अटकलों पर लगी रोक, राष्ट्रपति-पुरस्कार सम्मानित तेजतर्रार IPS राजीव कृष्ण बनें यूपी के नए DGP: 11 वरिष्ठ IPS दरकिनार, नकलविहीन सिपाही-भर्ती परीक्षा से लेकर...2027 के मिशन...जानें पूरी खबर
अटकलों पर लगी रोक, राष्ट्रपति-पुरस्कार सम्मानित तेजतर्रार IPS राजीव कृष्ण बनें यूपी के नए DGP

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पुलिस महकमे में शनिवार की शाम को बड़ा फैसला आया। दिन भर अटकलों का बाजार गर्म था कि डीजीपी प्रशांत कुमार को शायद आखिरी वक्त पर सेवा विस्तार मिल जाए, लेकिन सत्ता के गलियारों में अचानक से हुए परिवर्तन ने सबको चौंका दिया। अब यूपी पुलिस की कमान 1991 बैच के तेजतर्रार आईपीएस राजीव कृष्ण संभालेंगे।

प्रशांत कुमार के सेवा विस्तार की थी आशंका :

सूत्रों के अनुसार प्रशांत कुमार को रिटायरमेंट के बाद कुछ महीने का सेवा विस्तार मिलनें का अंदेशा लगाया जा रहा था। राज्य सरकार ने ‘समिति’ का गठन भी नहीं किया था, जिससे साफ था कि सेवा विस्तार की राह आसान की जा रही है। लेकिन ठीक अंतिम घड़ी में राजीव कृष्ण के नाम पर मुहर लग गई और यूपी को नया डीजीपी मिल गया।

पेपर लीक का ‘हीरो’ बनें थे डीजीपी :

गौरतलब है कि जब यूपी पुलिस की सबसे बड़ी सिपाही भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हुआ और शासन की साख खतरे में पड़ी, तब एक ही नाम सामने आया था राजीव कृष्ण। डीजी विजिलेंस के रूप में पहले से ही अहम जिम्मेदारी निभा रहे राजीव को भर्ती बोर्ड की कमान सौंपी गई। उन्होंने दोबारा बिना किसी गड़बड़ी के परीक्षा कराई, विशेषज्ञों के अनुसार यही उनके प्रमोशन का सबसे बड़ा कारण बना।

फैमिली ऑफ ब्यूरोक्रेट्स - पूरे परिवार में प्रशाषन के लोग :

आपको बता दें कि राजीव कृष्ण का परिवार उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी का सबसे ताकतवर ‘क्लस्टर’ माना जाता है उनकी पत्नी मीनाक्षी सिंह (वरिष्ठ IRS अधिकारी) लखनऊ में आयकर आयुक्त हैं वहीं साले राजेश्वर सिंह, ED के पूर्व जांबाज अधिकारी रहें हैं अब सरोजिनी नगर से बीजेपी विधायक भी हैं वहीं साली लक्ष्मी सिंह, IPS हैं जो वर्तमान में नोएडा की पुलिस कमिश्नर हैं। कहते हैं, राजीव कृष्ण सिर्फ एक अफसर नहीं हैं  वो एक 'इंस्टिट्यूशन' हैं, जिसके पीछे पूरा सिस्टम खड़ा है।

राजीव कृष्ण: ATS से लेकर विभिन्न जोन तक की कमान :

गौरतलब है कि राजीव कृष्ण उत्तर प्रदेश एटीएस के पहले डीआईजी रहें हैं। वे लखनऊ और आगरा जैसे संवेदनशील ज़ोन के एडीजी भी रह चुके हैं वे एसपी, एसएसपी रहते हुए कानपुर, बरेली, मथुरा, अलीगढ़, बुलंदशहर, नोएडा तक में अहम भूमिका में रहें हैं। राजीव कृष्ण विजिलेंस के जरिए भ्रष्टाचार पर कड़ा शिकंजा कसने वाले ऑफ़िसर्स में गिने जाते हैं। आपको बता दें कि वे दो बार राष्ट्रपति से गैलेंट्री अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं , उनके इस ट्रैक रिकॉर्ड ने ही उन्हें प्रशासन का पसंदीदा शख्श बना दिया।

11 अफसरों को किया सुपरसीड :

आपको बता दें कि राजीव कृष्ण की नियुक्ति ने यूपी के प्रशासनिक तंत्र में भूचाल ला दिया है। राज्य सरकार ने 11 वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को सुपरसीड कर सीधे उन्हें डीजीपी बना डाला। सरकार का संदेश साफ है कि काबिलियत सबसे पहले देखा जाएगा बाकी सब बाद में।

लंबे कार्यकाल का मिलेगा फायदा :

रिपोर्ट के अनुसार राजीव कृष्ण की सेवानिवृत्ति में अभी 4 साल 1 महीना बाकी है। इसका मतलब है कि यूपी को स्थिर, दूरदर्शी और भरोसेमंद डीजीपी मिल गया है। ऐसा शायद कई वर्षों में पहली बार हुआ है।

ये नियुक्ति 2027 के मिशन की है तैयारी! :

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है। राजीव कृष्ण की नियुक्ति ना सिर्फ लॉ एंड ऑर्डर को सुधारने की कोशिश है, बल्कि जनता में ‘सख्त लेकिन ईमानदार’ प्रशासन का संदेश देने की भी रणनीति है।

राजीव कृष्ण की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं, एक सच्चे अफसर, एक सक्षम प्रशासक, एक भरोसेमंद नेता से अब उत्तर प्रदेश पुलिस के सबसे बड़ा चेहरा बन चुके हैं ऐसे में देखना ये होगा कि राजीव कृष्ण कैसे यूपी की सबसे बड़ी वर्दी की जिम्मेदारी संभालतें हैं।

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