नई दिल्ली/बीजिंग/वॉशिंगटन : दुनिया की दवा फैक्ट्री कहे जाने वाले भारत को एक साथ झटका और राहत दोनों मिले हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जहां दवा आयात पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान कर भारतीय निर्यात पर चोट की है, वहीं चीन ने उल्टा कदम उठाते हुए भारतीय दवाओं से पूरा 30% आयात शुल्क हटा दिया है। अब भारतीय कंपनियां बिना किसी सीमा शुल्क के सीधे दुनिया के दूसरे सबसे बड़े बाजार चीन को दवाएं बेच सकेंगी।
ट्रंप का फैसले से अमेरिकी नागरिकों पर बढ़ेगा बोझ
आपको बता दें कि दो दिन पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आयातित सामान पर भारी शुल्क लगाने का एलान किया था। जिनमें फार्मा उत्पादों पर 100% शुल्क, किचन कैबिनेट व बाथरूम वैनिटी पर 50% शुल्क, फर्नीचर पर 30% शुल्क तो वहीं भारी ट्रक पर 25% शुल्क का ऐलान किया था। यह नियम 1 अक्टूबर से लागू होगा। यानी अमेरिका में भारत की जेनेरिक दवाइयां भी अचानक दोगुनी कीमत पर बिकेंगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत से 80% दवाइयां जेनेरिक जाती हैं, जो आम लोगों की जेब के अनुकूल होती हैं। ऐसे में टैरिफ से सबसे ज्यादा मार अमेरिकी परिवारों पर ही पड़ेगी।
चीन का मास्टरस्ट्रोक – भारतीय कंपनियों के लिए बड़ा मौका :
गौरतलब है कि ट्रंप के फैसले के ठीक बाद बीजिंग ने ऐलान किया कि भारत से आने वाली दवाओं पर अब कोई आयात शुल्क नहीं लगेगा। पहले चीन 30% टैक्स वसूलता था। अब कंपनियां 0% टैक्स में सीधे दवाएं बेच सकेंगी। भारत को चीन जैसे विशाल बाजार में बराबरी का अवसर मिलेगा। इससे न सिर्फ भारतीय फार्मा सेक्टर को नई उड़ान मिलेगी, बल्कि अरबों डॉलर के निर्यात की संभावना भी खुल जाएगी।
आंकड़ों में भारत का फार्मा साम्राज्य
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत हर साल दुनिया को करीब 2.70 लाख करोड़ रुपये की दवाइयां निर्यात करता है। इसमें से अमेरिका को 93 हजार करोड़ रुपये (जिसमें 65 हजार करोड़ जेनेरिक दवाएं हैं) का निर्यात जाता है। चीन अब इस हिस्सेदारी में बड़ा भागीदार बन सकता है।
क्या कहते हैं कारोबारी?
“शहर के दवा निर्यातकों को अमेरिका के इस टैरिफ से बहुत कम असर होगा, हमारे पास अन्य देशों का बड़ा बाजार है।”
– राजीव बंसल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, IIA
“भारत अमेरिका पर निर्भर नहीं है। उल्टा, टैरिफ से अमेरिकी नागरिकों को ही महंगी दवाइयां खरीदनी पड़ेंगी।”
– निशांत शर्मा, फार्मा मैन्युफैक्चरर
भारत को क्या फायदा होगा?
नया बाजार – चीन जैसे विशाल देश में जेनेरिक दवाओं की मांग भारी है इस तरह भारत को एक बड़ा बाजार मिलेगा।
नौकरियां – नए निर्यात ऑर्डरों से हजारों नई नौकरियां पैदा होंगी जिससे भारत की GDP बढ़ेगी।
व्यापार संतुलन – भारत-चीन व्यापार संबंधों में पहली बार संतुलन बन सकता है क्योंकि भारत चीन व्यापार असंतुलन 100 करोड़ पार हो चुका है।
वैश्विक स्थिति मजबूत – भारत की पहचान "दुनिया की फार्मेसी" के तौर पर और मजबूत होगी।
निष्कर्ष :
ट्रंप का टैरिफ भारत के लिए चुनौती है, लेकिन चीन का दरवाजा खुलना राहत से बढ़कर सुनहरा मौका है। अब सवाल ये है कि क्या अमेरिकी लोग महंगी दवाइयों की कीमत चुकाएंगे या भारतीय कंपनियां चीन में नई दवा क्रांति शुरू करेंगी?