नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग ने वोटों की गिनती के नियमों में बड़ा बदलाव कर दिया है। अब नज़ारा पहले जैसा नहीं होगा, जब मशीन से वोट गिनना तेज़ी से पूरा हो जाता था और पोस्टल बैलेट पीछे छूट जाते थे। नए नियम के तहत जब तक सभी डाक मतपत्र (Postal Ballots) की गिनती पूरी नहीं होगी, तब तक EVM/VVPAT का सेकेंड लास्ट राउंड रोक दिया जाएगा। यानी पोस्टल बैलेट अब सीधे-सीधे नतीजों की रफ़्तार और तस्वीर दोनों तय करेंगे।
क्या है नया नियम?
आपको बता दें कि नए नियमानुसार अब पोस्टल बैलेट की गिनती सुबह 8 बजे शुरू होगी। EVM की गिनती पहले की तरह 8:30 बजे से होगी। लेकिन फर्क ये कि अगर पोस्टल बैलेट की गिनती लंबी खिंचती है, तो EVM की काउंटिंग दूसरे आखिरी राउंड पर रोक दी जाएगी। मतलब, अंतिम नतीजे तब तक सामने नहीं आएंगे, जब तक हर पोस्टल वोट की गिनती खत्म न हो जाए।
क्यों ज़रूरी पड़ा ये बदलाव?
गौरतलब है कि इस बदलाव के निम्नलिखित प्रमुख कारण हैं -
1. पहले कई बार होता था कि EVM की गिनती जल्दी पूरी हो जाती और पोस्टल बैलेट पीछे छूट जाते।
2. इससे उम्मीदवार और समर्थक सवाल उठाते थे कि बैलेट वोट की गिनती पारदर्शी नहीं हुई।
3. अब आयोग ने साफ़ कहा – “पहले बैलेट पेपर के वोट जुड़ेंगे, फिर EVM मशीन का अंतिम राउंड।”
4. दिव्यांग मतदाताओं और 85+ उम्र वालों को पोस्टल बैलेट का अधिकार मिला है, जिसकी वजह से बैलेट की संख्या पहले से कहीं ज़्यादा हो गई है।
क्या होगा इसका असर?
विदित है कि इस फैसले के बाद नतीजे आने में थोड़ी देरी हो सकती है। लेकिन पारदर्शिता और निष्पक्षता पर कोई सवाल नहीं उठेगा। जिन क्षेत्रों में पोस्टल वोट ज्यादा हैं, वहां काउंटिंग टेबल और स्टाफ भी बढ़ाया जाएगा।
चुनाव आयोग का दावा – पारदर्शिता सबसे पहले :
गौरतलब है कि चुनाव आयोग का कहना है कि इस फैसले से चुनाव प्रक्रिया में और ज्यादा साफगोई आएगी। हर प्रत्याशी और हर वोटर को भरोसा होगा कि एक-एक वोट गिना गया है।
पिछले 6 महीनों में चुनाव आयोग की प्रमुख पहलें :
●मतदाता सूची से फर्जी नाम हटाने के लिए ई-वेरिफिकेशन अनिवार्य किया गया।
●EVM पर अब प्रत्याशियों की रंगीन फोटो होगी।
●प्रति बूथ अधिकतम 1200 वोटर ही होंगे।
●BLO और चुनाव अधिकारियों को डिजिटल आईडी और ट्रेनिंग।
●808 गैर-मान्यता प्राप्त दलों का पंजीकरण खत्म।
●ECINET नाम से 40 ऐप्स और पोर्टल का एकीकरण।
●पहली बार 7,000 BLO का प्रशिक्षण और पारिश्रमिक दोगुना।
राजनीति में हलचल :
विदित है कि बिहार चुनाव में यह नियम सीधे उम्मीदवारों के नतीजों पर असर डालेगा। जिन सीटों पर कांटे की टक्कर है, वहां कुछ सौ पोस्टल बैलेट ही हार-जीत का फैसला कर सकते हैं। विपक्ष पहले से ही EVM पर सवाल उठाता रहा है, ऐसे में यह फैसला विपक्ष के लिए “भरोसे का नया टॉनिक” बन सकता है। सत्ता पक्ष को भी यह कहने का मौका मिलेगा कि चुनाव आयोग पूरी तरह निष्पक्ष है।
चुनाव आयोग का ये कदम धीमा ज़रूर है, लेकिन पक्का है। अब नतीजे चाहे देर से आएं, लेकिन साफ-साफ आएंगे। बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार ये नया सिस्टम लागू होगा और बाकी राज्यों के लिए भी यह ट्रायल की तरह साबित होगा।