लखनऊ : उत्तर प्रदेश की सड़कें सिर्फ रास्ता नहीं, अब विकास का पर्याय बन रहीं हैं। योगी सरकार ने राज्य के सभी स्टेट हाइवे को कम से कम 10 मीटर चौड़ा करने की जो महायोजना बनाई है, वह न सिर्फ जाम और हादसों को कम करेगी, बल्कि राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में एक क्रांतिकारी अध्याय जोड़ेगी। पीडब्ल्यूडी ने कमर कस ली है, और 142 स्टेट हाइवे की तस्वीर अब बदलने जा रही है।
अब सड़कों की 10 मीटर की चौड़ाई :
गौरतलब है कि यूपी सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) के मुताबिक, जिन स्टेट हाइवे की चौड़ाई अभी 7 मीटर है, उन्हें बढ़ाकर कम से कम 10 मीटर किया जाएगा। इससे ट्रैफिक फ्लो सुचारू होगा और एक्सीडेंट्स में भी भारी कमी आएगी। सूत्रों की मानें तो मौजूदा वित्तीय वर्ष में इस काम पर 1500 करोड़ रुपये से भी ज्यादा खर्च करने की योजना है। जिन शहरों और कस्बों में ट्रैफिक का दबाव अधिक है, वहां इसे प्राथमिकता दी जाएगी।
सिर्फ चौड़ी सड़क नहीं, ट्रक ले-बाई और पेव्ड शोल्डर का भी तोहफा :
रिपोर्ट के अनुसार राज्य की सड़कों पर ट्रक पार्किंग की अराजकता अब बीते दिनों की बात हो जाएगी। जहां भी सड़क की लंबाई 50 किलोमीटर से अधिक होगी, वहां "ट्रक ले-बाई" (Truck Lay-bye) बनाए जाएंगे। यानी अब ट्रक बीच सड़क पर नहीं, किनारे बने सुरक्षित जोन में खड़े होंगे। सड़क के दोनों ओर पेव्ड शोल्डर (Paved Shoulder) भी जोड़े जाएंगे, जिससे आपात स्थिति में वाहन आराम से रोके जा सकें। इससे न केवल जाम कम होगा, बल्कि राहगीरों की जान भी बचेगी।
24 हजार जानें गईं, अब नहीं होगी ऐसी चूक :
विदित है कि साल 2024 में उत्तर प्रदेश की सड़कों ने 24,000 से ज्यादा जिंदगियां निगल लीं। इस भयावह आंकड़े ने सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद निर्देश दिए हैं कि सड़क हादसों को कम करने के लिए तुरंत और ठोस कदम उठाए जाएं। अब हर स्टेट हाइवे पर सुरक्षा मानकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुसार अपग्रेड किया जाएगा।
फ्लाईओवर, बाईपास और रिंग रोड से शहरी विकास की नई धारा :
जानकारी के अनुसार एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में, जहां ट्रैफिक का दबाव ज्यादा है, वहां फ्लाईओवर, बाईपास और रिंग रोड विकसित करने के लिए भी प्रस्ताव मांगे गए हैं। हालांकि ये सुविधाएं केवल उन निकायों में दी जाएंगी जो नेशनल हाईवे से नहीं जुड़े हैं, ताकि एनएचएआई के माध्यम से डुप्लिकेट विकास न हो।
कौन-कौन से हाइवे होंगे शामिल? :
रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल 102 स्टेट हाइवे ऐसे चिन्हित किए गए हैं, जो इस योजना में पहले चरण में शामिल होंगे। साथ ही, 28 हजार से अधिक सड़कों के जंक्शन पर ट्रैफिक और सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं को चिन्हित किया गया है जहां जरूरी सुधार किए जाएंगे।
जनप्रतिनिधियों की राय भी अहम :
गौरतलब है कि अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि हाइवे का चयन केवल जनसंख्या और ट्रैफिक के आंकड़ों से नहीं, बल्कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सुझावों के आधार पर भी किया जाएगा।
यूपी की सड़कों पर अब असली विकास दिखेगा। यह सिर्फ रोड चौड़ीकरण का काम नहीं, बल्कि सुरक्षा, सुविधा और समृद्धि का रोडमैप है। जहां पहले सड़कें मौत का कारण बन चुकी थीं, अब वहीं लाइफलाइन बनने जा रही हैं।