नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 675 करोड़ की ई-बस सेवा को हरी झंडी!: हर 10 मिनट पर दौड़ेगी हाईटेक इलेक्ट्रिक बस, SPV के तहत चलेगा मेगा ऑपरेशन, जानें पूरा मॉडल
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 675 करोड़ की ई-बस सेवा को हरी झंडी!

नोएडा/ग्रेटर नोएडा : गौतमबुद्धनगर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तस्वीर अब पूरी तरह बदलने जा रही है। जिस शहर की पहचान मेट्रो, एक्सप्रेसवे और हाईटेक इंफ्रास्ट्रक्चर से होती है, वह अब भारत के सबसे आधुनिक ई-बस नेटवर्क की ओर कदम बढ़ा चुका है। नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के इलाकों में पहली बार मिलकर 500 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिए एक स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) का गठन किया जा रहा है। यह न सिर्फ उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक बस प्रोजेक्ट होगा, बल्कि इसकी निगरानी और संचालन भी मेट्रो जैसी पेशेवर व्यवस्था के तहत होगा।

क्या है पूरा मॉडल? :

गौरतलब है कि SPV यानी स्पेशल पर्पज व्हीकल सरकार का नया हथियार बनी है। नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने इस योजना की पुष्टि करते हुए कहा कि तीनों प्राधिकरण मिलकर एक SPV बनाएंगे, जो इस पूरे बस नेटवर्क का नियोजन, क्रियान्वयन और निगरानी करेगा। SPV की रचना के लिए एक पेशेवर सलाहकार कंपनी नियुक्त की जाएगी, जो यह तय करेगी कि इस नए संगठन में कौन-कौन निदेशक (Directors) और सदस्य होंगे।

क्या रहेगी इक्विटी संरचना :

आपको बता दें कि इसमें नोएडा प्राधिकरण का 48% ग्रेटर नोएडा का 26% और यमुना प्राधिकरण (YEIDA) का 26% हिस्सा है। ध्यान रहे कि ये अनुपात बाद में समीक्षा के बाद बदले जा सकते हैं।

500 इलेक्ट्रिक बसों से हर कोने को जोड़ने वाला नेटवर्क :

जानकारी के अनुसार 300 बसें नोएडा में, 100 बसें  ग्रेटर नोएडा में और 100 बसें  यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में चलेंगीं। इसके 25 रूट तय हुए हैं जिसमें 13 रूट नोएडा, 9 ग्रेटर नोएडा, 2 यमुना एक्सप्रेसवे/जेवर एरिया में रहेंगें। बसें सुबह 6:30 बजे से लेकर रात 11:00 बजे तक चलेंगी। हर 10 मिनट पर एक नई बस मिलेगी, जिससे यात्री बिना लंबे इंतजार के सफर कर सकें।

675 करोड़ का रहेगा प्रोजेक्ट :

रिपोर्ट के अनुसार इस योजना की कुल लागत ₹675 करोड़ तय की गई है। इसमें 500 ई-बसें (250 – 12 मीटर, 250 – 9 मीटर), फास्ट चार्जर (240 किलोवॉट), चार्जिंग प्लांट्स, टूल्स, उपकरण, डिपो और मेंटेनेंस इंफ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं।

GCC (ग्रॉस कॉस्ट कांट्रैक्ट) मॉडल पर होगा संचालन, क्या रहेंगी शर्तें? :

आपको बता दें कि बसों का संचालन GCC मॉडल पर होगा। इसके तहत ऑपरेटर को तय किराये के बदले, तय दूरी चलानी होगी। इसमें निम्नलिखित शर्तें शामिल होंगी।

●12 साल तक संचालन अनिवार्य

●हर बस सालाना 72,000 किमी दौड़ेगी

●12 मीटर बस के लिए ₹1.75 करोड़ और 9 मीटर बस के लिए ₹1.25 करोड़ की EMD जमा करनी होगी

●₹72 प्रति किमी ऑपरेटिंग कॉस्ट

●हर बस को रोजाना 200 किमी तक का भुगतान

इंफ्रास्ट्रक्चर –डिपो, चार्जिंग स्टेशन और कनेक्टिविटी :

जानकारी के अनुसार बसों का संचालन शुरू में नोएडा के सेक्टर 82 और 91 के बस टर्मिनलों से किया जाएगा। आगे चलकर ग्रेटर नोएडा और यमुना क्षेत्र में भी एक-एक डिपो विकसित किया जाएगा, जिसकी ज़िम्मेदारी दोनों संबंधित प्राधिकरणों को दी गई है। इस योजना की सबसे अहम बात है नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) तक सीधी बस सेवा। यानी, अब फ्लाइट पकड़ने के लिए महंगे कैब या निजी वाहन की जरूरत नहीं, बल्कि हर 10 मिनट पर चलने वाली ई-बस आपको एयरपोर्ट तक ले जाएगी।

गौतमबुद्धनगर की यह ई-बस सेवा सिर्फ एक ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि यह एक शहरी क्रांति है। इसमें तकनीक, पर्यावरण, यात्री सुविधा और प्रशासनिक सहयोग सभी को जोड़ा गया है। यदि इसे सही तरह से लागू किया गया, तो यह मॉडल पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है।

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