नोएडा प्राधिकरण ने जल निगम से वापस लिया 140 करोड़ का सीवर प्रोजेक्ट!: 40 करोड़ में खुद ही करेगा पूरा, 23 साल में न सीवर बना, न बदला सिस्टम?
नोएडा प्राधिकरण ने जल निगम से वापस लिया 140 करोड़ का सीवर प्रोजेक्ट!

नोएडा: नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे ग्रीन बेल्ट में बहते सीवेज की बदबू के पीछे अब एक बड़ा प्रशासनिक ‘घोटाला’ सामने आया है। 23 साल से लटके सीवर प्रोजेक्ट को लेकर नोएडा प्राधिकरण ने उत्तर प्रदेश जल निगम से परियोजना वापस ले ली है। अब खुद 40 करोड़ की लागत से इस अधूरी योजना को पूरा करने का फैसला किया गया है। जबकि जल निगम इसे 63.36 करोड़ रुपये में और 1.5 साल में पूरा करने की मांग कर रहा था।

बजट बढ़ा पर नहीं हुआ काम:

आपको बता दे कि नोएडा प्राधिकरण और यूपी जल निगम के बीच लगभग 98 करोड़ रुपये के एक MOU पर 2002 में हस्ताक्षर हुए थे। उद्देश्य था कि नोएडा एक्सप्रेसवे के दोनों ओर गहरी सीवर लाइन, 8 इंटरमीडिएट पंपिंग स्टेशन और 2 मास्टर पंपिंग स्टेशन बनाना। वर्ष दर वर्ष योजना का बजट बढ़ाया गया और 140.58 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जिसमें से जल निगम को 140 करोड़ रुपये को अदा भी कर दिया गया।

कितना हुआ 2025 तक काम:

गौरतलब है कि अभी तक

●सेक्टर-142 के आगे एडवांट टावर तक की सीवर लाइन अधूरी है।

●8 में से 4 पंपिंग स्टेशन अभी तक बनाए ही नहीं गए।

●प्रेशर मेन लाइन की टेस्टिंग तक नहीं हुई।

●और सबसे खतरनाक बात कि 2003-04 में डाली गई ग्रेविटी लाइनें अब पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।

एनजीटी और जनता की शिकायतें बनीं बड़ी वजह:

गौरतलब है कि नोएडा एक्सप्रेसवे की ग्रीन बेल्ट में कई जगह कच्चा सीवेज बहता मिला है। इंडस्ट्री, संस्थागत और ग्रामीण आबादी बढ़ने के साथ यह खतरा और भी बढ़ गया। NGT और IGRS के जरिये शिकायतें बढ़ीं तो प्राधिकरण की नींद टूटी।

जल निगम की मांग ने खोली पोल

आपको बता दे कि 2023 में एक मीटिंग के दौरान जल निगम ने अधूरा काम पूरा करने के लिए 63.36 करोड़ और 18 महीने का समय मांगा। इसी मीटिंग में खुलासा हुआ कि यदि यही काम प्राधिकरण खुद कराए, तो महज 40 करोड़ और 12 महीने में पूरा हो सकता है।

क्लाज-9 और 11 ने बना दिया रास्ता साफ

नोएडा प्राधिकरण ने एमओयू के क्लॉज 9 (पेनल्टी) और क्लॉज 11 (विवाद समाधान) का हवाला देकर जल निगम को प्रोजेक्ट से बेदखल कर दिया। खास बात ये रही कि इसके लिए प्राधिकरण को कारण बताने की भी जरूरत नहीं थी। साथ ही जल निगम को कोई क्षतिपूर्ति भी नहीं दी जाएगी।

अब प्राधिकरण का दावा – 2026 से पहले बहता सीवेज होगा अतीत!

सीईओ लोकेश एम ने बताया, “अब प्राधिकरण खुद ये काम कराएगा और 40 करोड़ में इसे एक साल में पूरा कर लिया जाएगा। इससे न केवल पर्यावरणीय खतरा टलेगा, बल्कि 20 साल पुरानी लापरवाही की भरपाई भी होगी।

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