जैकी श्रॉफ पर छेड़खानी के आरोप से लेकर 'काले हिरण' केस तक!: 54 साल की हुई तब्बू , जानें तब्बू का फिल्मी सफर और वो वजह क्यों नहीं देखना चाहती अपने पिता का चेहरा?
जैकी श्रॉफ पर छेड़खानी के आरोप से लेकर 'काले हिरण' केस तक!

बॉलीवुड/मनोरंजन: बॉलीवुड की इस 'ओरिजिनल क्वीन' ने आज 54 साल की उम्र में कदम रख दिया है। तबस्सुम फातिमा हाशमी, यानी तब्बू, जिनका सफर एक टूटे हुए परिवार की लड़की से लेकर भारतीय सिनेमा की सबसे सम्मानित अभिनेत्री तक का है। उनके जीवन के हर पन्ने में संघर्ष, दृढ़ संकल्प और असाधारण प्रतिभा की कहानी दर्ज है।

बचपन का दर्द; पिता से इतनी नाराजगी कि चेहरा तक नहीं देखना चाहतीं :

आपको बता दें कि तब्बू का बचपन आसान नहीं था। जब वह महज 3 साल की थीं, तभी उनके पिता जमाल हाशमी ने उनकी मां रिजवाना को तलाक दे दिया और दूसरी शादी कर ली। इस घटना ने उनके बचपन पर गहरा असर छोड़ा। 2015 के एक इंटरव्यू में तब्बू ने सिमी गरेवाल से कहा था, "मैं अपने पिता का चेहरा तक नहीं देखना चाहती... मेरी मां ही मेरी पूरी दुनिया हैं।" उनकी मां रिजवाना ने बेटियों तब्बू और फराह को अकेले ही पाल-पोसकर बड़ा किया, हैदराबाद से मुंबई तक का सफर तय किया।

14 साल की उम्र में ही निभाया सिनेमा का सबसे कठिन रोल :

ग़ौरतलब है कि तब्बू का फिल्मी सफर एक ऐसी भूमिका से शुरू हुआ जिसे आज भी याद किया जाता है। देव आनंद की फिल्म 'हम नौजवान' (1985) में महज 14 साल की उम्र में उन्होंने एक रेप पीड़िता की भूमिका निभाई। यह भूमिका इतनी संवेदनशील थी कि आज भी उनके साहस की मिसाल दी जाती है। इससे पहले वह 'बाजार' में एक चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में नजर आ चुकी थीं।

विवादों का साया - जैकी श्रॉफ से लेकर 'काले हिरण' केस तक :

तब्बू का जीवन विवादों से भी घिरा रहा। 1986 में मॉरीशस में एक पार्टी में जैकी श्रॉफ ने कथित तौर पर शराब के नशे में उन्हें जबरदस्ती किस करने की कोशिश की। तब्बू की बहन ने उनपर इस घटना को लेकर छेड़छाड़ का आरोप लगाया। इस घटना के बाद तब्बू ने कभी जैकी श्रॉफ के साथ काम नहीं किया। 1998 में 'हम साथ साथ हैं' की शूटिंग के दौरान काले हिरण केस में उन्हें भी आरोपी बनाया गया, हालांकि बाद में वह बरी हो गईं। उन्होंने इसे 'बेवजह घसीटे जाने' वाला मामला बताया।

प्रेम संबंध: संजय कपूर से नागार्जुन तक का सफर -

तब्बू की निजी जिंदगी हमेशा से चर्चा का विषय रही। उनके नाम सबसे पहले संजय कपूर के साथ जोड़ा गया। फिल्म 'प्रेम' के सेट पर उनकी नजदीकियां बढ़ीं, लेकिन यह रिश्ता टिक नहीं सका। इसके बाद सबसे गहरा रिश्ता तेलुगु सुपरस्टार नागार्जुन के साथ रहा। यह रिश्ता काफी गंभीर हुआ, लेकिन नागार्जुन के पहले से विवाहित होने के कारण इसे आगे नहीं बढ़ पाया। नागार्जुन ने बाद में उन्हें अपनी 'प्यारी दोस्त' बताया।

करियर का स्वर्णिम सफर -'विजयपथ' से 'अंधाधुन' तक :

विदित है कि तब्बू ने अपने करियर में हमेशा चुनौतीपूर्ण भूमिकाएं चुनीं। 1994 में 'विजयपथ' से उन्हें बड़ी सफलता मिली और पहला फिल्मफेयर अवार्ड। 'माचिस' और 'चांदनी बार' जैसी फिल्मों ने उन्हें सीरियस एक्ट्रेस के तौर पर स्थापित किया। 'चीनी कम' में अमिताभ बच्चन के साथ और 'हैदर' में शाहिद कपूर की मां का रोल निभाकर उन्होंने साबित किया कि असली कलाकार की कोई उम्र नहीं होती। साथ ही 'अंधाधुन' में उनके अभिनय ने अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।

तब्बू का 54 साल का सफर सिखाता है कि जीवन की कठिनाइयों को हमेशा अपने हौसले और हुनर से हराया जा सकता है। एक टूटे परिवार की लड़की ने न सिर्फ बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई, बल्कि पद्मश्री जैसे सम्मान से भी नवाजी गईं। आज भी वह अपने सशक्त अभिनय, सादगी और गहरी सोच के लिए जानी जाती हैं। तब्बू साबित करती हैं कि असली स्टारडम उम्र, रिश्तों या विवादों से परे होता है।

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