे हैं। अमेरिका का इतिहास बता रहा कि ये आखिरी शटडाउन नहीं है। असली संघर्ष अभी बाकी है।

शटडाउन खत्म हो चुका है लेकिन टेंशन नहीं खत्म हुआ है। देश खुल गया, दफ्तर खुल गए, पैसे फिर मिलेंगे लेकिन हेल्थकेयर पर राजनीति आने वाले महीनों में अमेरिकी संसद को फिर से दो हिस्सों में बांट सकती है। डेमोक्रेट कह रहे हैं कि “हम रुकने वाले नहीं हैं।” रिपब्लिकन कह रहे कि “सब्सिडी कंपनियों की चोरी है।” यानी अमेरिका में महज एक महीने बाद फिर एक नई राजनीतिक जंग देखने को मिल सकती है।

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