उत्तराखंड में गंगा व उसके सहायक नदियों को स्वच्छ बनाने की कवायद तेज!: सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स पर बढ़ाई गई निगरानी, नदियों में गन्दा पानी आया तो...जानें क्या हैं नए निर्देश
उत्तराखंड में गंगा व उसके सहायक नदियों को स्वच्छ बनाने की कवायद तेज!

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने गंगा और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। अब प्रदेश के सभी 70 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की लगातार और सघन निगरानी की जाएगी, ताकि कोई भी गंदा पानी सीधे नदियों में न जा सके।

हरिद्वार की घटना के बाद बदला रवैया:

आपको बता दें कि यह सख्ती हरिद्वार में सामने आए एक मामले के बाद आई है, जहां एक नदी में सीवेज का पानी सीधे गिरता पाया गया था। इस घटना के बाद प्रशासन के कान खड़े हुए और नदियों की सफाई की व्यवस्था पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत महसूस हुई।

क्या हैं नए निर्देश?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गंगा औऱ उसकी सहायक नदियों को स्वच्छ रखने के लिए निम्नलिखित निर्देश दिए हैं।

निरंतर निगरानी का आदेश:

नमामि गंगे कार्यक्रम के निदेशक विशाल मिश्रा ने आदेश दिए हैं कि अब हर एसटीपी की लगातार मॉनिटरिंग होगी। एक निगरानी टीम बनाई गई है जो नियमित रूप से सभी प्लांट्स का निरीक्षण करेगी।

लापरवाही पर होगी सख्त कार्रवाई:

अगर किसी प्लांट में तकनीकी खराबी या रखरखाव में लापरवाही पाई जाती है, तो जिम्मेदार इकाई के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मानकों का पालन किया जाएगा सुनिश्चित:

सरकार का सख्त निर्देश है कि हर प्लांट को तय मानक प्रचालन प्रक्रिया के अनुसार ही चलाना होगा। अन्यथा उचित कार्रवाई की जाएगी।

प्रदेश में कहां कितने एसटीपी?

गौरतलब है कि उत्तराखंड में फिलहाल 70 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट काम कर रहे हैं। जिलेवार उनका ब्रेकडाउन कुछ यूं है:

●चमोली: 17
●देहरादून: 14
●टिहरी: 9
●नैनीताल: 8
●हरिद्वार: 6
●रुद्रप्रयाग: 6
●पौड़ी गढ़वाल: 5
●उत्तरकाशी: 2
●पिथौरागढ़: 2
●अल्मोड़ा: 1

गंगा और उसकी सहायक नदियां न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि करोड़ों लोगों की पानी की जरूरतें भी इन्हीं से पूरी होती हैं। अक्सर शिकायतें मिलती रहती थीं कि कई एसटीपी ठीक से काम नहीं कर रहे या फिर उनकी देखभाल ठीक से नहीं हो पा रही है, जिसका सीधा असर नदियों के पानी की गुणवत्ता पर पड़ रहा था। इस सख्त निगरानी से उम्मीद की जा रही है कि अब नदियों में गिरने वाले प्रदूषित पानी पर काबू पाया जा सकेगा और गंगा को साफ-स्वच्छ बनाने के मिशन को गति मिलेगी। इसके साथ ही अगले महाकुंभ तक सबको गंगा की पुण्य डुबकी स्वच्छ और निर्मल गंगा में लगाने का सौभाग्य प्राप्त होगा।

अन्य खबरे