नई दिल्ली: सालों से लंदन में रहकर भारतीय कानून और अदालतों से बचता फिर रहा किंगफिशर का भगोड़ा कारोबारी विजय माल्या अब खुद भारत लौटने की बात कर रहा है, लेकिन एक सख्त शर्त के साथ। हाल ही में माल्या ने राज शमानी के साथ एक पॉडकास्ट में चार घंटे लंबी बातचीत में बड़ा बयान दिया, जिसने सियासी हलकों और सोशल मीडिया में हलचल मचा दी है।
भारत वापसी के लिए रखी "शर्त" :
आपको बता दें कि माल्या ने साफ-साफ कहा कि अगर भारत सरकार उन्हें निष्पक्ष सुनवाई और सम्मानजनक जीवन की गारंटी दे तो वे भारत लौटने पर गंभीरता से विचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल भारत की जेलों की स्थिति पर उन्हें भरोसा नहीं है। माल्या ने कहा कि : "भारत में मुझे निष्पक्ष सुनवाई और गरिमापूर्ण जीवन की कोई गारंटी नहीं है। अगर ऐसा भरोसा मिले तो मैं वापसी पर विचार करूंगा।"
भारत की जेलों में मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप :
गौरतलब है कि माल्या ने ECHR (European Convention on Human Rights) का हवाला देते हुए कहा कि ब्रिटिश अदालतों में यह साबित हो चुका है कि भारत की जेलों में मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है। अनुच्छेद-3 के तहत भारत की जेलों को 'अमानवीय' करार दिया गया है, जिससे अदालतों ने भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाई है। "भारत सरकार कोशिश तो कर रही है लेकिन यूके की अदालतें यह देख रही हैं कि भारत में जेलों में कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार न हो। यही कारण है कि कोर्ट कई बार प्रत्यर्पण आदेशों पर सवाल उठाती है"
"भगौड़ा कह सकते पर मुझे 'चोर' मत कहो!" :
इंटरव्यू के दौरान माल्या ने 'चोर' कहे जाने पर गहरी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, "मुझे भगोड़ा कह सकते हो, लेकिन चोर नहीं। मैंने चोरी कहां की है? अगर कोई कानूनी गलती साबित हो तो मैं उसका जवाब दूंगा, लेकिन 'चोर' की छवि गढ़ना सरासर गलत है।"
"मैं भागा नहीं, तय कार्यक्रम के तहत गया था" :
वीडियो के अनुसार माल्या ने यह भी दावा किया कि वह चुपके से भारत से नहीं भागे, बल्कि पहले से तय कार्यक्रम के तहत 2016 में देश से बाहर गए थे। उन्होंने कहा कि उनका यूके में रुकना परिस्थितियों के कारण हुआ है, न कि किसी आपराधिक मंशा से। "मुझे भगोड़ा बोलना एक हद तक समझ में आता है क्योंकि मैं 2016 के बाद वापस नहीं लौटा, लेकिन यह कहना कि मैं 'भागा' यह तथ्यात्मक रूप से गलत है। मैं तय कार्यक्रम के तहत बाहर गया था।"
क्या भारत सरकार मानेगी शर्त? :
आपको बता दें कि अब सवाल यह है कि क्या भारत सरकार माल्या की 'सम्मानजनक जीवन और निष्पक्ष सुनवाई' वाली शर्त को स्वीकार करेगी? या फिर यूके में जारी कानूनी लड़ाई के जरिए ही माल्या को प्रत्यर्पित करने की कोशिश जारी रहेगी? एक ओर माल्या जहां अपनी छवि को सुधारने में लगे हैं, वहीं भारतीय एजेंसियां उन्हें जल्द से जल्द भारतीय अदालत में खड़ा करना चाहती हैं।
चर्चा में फिर आया भगोड़ा किंगफिशर किंग :
गौरतलब है कि माल्या के इस पॉडकास्ट इंटरव्यू ने एक बार फिर इस किंगफिशर किंग को सुर्खियों में ला दिया है। भारत में सोशल मीडिया पर यूजर्स ने माल्या के 'चोर मत बोलो' वाले बयान पर कई मीम्स भी बना डाले हैं।
अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले हफ्तों में क्या विजय माल्या की भारत वापसी को लेकर कोई नया मोड़ आता है या यह बयान सिर्फ एक छवि सुधारने की कोशिश साबित होता है।