भारत के पानी रोकने पर, UN में गिड़गिड़ाया पाकिस्तान!: बोला- 'मर जाएंगे लोग'...भारत बोला- पहले पहले बंद करो आतंकवाद; जानें क्या है सिंधु-समझौता?
भारत के पानी रोकने पर, UN में गिड़गिड़ाया पाकिस्तान!

नई दिल्ली/दुशांबे : भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty - IWT) को लेकर तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) के मंच से भारत पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत सिंधु जल को रोककर लाखों पाकिस्तानी लोगों की जान को खतरे में डाल रहा है। यह समझौता भारत को खत्म करने नहीं देंगे। शहबाज ने दावा किया कि भारत पानी को एक राजनीतिक हथियार बना रहा है, जिससे पाकिस्तान की कृषि, सिंचाई और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

भारत की कड़ी प्रतिक्रिया – “संधि दोस्ती के लिए, आतंकवादियों के लिए नहीं” :

गौरतलब है कि शहबाज शरीफ के आरोपों का भारत ने भी दुशांबे में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में जवाब दिया। सम्मेलन का विषय "ग्लेशियरों का पिघलना और उसका जल सुरक्षा पर प्रभाव।" था। भारत की ओर से भाग ले रहे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री एवं विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि "यह समझौता शांति और अच्छे इरादों के साथ हुआ था। लेकिन पाकिस्तान की ओर से हो रहा सीमा पार आतंकवाद इस समझौते की आत्मा के खिलाफ है।”

पाकिस्तान मंच का कर रहा दुरुपयोग :

कीर्ति वर्धन सिंह ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह अंतरराष्ट्रीय मंचों का राजनीतिक इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा: “हम पाकिस्तान द्वारा इस मंच का दुरुपयोग करने और ऐसे मुद्दे लाने की कोशिश की निंदा करते हैं जो इस मंच के दायरे में नहीं आते।" उन्होंने साफ कहा कि परिस्थितियां बदल चुकी हैं, जनसंख्या बढ़ चुकी है, जलवायु परिवर्तन तेजी से हो रहा है, और सबसे अहम, सीमा पार आतंकवाद का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।

क्या बदल सकता है सिंधु जल समझौता? :

आपको बता दें कि भारत की ओर से पहली बार खुले मंच पर यह संकेत दिया गया है कि IWT की शर्तों की समीक्षा हो सकती है। राज्यमंत्री ने कहा कि सरकार के अंदर इस पर चर्चा हो रही है कि क्या इस समझौते की शर्तें अब भी भारत के हित में हैं या नहीं। बहुत समय से यह माना जा रहा है कि यह समझौता अब हमारे लिए उचित नहीं रह गया है।

क्या है सिंधु जल समझौता? :

गौरतलब है कि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से यह समझौता हुआ था। इस समझौते के परिणामस्वरूप भारत को पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलुज) मिलीं और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियाँ (झेलम, चिनाब, सिंधु) मिली। भारत को इन पश्चिमी नदियों का सीमित उपयोग (जैसे सिंचाई और बिजली उत्पादन) की अनुमति है।लेकिन अब भारत का मानना है कि पाकिस्तान आतंकवाद के जरिये संधि की भावना को कुचल रहा है।

ग्लेशियरों का पिघलना; एक नई चुनौती :

सम्मेलन में कीर्ति वर्धन सिंह ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ग्लेशियरों का पिघलना अब सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि हकीकत है। इसका असर न सिर्फ जल सुरक्षा पर पड़ेगा, बल्कि जैव विविधता और करोड़ों लोगों की आजीविका पर भी। उन्होंने विशेष रूप से हिमालय क्षेत्र का उल्लेख किया, जहां यह संकट और गहरा होता जा रहा है।

भारत का सन्देश आतंकवाद और संधि साथ नहीं चल सकते :

आपको बता दें कि भारत ने पहली बार इतने स्पष्ट शब्दों में पाकिस्तान को सीधा और सख्त संदेश दिया है कि अगर पाकिस्तान को सिंधु जल समझौते से लाभ चाहिए, तो उसे सीमा पार आतंकवाद रोकना होगा। वरना अब इस समझौते पर पुनर्विचार तय है।

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सिंधु जल समझौता एक नाजुक कड़ी है। लेकिन जब तक पाकिस्तान शांति की राह नहीं चुनता, भारत अब पानी छोड़नें की नीति से पीछे हटता नजर आ रहा है। पाकिस्तान को अब तय करना होगा आतंकवाद छोड़े या पानी की किल्लत झेले। भारत ने साफ कर दिया है कि भरोसा और आतंक साथ नहीं बह सकते। सिंधु जल अब सिर्फ संसाधन नहीं, रणनीति बन चुका है।

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