इस्लामाबाद : पाकिस्तान जिस कश्मीर को अपनी “जीत का ताज” बताता है, वहीं अब उसकी नींव हिल रही है। पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) की सड़कों पर जनता ने पाकिस्तान सरकार के खिलाफ खुला विद्रोह छेड़ दिया है। गुरुवार को हालात इतने बिगड़े कि पुलिस और सुरक्षाबलों से हुई झड़प में 15 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए।
गुस्से की जड़ – दो साल का दर्द :
आपको बता दें कि यह आग अचानक नहीं भड़की। इसकी जड़ें 2023 से जुड़ी हैं। मई 2023 में लोगों ने बिजली की बेतहाशा बढ़ती दरों के खिलाफ प्रदर्शन किया। उसी साल सितंबर में आटे की किल्लत और महंगाई पर आंदोलन भड़का। मई 2024 में फिर से विरोध भड़का, 5 लोगों की मौत हुई। हर बार सरकार ने अस्थायी राहत दी लेकिन स्थायी समाधान नहीं किया। लोगों का आरोप है कि “हम महंगाई से पिस रहे हैं और इस्लामाबाद के नेता महंगी गाड़ियों में घूम रहे हैं।”
आंदोलनकारियों की 38 मांगें :
गौरतलब है कि जॉइंट ऐक्शन अवामी कमेटी के बैनर तले हो रहे आंदोलन में जनता ने साफ कहा है कि अब दिखावे से काम नहीं चलेगा।
उनकी मांगों में शामिल हैं:
● शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मुफ्त हों।
● सरकारी अफसरों और मंत्रियों की ऐशो-आराम की सुविधाएं खत्म की जाएं।
● 1947 में भारत से आए रिफ्यूजियों को दी गई 12 आरक्षित सीटें खत्म हों।
● महंगाई कम हो, आटे और बिजली पर सब्सिडी मिले।
● 2023 और 2024 के आंदोलनों में दर्ज मुकदमे हटाए जाएं।
● PoK में एयरपोर्ट और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट शुरू हों।
आरक्षण बना बारूद की चिंगारी :
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि PoK के लोगों में सबसे ज्यादा नाराजगी रिफ्यूजी आरक्षण को लेकर है। 1947 में भारत से पलायन कर आए लोगों को राजनीतिक आरक्षण मिला था। आज ये लोग मजबूत गुट बन चुके हैं और PoK की राजनीति पर कब्जा कर रहे हैं। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि “हम बेरोजगार हैं, हमारे पास अस्पताल और स्कूल नहीं हैं, लेकिन सत्ता पर काबिज लोग बाहर से आए।”
पाकिस्तान सरकार की ‘नाकाबंदी’
विदित है कि दिक्कत ये है कि विद्रोह थामने के बजाय पाकिस्तान सरकार ने इंटरनेट बंद कर दिया है। मोबाइल सेवाएं ठप कर दी गईं। मुजफ्फराबाद में बाजार बंद पड़े हैं। सड़कों पर गाड़ियां गायब हैं, जगह-जगह सेना तैनात है। करीब 40 लाख लोग अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं।
बड़ा सवाल – क्या PoK हाथ से निकल रहा है?
गौरतलब है कि PoK की आग पाकिस्तान के लिए सिरदर्द बन चुकी है। भारत के खिलाफ “कश्मीर राग” अलापने वाली सरकार अब अपने हिस्से के कश्मीर में जनता के गुस्से से बेबस है।
क्या यह सिर्फ आंदोलन है या विद्रोह की शुरुआत?
विदित है कि अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या जनता अब पाकिस्तान से अलग होकर अपनी राह चुनेगी? या पाकिस्तान सेना और हुकूमत इस आग को और खून से दबाएगी? क्या पाकिस्तान, जो भारत पर “कश्मीर का राग” अलापता रहता है, अपने ही हिस्से के कश्मीर की आग को बुझा पाएगा? या यह गुस्सा अब और बड़ा रूप लेगा जिससे भारत को फायदा होगा।