नई दिल्ली : भारतीय मौसम विभाग {IMD} और राष्ट्रीय कमोडिटी एवं-डेरिवेटिव्स एक्सचेंज {NCDEX} ने एक नया समझौता किया है। इसके तहत देश में पहली बार ‘वेदर डेरिवेटिव सिस्टम’ शुरू किया जाएगा। यह सिस्टम किसानों को मौसम की बिगड़ी स्थिति के अनुसार मुआवजा देगा, इसका मतलब अगर बारिश कम हुई, सूखा पड़ा या लू चली तो उसके बदले मुआवजा मिलेगा, भले ही किसान ने नुकसान का सबूत न दिया हो।
क्या है वेदर डेरिवेटिव?
आपको बता दें कि वेदर डेरिवेटिव एक ऐसा वित्तीय उत्पाद होगा, जिसमें मौसम जैसे तापमान, बारिश या सूखा के आंकड़ों के आधार पर किसान को मुआवजा दिया जाएगा, भले ही उसने फसल का नुकसान दिखाया हो या नहीं। उदाहरण के लिए अगर किसी क्षेत्र में तय सीमा से कम बारिश होती है, या लगातार लू चलती है,
तो उस इलाके के किसानों को सीधा मुआवजा मिलेगा, चाहे फसल की तस्वीर या खेत का निरीक्षण हुआ हो या नहीं।
अभी क्या होता है?
आपको बता दें कि अभी किसान को फसल खराब होने पर पटवारी को बुलाना पड़ता है उसे फसल दिखानी पड़ती है, साथ ही कागज जमा करने होते हैं, फिर कई महीने बाद मुआवजा मिलता है… या मिलता ही नहीं था।
यह सिस्टम कैसे काम करेगा?
1. IMD यानी मौसम विभाग हर जिले का मौसम डाटा देगा, जैसे बारिश, तापमान, हवा वगैरह।
2. NCDEX उसी आधार पर वेदर डेरिवेटिव नाम के उत्पाद तैयार करेगा।
3. ये डेरिवेटिव कुछ वैसा ही होगा जैसे बीज, बीमा या खाद लेकिन यह मौसम आधारित सुरक्षा देगा।
4. किसान इसे खरीदकर मौसम की मार से आर्थिक सुरक्षा पा सकेंगे।
किन्हें होगा फायदा?
आपको बता दें कि किसानों को सबसे ज्यादा फायदा होगा क्योंकि अब उन्हें नुकसान साबित नहीं करना पड़ेगा। ट्रांसपोर्ट, पर्यटन और लॉजिस्टिक्स जैसी इंडस्ट्रीज को भी फायदा मिलेगा, जो मौसम पर निर्भर हैं।
क्यों है यह सिस्टम जरूरी?
विदित है कि भारत की 60% खेती बारिश पर निर्भर है। हर साल लाखों किसान मौसम की मार झेलते हैं। बीमा का पैसा वक्त पर नहीं मिलता या बहुत मुश्किल से मिलता है। इस सिस्टम से उन्हें समय पर, पारदर्शी और सरल मुआवजा मिलेगा।
अगर यह योजना सफल रही तो क्या होगा :
आपको बता दें कि अगर यह योजना लागू हुई तो बीमा का पूरा तरीका बदल सकता है। इससे किसानों की आमदनी स्थिर होगी। भारत मौसम आधारित बीमा में अग्रणी बन सकता है।
इससे बढ़ेगी पारदर्शिता मिलेगी आर्थिक सुरक्षा :
IMD के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि यह प्रणाली विज्ञान को आर्थिक स्थिरता से जोड़ेगी। NCDEX के एमडी अरुण रस्ते ने कहा कि किसानों को मौसम के खतरों से आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।यह पूरा सिस्टम IMD के पुराने और रीयल टाइम डाटा पर आधारित होगा, जिससे जोखिम का मूल्यांकन और अनुबंध दोनों अधिक सटीक होंगे।
भविष्य में क्या असर होगा?
आपको बता दें कि अगर यह मॉडल सफल होता है, तो यह भारतीय कृषि बीमा प्रणाली में बड़ा बदलाव ला सकता है। किसान अब सिर्फ प्रकृति के भरोसे नहीं होंगे, बल्कि मौसम बिगड़ने पर भी उन्हें आर्थिक सहारा मिलेगा। खेती से जुड़े जोखिम कम होंगे और किसानों की आय स्थिर हो सकेगी।
अब किसान मौसम की मार के बाद मुआवजे के लिए कागजों में नहीं उलझेगा। IMD का डाटा ही सबूत होगा और मुआवजा सीधे मिलेगा।