नोएडा: साइकोलॉजी में पोस्ट-ग्रेजुएट युवक ने RAW अधिकारी बनकर रची 3 करोड़ की ठगी, STF की कार्रवाई में परत-दर-परत खुल रहा खेल।
नोएडा में उस वक्त सनसनी फैल गई जब यूपी STF ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया जो खुद को RAW अधिकारी, आर्मी मेजर, कभी कर्नल, और कभी काउंटर-इंटेलिजेंस स्पेशलिस्ट बताता था। इस हाई-प्रोफाइल फर्जी अधिकारी का नाम है सुनीत कुमार, उम्र लगभग 37 साल।
लेकिन असली चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी साइकोलॉजी में पोस्ट-ग्रेजुएट है, और लोगों का "दिमाग पढ़ने" में इतना माहिर कि जो भी उसके संपर्क में आया, उसे वह मिनटों में अपने जाल में फंसा लेता था।
माइंड-रीडिंग स्किल्स से बनाता था भरोसे का जाल
STF की शुरुआती जांच में एक बात साफ हुई, सुनीत सिर्फ फर्जी पहचान का मास्टर नहीं था, बल्कि मनोविज्ञान का गहरा जानकार भी था। वह लोगों की बॉडी-लैंग्वेज, आवाज़, खामोशी, भावनाओं को इतनी बारीकी से पढ़ता था कि सामने वाला तुरंत यह मान ले कि वह कोई उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारी है।
लोगों का विश्वास जीतने के लिए वह कभी NLP, कभी Behaviour Manipulation और कभी High-Confidence Projection का तरीका अपनाता था। उसके लिए फर्जी RAW ऑफिसर बनना सिर्फ एक मास्क नहीं, पूरा साइकोलॉजिकल गेम था।
VIP लाइफस्टाइल और RAW ऑफिसर जैसा व्यवहार
सुनीत ने अपनी सोसाइटी पैरामाउंट गोल्फ फॉरेस्ट (ग्रेटर नोएडा) में खुद की एक ऐसी इमेज बना रखी थी कि लोग उसे देखकर ही डर जाते थे। महंगे फॉर्मल कपड़े, सरकारी गाड़ी जैसी नंबर प्लेट, लैपटॉप बैग, फाइलों का बंडल, फोन पर “सीक्रेट कोड-वर्ड” में बातें…
कई पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि वह अक्सर कहता था “मैं RAW में हूं, मेरी ड्यूटी 24×7 होती है… ये बातें बाहर मत बताना, आपकी सुरक्षा का सवाल है।” लोग उसे देखकर ही समझते थे कि वह कोई बड़ा अधिकारी है।
जज पत्नी भी उसके जाल में फंस गई थीं
कहानी का सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि सुनीत की पत्नी बिहार में न्यायिक सेवा (जज) में हैं। उन्होंने खुद स्वीकार किया कि सुनीत ने उन्हें भी झूठे सपनों में रखा।
वह कहता था कि वह गृह मंत्रालय से जुड़ा है और RAW में “सीक्रेट मिशन” संभालता है, पत्नी को भी उसने कई बार चेतावनी दी “मेरे काम को लेकर अगर तुम किसी से बात करोगी तो हम दोनों खतरे में आ जाएंगे।”
जब STF ने असलियत बताई, तो वह पूरी तरह टूट गईं।
10 बैंक अकाउंट, 3 करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन, 81 लाख फ़्रीज़
जांच में सामने आया कि सुनीत ने करीब 10 बैंक अकाउंट खोल रखे थे। सिर्फ 10 महीनों में ही 3 करोड़ रुपये का भारी-भरकम लेन-देन पाया गया। STF ने तुरंत 81 लाख रुपये फ्रीज़ किए। अब टीम यह पता लगा रही है कि-
किन-किन लोगों ने पैसे भेजे?
क्या वह सरकारी नौकरी का लालच देता था?
क्या हवाला या किसी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से लिंक था?
मनी-ट्रेल की जांच अब ED और IB के पास भी पहुँच सकती है।
फर्जी कंपनियों का जाल: Happy Mental Health से लेकर Lokally Technologies तक
सुनीत ने तीन कंपनियां बनाई थीं-
Happy Mental Health Service
Festum 24 Technologies
Lokally Technologies
इन कंपनियों का इस्तेमाल वह लोगों को “सरकारी क्लीयरेंस”, “गोपनीय जांच”, “जॉब प्रोसेसिंग”, “मेंटल इवैल्यूएशन” जैसे बहानों से लूटने में करता था। प्रोफेशनल दुनिया में अपनी छवि को मजबूत करने के लिए वह ऑफिस, मीटिंग रूम और डिजिटल प्रोफाइल भी मेंटेन करता था।
टैबलेट से मिला ‘दिल्ली ब्लास्ट’ वीडियो, बड़ा मोड़
छापेमारी में STF को उसके कमरे से जो टैब मिला, उसमें एक दिल्ली ब्लास्ट से जुड़ा वीडियो मिला। अब यह बड़ा सवाल उठ रहा है कि-
यह वीडियो वहां कैसे पहुंचा?
उसका उद्देश्य क्या था?
क्या वह किसी और बड़े नेटवर्क से संपर्क में था?
फॉरेंसिक टीमें यह जांच कर रही हैं कि वीडियो डाउनलोडेड था या किसी से शेयर किया गया था।
विदेश यात्राओं पर भी बड़ा शक
सुनीत पिछले एक साल में कई बार दुबई, मलेशिया और श्रीलंका गया था। STF यह पता लगाने में जुटी है कि-
यह यात्राएं घूमने के लिए थीं या किसी गुप्त नेटवर्क से जुड़ने के लिए?
विदेश में उसकी मुलाकातें किससे हुईं?
क्या वह किसी क्रॉस-बॉर्डर फर्जी नेटवर्क का हिस्सा था?
यह एंगल केस को और गंभीर बनाता है।
STF का ऑपरेशन: 48 घंटे की निगरानी, फिर चौंकाने वाली गिरफ्तारी
STF को उसके खिलाफ गोपनीय इनपुट मिला। उसके बाद टीम ने उसकी कॉल डिटेल्स, मूवमेंट, ट्रांजैक्शंस सब की 48 घंटे तक निगरानी की। सही समय देखते ही टीम ने उसकी सोसाइटी में छापा मारा।
कमरे से फर्जी RAW कार्ड, नकली सैन्य दस्तावेज, फर्जी आधार/वोटर-आईडी, फर्जी चेकबुक, लेटरहेड्स और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस बरामद किए। पूरा कमरा RAW ऑफिस जैसा सेटअप बनाकर सजाया गया था।
क्या वह अकेला था या बड़े गिरोह का हिस्सा?
जांच एजेंसियों को शक है कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का खेल नहीं। उसके बैंक अकाउंट, कंपनियां, विदेश यात्राएं और मनी-ट्रेल देखकर लगता है कि उसके पीछे एक संगठित सिंडिकेट काम कर रहा था। STF अब उसके फोन और लैपटॉप से मिले कॉन्टैक्ट्स को भी ट्रैक कर रही है।
अब अगला कदम?
मनी-ट्रेल रिपोर्ट
टैबलेट फॉरेंसिक
पत्नी का बयान
विदेश यात्राओं की डिटेल
फर्जी कंपनियों की रजिस्ट्रेशन जांच
जैसे-जैसे ये जांच आगे बढ़ेगी, यह केस और भी बड़े खुलासे कर सकता है।