अंतरराष्ट्रीय संबंध: अमेरिका और यूक्रेन के बीच हुई ऐतिहासिक वार्ता से पहले ही यूरोप के बड़े नेताओं की उपस्थिति व्हाइट हाउस में दिखाई दी।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, फिनलैंड के राष्ट्रपति एलेक्ज़ेंडर स्टब, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और नाटो महासचिव मार्क रुटे वॉशिंगटन पहुँचे।
ये सभी नेता एक अलग कक्ष में मौजूद रहकर ट्रंप-जेलेंस्की वार्ता की जानकारी लेते रहे। यह यूरोप की एकजुटता और सक्रिय भागीदारी का संकेत माना गया।
ट्रंप का बड़ा ऐलान: NATO जैसी सुरक्षा गारंटी:
बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को यूरोपीय प्रस्तावों के अनुरूप NATO जैसी सुरक्षा गारंटी देने का वादा किया।
उन्होंने कहा कि इस गारंटी के तहत यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी अमेरिका और उसके सहयोगी देशों पर होगी।
ट्रंप ने यह भी आशा जताई कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सकारात्मक रुख अपनाएँगे और आगामी त्रिपक्षीय वार्ता के बाद एक हज़ार से अधिक यूक्रेनी कैदियों की रिहाई संभव होगी।
रिश्तों में बदलाव: तनाव से सहयोग तक:
यह मुलाक़ात फरवरी 2025 में हुई पिछली बैठक से बिल्कुल भिन्न रही। उस समय ट्रंप और जेलेंस्की के बीच ओवल हाउस में तीखी बहस हुई थी और वार्ता तनावपूर्ण माहौल में समाप्त हुई थी।
लेकिन इस बार पूरा वातावरण शांत और सहयोगपूर्ण रहा। दोनों नेता कई बार मुस्कुराते और अनौपचारिक बातचीत करते नज़र आए।
इससे साफ़ संदेश गया कि अमेरिका और यूक्रेन अब अपने रिश्तों को नए भरोसे और साझेदारी की दिशा में आगे बढ़ाना चाहते हैं।
करीब 90 अरब डॉलर का हथियार सौदा:
सुरक्षा गारंटी के अलावा बैठक में रक्षा और आर्थिक सहयोग पर भी चर्चा हुई।
रिपोर्टों के अनुसार, यूक्रेन अमेरिका से करीब 90 अरब डॉलर मूल्य के हथियारों की खरीद की योजना पर काम कर रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता न केवल यूक्रेन की सैन्य क्षमताओं को मजबूत करेगा बल्कि अमेरिकी रक्षा उद्योग को भी बड़ा आर्थिक प्रोत्साहन देगा।
यूरोप ने दिखाया खुला समर्थन:
यूरोपीय नेताओं की उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया कि यूक्रेन की सुरक्षा अब पूरे यूरोप की प्राथमिकता है।
फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने अमेरिका के नेतृत्व का समर्थन जताया।
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा—
“यह पहल केवल यूक्रेन ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप की स्थिरता के लिए आवश्यक है।”
वहीं नाटो महासचिव मार्क रुटे ने दोहराया कि गठबंधन यूक्रेन की सुरक्षा के लिए दीर्घकालिक रणनीति तैयार करेगा।
रूस की प्रतिक्रिया पर सबकी नज़र:
ट्रंप के ऐलान के बाद अब सबकी निगाहें रूस की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।
पुतिन ने संकेत दिए हैं कि वे पश्चिमी देशों की सुरक्षा गारंटी पर विचार कर सकते हैं, हालांकि अंतिम निर्णय त्रिपक्षीय वार्ता के बाद ही सामने आएगा।
दुनिया भर की नजरें इस पर हैं कि क्या रूस इन गारंटियों को स्वीकार करेगा और क्या यह पहल युद्ध को शांति समझौते की दिशा में ले जाएगी।
युद्ध से शांति की ओर बढ़ते कदम:
व्हाइट हाउस में हुई यह बैठक केवल अमेरिका और यूक्रेन तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें पूरे यूरोप की सीधी भागीदारी दिखी।
ट्रंप का सुरक्षा गारंटी का वादा, यूरोपीय नेताओं का समर्थन और संभावित त्रिपक्षीय वार्ता—ये सभी मिलकर यूक्रेन संघर्ष को शांति की दिशा में पहला ठोस अवसर प्रदान कर रहे हैं।
अब पूरी दुनिया की निगाहें रूस के अगले कदम पर हैं, जो यह तय करेगा कि यह पहल वास्तव में युद्ध समाप्त करने की ओर ले जाएगी या नहीं।