इस्लामाबाद/नई दिल्ली : पाकिस्तान में एक नई वैक्सीन ने ऐसा तूफान मचाया है कि सोशल मीडिया से लेकर सियासत तक सब हिल गए हैं। बात हो रही है Human Papillomavirus (HPV) वैक्सीन की, जिसे सितंबर में पाकिस्तान की राष्ट्रीय टीकाकरण योजना में शामिल किया गया। लेकिन शुरू होते ही इस पर विवादों की झड़ी लग गई।
पाकिस्तान में अफवाहों का बाजार गर्म :
आपको बता दें कि जैसे ही वैक्सीन आई, सोशल मीडिया पर तरह-तरह की बातें फैलने लगीं –
“लड़कियां इस वैक्सीन से बीमार हो रही हैं।”
“ये टीका बांझपन का कारण बन सकता है।”
“क्या पाकिस्तान में विदेशी एजेंडा लागू किया जा रहा है?”
हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया। उनका कहना है कि वैक्सीन के सिर्फ हल्के और अस्थायी साइड इफेक्ट होते हैं जैसे हाथ में दर्द, हल्का बुखार या थकान। वैज्ञानिक सबूत यह साबित करते हैं कि HPV वैक्सीन सुरक्षित है और इसका बांझपन से कोई संबंध नहीं है।
पाकिस्तान की हकीकत :
गौरतलब है कि पाकिस्तान हर साल 3,000 से ज्यादा महिलाओं को सर्विक्स कैंसर से खो देता है। वहां इसका इलाज महंगा और मुश्किल है, और सामाजिक कलंक के कारण महिलाएं देर से अस्पताल पहुंचती हैं। यही वजह है कि HPV वैक्सीन को शामिल करना एक बड़ा कदम माना जा रहा है। पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री मुस्ताफा कमाल ने कहा कि
“पाकिस्तान दुनिया का 151वां देश है, जिसने HPV वैक्सीन अपनाई है। इससे पहले 150 देशों में यह टीका दिया जा चुका है, जिनमें ज्यादातर मुस्लिम देश भी शामिल हैं।”
दो रणनीतियों से विरोध :
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान में वैक्सीन का विरोध दो तरीकों से हो रहा है:
Whataboutism – विरोध के इस तरीकें में लोग कहते हैं, “पोलियो वैक्सीन भी विवादास्पद थी, अब ये क्यों?” या “जब ब्रेस्ट कैंसर ज्यादा आम है, तो पहले उसका इलाज क्यों नहीं?”
Cherry-picking – विरोध के इस तरीकें में कुछ घटनाओं को तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है, जबकि लाखों लड़कियों पर सुरक्षित असर को नजरअंदाज किया जाता है।
भारत का क्या है रुख :
गौरतलब है कि भारत ने HPV वैक्सीन को लेकर कहीं ज्यादा सकारात्मक रवैया अपनाया है। कई राज्यों में यह टीका स्कूलों और सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में दिया जा रहा है। भारत सरकार और पार्टनर संगठन जागरूकता अभियान चला रहे हैं, ताकि माता-पिता को सही जानकारी मिले। भारत इस वैक्सीन को सिर्फ एक टीका नहीं, बल्कि लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा का हथियार मान रहा है।
पाकिस्तान में विश्वास औऱ जागरूकता की कमी :
विदित है कि पाकिस्तान का विवाद साफ दिखाता है कि सिर्फ वैक्सीन उपलब्ध कराना काफी नहीं है। विश्वास और जागरूकता ज़रूरी है। अफवाहों को तोड़ना और सही जानकारी पहुँचाना जरूरी है। वरना सबसे सुरक्षित टीका भी विवाद का शिकार हो सकता है।
ऐसे में अब भी सवाल यही है कि क्या पाकिस्तान अफवाहों और विरोध के बीच HPV वैक्सीन पर भरोसा बनाएगा, या फिर एक सुरक्षित भविष्य का मौका गंवा देगा?