नई दिल्ली : 117 साल से देश में जमीन-जायदाद की खरीद-बिक्री के जिस कानून से हर रजिस्ट्रेशन होता आया है, वह अब बीते ज़माने की बात होने जा रही है। केंद्र ने एक ऐसा क्रांतिकारी मसौदा तैयार किया है, जो न केवल पुराने Registration Act-1908 की जगह लेगा, बल्कि भूमि पंजीकरण के पूरे सिस्टम को को डिजिटलीकरण की ओर ले जाएगा। अब ना लंबी कतारें लगेंगीं, ना ही बिचौलियों का खेल होगा साथ ही फर्जी दस्तावेजों से धोखाधड़ी भी खत्म होगी। अब बस कुछ क्लिक से आपकी प्रॉपर्टी आपके नाम हो जाएगी, जिससे आम आदमी को बहुत राहत होगी।
घर बैठे होगी रजिस्ट्री;डिजिटल रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता :
गौरतलब है कि भूमि-संसाधन विभाग जो ग्रामीण-विभाग मंत्रालय के अधीन है; ने इस ऐतिहासिक 'पंजीकरण विधेयक-2025' (Registration Act-2025) का मसौदा तैयार किया है, जिसे आम लोगों की राय के लिए 25 जून तक ओपन रखा गया है। इसके तहत संपत्ति की ऑनलाइन रजिस्ट्री अनिवार्य की जाएगी वहीं बिक्री अनुबंध, पावर ऑफ अटॉर्नी, सेल सर्टिफिकेट और मॉर्गेज दस्तावेज का पंजीकरण अब जरूरी हो जाएगा। अब हर दस्तावेज का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार होगा एवं सभी प्रक्रियाएं पूरी तरह ऑनलाइन होंगी यानी अब आम आदमी का दफ्तर का चक्कर खत्म हो जाएगा।
नहीं चलेगा फर्जीवाड़ा, आधार या वैकल्पिक सत्यापन अनिवार्य :
आपको बता दें कि इस विधेयक में धोखाधड़ी पर नकेल कसने के लिए 'सहमति आधारित आधार सत्यापन' की शर्त जोड़ी गई है। नागरिक चाहें तो आधार के अलावा अन्य डिजिटल पहचान विधि से भी सत्यापन कर सकेंगे। इसके आने से फर्जी सेल डीड, दोहरी रजिस्ट्री और गलत मालिकाना दावा अब इतिहास बनने जा रहा है।आपको बताक़ दें कि भूमि संसाधन विभाग के मुताबिक, "यह बदलाव पारदर्शिता और सुरक्षा की दृष्टि से बेहद जरूरी है।"
एक देश-एक सिस्टम होगा लागू :
अब तक राज्यों को रजिस्ट्रेशन कानून में संशोधन का अधिकार था, जिससे अलग-अलग जगह अलग नियम चलते थे। लेकिन यह नया विधेयक पूरे देश में एकसमान डिजिटल रजिस्ट्रेशन प्रणाली लागू करेगा, जिससे व्यवस्था पारदर्शी, तेज़ और भ्रष्टाचारमुक्त बनेगी।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट? :
प्रॉपर्टी मामलों के जानकार प्रदीप मिश्रा का कहना है कि "यह गेम-चेंजर है। बुजुर्ग, बीमार या NRI लोग जो रजिस्ट्री के लिए भारत नहीं आ सकते, अब वे घर बैठे रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। बस सरकार को इसे लागू करने से पहले सिस्टम को पूरी तरह मजबूत करना होगा, नहीं तो तकनीकी खामी नुकसान पहुंचा सकती है।"
ई-सर्टिफिकेट, जीपीएस लोकेशन और डिजिटल ट्रैकिंग से डिजिटल रिकार्ड :
गौरतलब है कि ई-सर्टिफिकेट और डिजिटल रिकॉर्ड स्टोरेज की भी व्यवस्था होगी, जिससे किसी भी समय दस्तावेज़ों को डिजिटल माध्यम से एक्सेस किया जा सकेगा। वहीं सरकार भविष्य में जियो-लोकेशन आधारित डिजिटल पते (DIGIPIN) से रजिस्ट्री को और भी स्मार्ट बनाने की दिशा में भी काम कर रही है।
यह विधेयक सिर्फ एक कानून नहीं, एक डिजिटल-क्रांति है, जो 117 साल पुरानी फिजिकल-व्यवस्था की जगह ले लेगी। आप भी इस विधेयक पर 25-जून 2025 तक अपनी राय भूमि संसाधन विभाग को भेज सकते हैं, आपकी राय सिर्फ राय नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल प्रॉपर्टी क्रांति की दिशा तय कर सकती है। क्योंकि अब संपत्ति सिर्फ कागज़ों पर नहीं, डिजिटल फाइल में होगी।