नहीं रहे शोले के ‘जेलर’ असरानी!: 84 की उम्र में ली आखिरी साँस, दोस्तों की मदद से बने सुपरस्टार वही निधन से पहले किया था ये आखिरी पोस्ट?
नहीं रहे शोले के ‘जेलर’ असरानी!

मुंबई : हिंदी सिनेमा की कॉमेडी दुनिया को झकझोर देने वाली खबर आई है।

फिल्म ‘शोले’ के मशहूर ‘जेलर’ असरानी अब इस दुनिया में नहीं रहे। 84 साल की उम्र में सोमवार दोपहर मुंबई के जुहू स्थित आरोग्यानिधि अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। असरानी पिछले चार दिनों से अस्वस्थ थे और इलाज चल रहा था। आज शाम उनका अंतिम संस्कार सांताक्रूज के शास्त्री नगर श्मशान घाट में कर दिया गया; चुपचाप, बिना किसी फिल्मी भीड़ के… जैसा असरानी खुद चाहते थे।

चार दिन से अस्पताल में थे भर्ती, अंतिम समय में कही थी पत्नी से यह बात

असरानी के मैनेजर ने बताया कि वह पिछले चार दिनों से बीमार थे। दोपहर करीब तीन बजे उनका निधन हुआ।
लेकिन जो बात सबसे ज्यादा भावुक कर देने वाली है। असरानी ने अपनी पत्नी मंजू से अंतिम समय में कहा था कि वे अपने अंतिम सफर में कोई भीड़ नहीं चाहते। उनकी इच्छा के अनुसार ही पत्नी मंजू ने किसी को सूचना नहीं दी, और असरानी का अंतिम संस्कार चुपचाप कर दिया गया।

आखिरी सांस से कुछ घंटे पहले दी थी ‘हैप्पी दीवाली’ की शुभकामना :

आपको बता दें कि यकीन करना मुश्किल है, लेकिन असरानी ने अपने निधन से कुछ घंटे पहले ही इंस्टाग्राम पर दिवाली की शुभकामनाएं दी थीं। उन्होंने अपने फैंस को ‘हैप्पी दीवाली’ कहा और कुछ ही देर बाद खबर आई कि “असरानी नहीं रहे।” फैंस और फिल्म जगत के लिए यह दिवाली अब हमेशा के लिए एक उदासी छोड़ गई है।

जयपुर से मुंबई तक का सफर — दोस्तों के पैसों से बने सितारे :

विदित है कि असरानी का जन्म जयपुर में 1 जनवरी 1941 को हुआ था। उनके परिवार की जड़ें पाकिस्तान से जुड़ी थीं। उन्होंने रेडियो जयपुर में काम कर पढ़ाई का खर्च उठाया। अभिनय की कला उन्होंने कलाभाई ठक्कर से सीखी। 1962 में वे फिल्मों की तलाश में मुंबई पहुंचे और 1964 में फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट, पुणे में दाखिला लिया। पहला बड़ा मौका मिला फिल्म ‘हरे कांच की चूड़ियां’ में, जहां उन्होंने बिश्वजीत के दोस्त का किरदार निभाया और वही बन गया असरानी का फिल्मी पासपोर्ट।

राजेश खन्ना के साथ 25 फिल्में — दोस्ती जिसने करियर बदल दिया :

गौरतलब है कि असरानी की किस्मत बदली फिल्म ‘नमक हराम’ से। इस फिल्म के दौरान उनकी दोस्ती सुपरस्टार राजेश खन्ना से हुई।
इसके बाद राजेश खन्ना हर फिल्म में निर्माता से कहते “असरानी को भी लो।” इसी दोस्ती की बदौलत असरानी ने 25 से ज्यादा फिल्मों में राजेश खन्ना के साथ काम किया।

‘शोले’ के जेलर से ‘हेरा फेरी’ तक — हर युग में छाए रहे असरानी :

असरानी ने 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया। 70 और 80 के दशक में वह कॉमेडी के किंग बन चुके थे।
उनकी हिट फिल्मों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। ‘शोले’, ‘चुपके चुपके’, ‘छोटी सी बात’, ‘रफू चक्कर’, ‘हीरा लाल पन्नालाल’, ‘पति पत्नी और वो’, ‘खून पसीना’ और ‘फकीरा’। 90 के दशक में और 2000 के बाद असरानी ने ‘हेरा फेरी’, ‘हलचल’, ‘गरम मसाला’, ‘भागम भाग’, ‘चुप चुप के’ और ‘मालामाल वीकली’ जैसी फिल्मों में फिर साबित कर दिया कि कॉमेडी की आत्मा आज भी उनमें जिंदा है।

फिल्मी दुनिया में पसरा सन्नाटा — फैंस बोले, “हमारा बचपन चला गया”

असरानी के निधन की खबर से पूरे बॉलीवुड में शोक की लहर है। अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, परेश रावल, सुनील ग्रोवर और राजपाल यादव जैसे कलाकारों ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी। फैंस लिख रहे हैं कि - “हमारे बचपन की हंसी आज हमेशा के लिए चली गई।”

असरानी — वो नाम जिसने हंसी को कला बना दिया :

विदित है कि उन्होंने सिर्फ कॉमेडी नहीं की, बल्कि कॉमेडी को भावनाओं में पिरोया। उनकी आंखों की मासूमियत, उनकी संवाद शैली, आज भी दर्शकों को याद है। उन्होंने एक बार कहा था कि “लोग मेरे मजाक पर हंसते हैं, लेकिन मैं चाहता हूं कि वो मेरी मेहनत को भी समझें।”

दीवाली की सुबह जिसने हंसी दी, उसी शाम उसने सन्नाटा दे दिया। असरानी अब नहीं हैं लेकिन उनका किरदार, उनकी मुस्कान, और उनकी कॉमेडी हमेशा के लिए अमर हो गई है।

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