नई दिल्ली : दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 1 जुलाई से लागू होने जा रहे पुराने वाहनों पर ईंधन भरवाने की रोक अब टल सकती है। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस संबंध में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता आयोग (CAQM) को पत्र लिखकर अपील की है कि जब तक NCR में ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रीडिंग (ANPR) सिस्टम पूरी तरह लागू नहीं हो जाता, तब तक इस आदेश को स्थगित रखा जाए।
क्या कहा पर्यावरण मंत्री ने:
आपको बता दें कि सिरसा ने कहा कि इस समय दिल्ली के कई हिस्सों में ANPR सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा है। कुछ जगहों पर कैमरे, स्पीकर्स और सेंसर्स में तकनीकी गड़बड़ियाँ हैं। इसके अलावा NCR के अन्य शहरों - गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद जैसे स्थानों पर यह व्यवस्था अभी लागू ही नहीं हुई है। ऐसे में वाहन मालिक दिल्ली से बाहर जाकर आसानी से ईंधन भरवा सकते हैं, जिससे अवैध ईंधन बिक्री का बाजार खड़ा होने का खतरा है।
क्या है आदेश और क्यों हो रहा है विरोध? :
गौरतलब है कि अप्रैल में वायु गुणवत्ता आयोग ने आदेश जारी किया था कि 1 जुलाई से 15 साल पुराने पेट्रोल और 10 साल पुराने डीजल वाहनों में पेट्रोल-डीजल नहीं भरा जाएगा। इस आदेश का उद्देश्य दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर लगाम लगाना था। लेकिन इसके क्रियान्वयन में सबसे बड़ी चुनौती तकनीकी आधार और तैयारियों की कमी है। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि कई वाहनों में HSRP (हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट) में गड़बड़ी है, जिससे ANPR उन्हें ठीक से पहचान नहीं पाता।
दिल्ली में क्यों जरूरी है प्रदूषण रोकने के उपाय? :
आपको बता दें कि राजधानी दिल्ली की हवा साल दर साल जहरीली होती जा रही है। सरकारी आंकड़ों और रिपोर्ट्स बताते हैं कि नवंबर 2024 में दिल्ली का औसतन AQI 500 के ऊपर रहा, जो बेहद खतरनाक श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह हवा हर दिन एक व्यक्ति को 38 सिगरेट पीने जितना नुकसान पहुंचा रही है।
47% प्रदूषण वाहनों से :
गौरतलब है कि 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, दिल्ली में लगभग 80 लाख पंजीकृत वाहन हैं। इनमें से अधिकांश पुराने हैं और भारी मात्रा में PM2.5 जैसे सूक्ष्म प्रदूषक तत्व उत्सर्जित करते हैं। दिल्ली में प्रदूषण में 47% योगदान सिर्फ वाहनों से निकलने वाले कणों का है, जिसमें 12% वृद्धि सिर्फ बीते एक वर्ष में हुई है।
प्रदूषण से जुड़े खतरनाक आंकड़े :
विदित है कि लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल की रिपोर्ट बताती है कि वायु प्रदूषण, धूम्रपान से भी अधिक खतरनाक है। 2021 में सबराकनॉइड हैमरेज (SAH) से हुई मौतों में लगभग 14% के लिए वायु प्रदूषण को जिम्मेदार माना गया। यह न केवल फेफड़ों और दिल के लिए हानिकारक है, बल्कि मस्तिष्क की कार्यक्षमता को भी प्रभावित करता है।
सरकार का दावा- जल्द दिखेगा असर :
आपको बता दें कि मंत्री सिरसा ने कहा कि सरकार कई स्तरों पर प्रदूषण कम करने के प्रयास कर रही है और जल्द ही इसका असर दिखने लगेगा। सरकार अब तक पेट्रोल पंपों पर ऐसे उपकरण लगाने की तैयारी कर चुकी है जो पुराने वाहनों की पहचान कर सकें। लेकिन जब तक पूरे NCR में यह तकनीक लागू नहीं हो जाती, तब तक आदेश को लागू करना व्यवहारिक नहीं है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त कदम जरूरी हैं, लेकिन बिना आधारभूत ढांचे और तकनीकी तैयारी के ऐसे फैसले जनता में भ्रम और अव्यवस्था पैदा कर सकते हैं। उम्मीद है सरकार सब कुछ सही करके जनता के हित में सही फैसले लेगी।